परिवार के विकल्प तलाशता जर्मन समाज
१६ फ़रवरी २०२४जर्मनी में लोग जिस तरह से रहते, प्यार करते, मां-बाप बनते और बूढ़े होते हैं - वो सब बदल रहा है. लेकिन सवाल ये है कि चाहे वो बच्चों की देखरेख हो या बुजुर्गों की, कौन और कैसे एक-दूसरे का ख्याल रखेगा.
जिस समाज में चार में से एक व्यक्ति का कहना है कि वो अकेला है, वहां यह एक विकट सवाल बना हुआ है. न्याय मंत्री मार्को बुशमन ने इस कानूनी प्रावधान को "पारिवारिक कानून का दशकों में संभवतः सबसे बड़ा सुधार" बताया है.
जर्मनी में मध्य-वाम सोशल डेमोक्रेट (एसपीडी), ग्रीन पार्टी और नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी) की गठबंधन सरकार ने भी इस रेडिकल प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
कथित "जिम्मेदारी का समुदाय" एक नई कानूनी व्यवस्था मुहैया कराएगा जिसके जरिए दो से छह लोगों तक के समूह, विभिन्न स्थितियों में एक-दूसरे की कानूनी जिम्मेदारी ले पाएंगे. उदाहरण के लिए, मेडिकल इमरजेंसी में.
बुशमन कहते हैं "जिम्मेदारी के समुदाय का एक सांकेतिक मूल्य भी है. जो कोई इसमें आता है वो एक सामाजिक बंधन को एक संरचना मुहैया कराता है, एक सकारात्मक नाम देता है."
'प्रयोग के लिए खुली जगह'
घनिष्ठता और रिश्तों के पैटर्नों पर शोध कर चुकीं समाजशास्त्री आंद्रेय नेवेरला कहती हैं, "सच ये है कि आधुनिक रोमानी रिश्ते में कोई सुरक्षा नहीं है और लोग अक्सर कड़वे अनुभव के बाद ये जान पाते हैं."
नेवरला कहती हैं एक बूढ़े होते समाज में हम एक साथ कैसे रहना चाहते हैं और हम किस तरह के सपोर्ट नेटवर्कों पर निर्भर करते हैं, इस तरह के सवालों पर पूरी तरह से दोबारा सोचने की जरूरत है. इसमें दो लोगों के बीच रोमानी प्यार के हावी रिलेशनशिप मॉडल का विकेंद्रीकरण भी शामिल है.
उन्होनें डीडब्लू को बताया, ""हम जब वाकई एक समूह के रूप में कुछ करना चाहते हैं तो मेरी जानकारी में आधुनिक समाज में इस समय ऐसी कोई संरचना नहीं है जिसमें खुद कानूनी रूप से प्रवेश किया जा सके. हमें लोगों को एक दूसरे के साथ (रोमांटिक संदर्भों से आगे) आने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है."
नेवेरला क्वीर समुदाय के बनाए "चोजन फैमिलीज" का उदाहरण देती हैं, जिसे उस समुदाय ने अपने अपने जैविक परिवारों से खारिज होने के बाद बनाया है. वो कहती हैं कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगियां, रोमांटिक पार्टनर की बजाय, दोस्तों के आसपास शायद ज्यादा बेहतर तरीके से गुंथी होंगी.
नेवेरला कहती हैं, "हमें रचनात्मक होना पड़ेगा और हमें राज्य से प्रोत्साहन भी चाहिए ताकि हम इन अलग अलग रूपों को आजमा सकें. जिम्मेदारी का समुदाय प्रयोग के लिए एक खुली जगह बन सकती है, क्योंकि लोगों के समूह, समुदाय के नये नये रूपों में प्रयोग कर सकेंगे कि राज्य उन्हें मान्यता दे और कानूनी सुरक्षा भी (जैसे शादी में होती है.)"
'पेशकश जो किसी को नहीं चाहिए'
सरकार कहती है कि जिम्मेदारी का समुदाय बुजुर्गों और एकल पैरंट की जिंदगी आसान बनाने में मददगार होगा. लेकिन एडवोकेसी समूहों को संदेह है कि लोगों की जिंदगियों में वास्तव में इससे कितना अंतर आ पाएगा.
वरिष्ठ नागरिकों के राष्ट्रीय संगठन की अध्यक्ष रेगिना ग्योरनर ने डीडब्लू को बताया, "मुझे नहीं लगता कि बुजुर्गों के लिए ज्यादा कुछ बदलेगा. कुछ उपाय और व्यवस्थाएं पहले से मौजूद हैं, जैसे कि हेल्थकेयर प्रॉक्सी, जो कि कम ब्यूरोक्रेटिक भी है और नोटरी की अपेक्षा समय भी कम लगता है."
औसत आबादी के मुकाबले बुजुर्ग लोगों के अकेले रहने की संभावना दोगुना से ज्यादा है. सांइटिफिक इन्स्टीट्यूट ऑफ द एसोसिएशन प्राइवेट हेल्थकेयर इंश्योरर्स (डब्लूआईपी) के मुताबिक 2022 में, यूरोपीय संघ में 65 साल और उसके ऊपर के करीब 32 प्रतिशत लोग अकेले रहते थे.
जर्मनी में ये आंकड़ा 34 फीसदी था. इस संस्था का अनुमान है कि 2030 तक जर्मनी में साढ़े 57 लाख लोगों को देखरेख की जरूरत होगी. 2050 तक ये संख्या साढ़े 72 लाख हो जाएगी.
