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कोविड से भी ज्यादा जानें लेगी बदलती जलवायु

११ नवम्बर २०२२

कोविड से भी ज्यादा और कैंसर के बराबर जानलेवा. इंसानी सेहत पर जलवायु परिवर्तन के असर का जांच रहे वैज्ञानिक तुरंत कार्बन उत्सर्जन घटाने की मांग कर रहे हैं.

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शर्म अल शेख में जलवायु परिवर्तन की चेतावनी देता एक डायनासोर का मॉडल
तस्वीर: MOHAMED ABD EL GHANY/REUTERS

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि जलवायु परिवर्तन इंसान की सेहत के लिए अब तक का सबसे बड़ा खतरा बन चुका है. डब्ल्यूएचओ ने मिस्र के शर्म अल शेख शहर में हो रहे विश्व जलवायु सम्मेलन, COP27 में इस मुद्दे को केंद्र में रखने की मांग की है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन कई तरह से इंसान पर असर डालता है. बेहताशा गर्मी, पानी की कमी, बाढ़ जनित बीमारियां और वायु प्रदूषण, ये सारे कारक मानव स्वास्थ्य को अलग अलग तरीके प्रभावित करते हैं.

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भीषण गर्मी के दिन बढ़ाएगा जलवायु परिवर्तन
भीषण गर्मी के दिन बढ़ाएगा जलवायु परिवर्तनतस्वीर: Jorge Guerrero/AFP/Getty Images

मौतों का आंकड़ा बढ़ाएगा जलवायु परिवर्तन

डब्ल्यूएचओ का दावा है है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से 2030 से 2050 के बीच, हर साल ढाई लाख मौतें ज्यादा होंगी. इनमें से ज्यादातर लोग कुपोषण, मलेरिया, डायरिया और गर्मी की वजह से जान गंवाएंगे. ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ अलायंस नाम के एनजीओ की पॉलिसी लीड अधिकारी जेस बीग्ली कहती हैं, मौत का यह आंकड़ा "बहुत ही संकुचित अनुमान" है. वह कहती हैं, "जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन का असर बुरा होता जाएगा, वैसे वैसे हम इंसानी सेहत के सामने बढ़ते खतरे देखेंगे."

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु विशेषज्ञों के पैनल, आईपीसीसी के मुताबिक दुनिया भर में फिलहाल करीब 70 फीसदी मौतें बीमारियों से होती हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग इस तस्वीर को और भयावह बनाएगी.

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केन्या और इथियोपिया बॉर्डर पर सूखे से मारे गए मवेशी
केन्या और इथियोपिया बॉर्डर पर सूखे से मारे गए मवेशीतस्वीर: Thomas Mukoya/REUTERS

असहनीय माहौल में जीवन

दुनिया के कई हिस्सों में बीते 50 साल में कई बार सूखा पड़ा है. सूखा भोजन के साथ साथ पीने के पानी का भी संकट खड़ा कर रहा है. 2020 में ही दुनिया में खाद्यान्न की कमी से जूझने वाले लोगों की संख्या में 10 करोड़ का इजाफा हुआ है.

दूसरी तरफ 2020 में दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण 33 लाख लोगों की मौत हुई. इनमें से 12 लाख मौतें तो सीधे जीवाश्म ईंधन से होने वाले उत्सर्जन की वजह से हुईं. यह दावा द लैंसेट काउंटडाउन की रिपोर्ट का है.

वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि गर्म होती दुनिया में बीमारियां दूर दूर तक फैलेंगी. उदाहरण के लिए, गर्म होते यूरोप, रूस और कनाडा में मच्छर पहुंचने लगे हैं. बीते 50 साल में डेंगू के मामलों में 12 फीसदी तेजी आई है. अफ्रीका के कुछ देशों में अब मलेरिया के 14 प्रतिशत ज्यादा केस सामने आ रहे हैं.

रिसर्चरों का कहना है कि अगर जलवायु परिवर्तन इसी गति से होता रहा तो सन 2100 तक मौतों के मामले में लंग कैंसर को बहुत पीछे छोड़ देगा. क्लाइमेट इम्पैक्ट लैब की हाना हेस कहती हैं कि अगर इन अनुमानों को सही माना जाए, तो 2100 तक बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जलवायु परिवर्तन, कैंसर से दोगुनी जानें लेगा. 

ओएसजे/एनआर (एएफपी)