ग्योरनर कहती हैं कि इसकी अपेक्षा वो चाहेंगी कि केयरगिवर लीव एक्ट में सुधार किया जाए जिसके तहत अभी सिर्फ परिवार के निकटस्थ सदस्यों को अपने बीमार परिजन की देखभाल के लिए पेड लीव लेने का अधिकार है.
एकल पैरंट के अधिकारों की वकालत करने वाली फाउंडेशन आल्टाग्सशेल्डिनन की संस्थापक हाइडी थीमन की चिंताएं भी यही हैं. वो कहती हैं, "सिंगल पैरंट को अपनी स्थिति में सुधार के लिए बिल्कुल अलग ही तरह की चीजों की जरूरत है. हम यहां एक ऐसे ऑफर की बात कर रहे हैं जो कोई मांग भी नहीं रहा."
इन्स्टीट्यूट ऑफ जर्मन इकॉनमी के मुताबिक, आज जर्मनी में करीब 33 प्रतिशत बच्चे अविवाहित मातापिता की संताने हैं. 1998 में ये संख्या 20 प्रतिशत थी, 2021 में तलाक की दर 39.9 प्रतिशत थी.
थीमन को चिंता है कि ऐसे लोग जिनके रोमांटिक संबंध हैं और जो कानूनन विवाह नहीं करना चाहते हैं, वे विकल्प के रूप में इस नयी कानूनी प्रक्रिया का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन काफी कम कानूनी सुरक्षाओं के साथ.
वो बताती हैं कि "देखरेख का अधिकांश काम संभालने वाली मांओं की स्थिति शादी में रहने की तुलना में ज्यादा खराब होगी. सरकार ने कहा है कि सुधार के साथ कोई टैक्स लाभ नहीं मिलेगा."
जवाबदेही से लैस समुदाय
विपक्षी मध्य-दक्षिण पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेट्स (सीडीयू/सीएसयू) और धुर-दक्षिण पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने भी इस सुधार की आलोचना की है.
सीडीयू के कानूनी मामलों के प्रवक्ता ग्युंटर क्रिंग्स का कहना है कि नया कानूनी प्रावधान, बहुविवाह का पिछला दरवाजा खोल सकता है जो अभी जर्मनी में सिर्फ उन्हीं मामलों के लिए मान्यता-प्राप्त है जो कानूनी तौर पर देश से बाहर संपन्न हुई हों.
उन्होंने मीडिया समूह रिडेकटियॉन्सनेत्जवेर्क डॉयशलैंड को बताया, "इस किस्म के जिम्मेदारी के समुदाय में लोगों के बीच संबंधों की प्रकृति पर किसी का नियंत्रण नहीं रह पाएगा."
जर्मन संविधान या बेसिक लॉ के तहत शादी और परिवार को सुरक्षित दर्जा हासिल है. सरकार ने जोर दिया है कि नया सुधार गैर-रोमानी संबंधों वाले लोगों के लिए है, और सबसे बढ़कर बुजुर्गों के लिए है.
सरकार का ये भी कहना है कि ये कोई "मैरिज लाइट" नहीं हैः ना तो टैक्स रियायतें मिलेंगी, ना ही उत्तराधिकार कानून या देखरेख के दायित्व या करार के तहत कुछ हासिल होगा.
सिर्फ एक मोहक कल्पना?
नेवेरला राज्य समर्थित सामूहिकीकरण और एकजुटता (पारस्परिकता) के नए प्रगतिशील और प्रयोगधर्मी स्वरूपों को आकार लेते देखना चाहती हैं, लेकिन उन्हें चिंता है कि यूरोप का मौजूदा राजनीतिक माहौल बिल्कुल विपरीत दिशा में जा रहा है.
वो कहती हैं, "मैं जानती हूं कि दक्षिणपंथी पॉप्युलिस्ट नयी अवधारणाएं नहीं चाहते हैं. ये उन लोगों के लिए और मुश्किल हो जाता है जो विविधता में रहना चाहते हैं, न सिर्फ रोमांटिक रिश्तों में बल्कि विविधता के तमाम अन्य रूपों में."
"छोटे परिवार का विचार राज्य और पूंजीवाद दोनों के लिए काफी उपयोगी है. क्योंकि उसी में इस तरह का अधिकांश भुगतान-रहित काम होता है जिसे ज्यादातर महिलाऐं ही करती हैं और जो एक व्यावहारिक समाज (और बाजार आधारित अर्थव्यवस्था) के लिए वाकई बुनियादी है."
2020 में एफडीपी की ओर से जिम्मेदारी के समुदाय के लिए मौलिक पर्चे में उत्तराधिकार जैसे वित्तीय सवालों से निपटने के नये तरीकों को लेकर सिफारिशें शामिल थीं. नेवेरला कहती हैं कि मौजूदा प्रस्ताव काफी कम महत्वाकांक्षी हैं.
"मैं वाकई खुद से ही पूछती हूं कि एकजुटता या पारस्परिकता के नए रूपों को लेकर इतना बड़ा डर आखिर क्यों है. उम्मीद है लोगों को ये अहसास हो पाएगा कि उनसे कुछ छीना नहीं जा रहा बल्कि असल में उन्हें सौगात मिल रही है."