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जर्मनी में एक शिया संगठन बैन, बंद की जाएंगी चार मस्जिदें

२४ जुलाई २०२४

जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में सक्रिय एक इस्लामिक संगठन पर बैन लगा दिया गया है. इस समूह पर ईरानी सरकार की विचारधारा को बढ़ावा देने और लेबनान के चरमपंथी गुट हिज्बुल्लाह को समर्थन देने के आरोप हैं.

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24 जुलाई को इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग और इमाम अली मस्जिद (ब्लू मॉस्क) के परिसर में छापेमारी के दौरान एक पुलिसकर्मी.
'इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग' (आईजेडएच) पर कई साल से निगरानी रखी जा रही थी. लंबे समय से इसे प्रतिबंधित किए जाने की मांग उठ रही थी. ताजा छापेमारियों से पहले भी नवंबर 2023 में हैम्बर्ग में ब्लू मॉस्क समेत कई जगहों की तलाशी ली गई थी. उस कार्रवाई के केंद्र में भी आईजेडएच ही था. तस्वीर: Daniel Bockwoldt/dpa/picture alliance

'इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग' (आईजेडएच) नाम के इस संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध के सिलसिले में पुलिस ने देशभर में 50 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की है. समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक, जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसी का मानना है कि यह संगठन ईरान के नियंत्रण में है. आईजेडएच से जुड़े पांच अन्य संगठन भी प्रतिबंध के दायरे में हैं.

24 जुलाई की सुबह सुरक्षा अधिकारियों ने हैम्बर्ग की इमाम अली मस्जिद समेत आठ अन्य जर्मन राज्यों में भी कई परिसरों की तलाशी ली. हैम्बर्ग की इस मस्जिद को 'ब्लू मॉस्क' भी कहा जाता है और यह शिया मस्जिद है.

24 जुलाई को छापेमारी के दौरान इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग और इमाम अली मस्जिद (ब्लू मॉस्क) के परिसर के सामने खड़े पुलिस अधिकारी.
जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फैजर ने अपने बयान में बताया कि प्रतिबंध के तहत चार शिया मस्जिदें बंद की जाएंगी. साथ ही, आईजेडएच की संपत्तियां भी जब्त की जा रही हैं. तस्वीर: Daniel Bockwoldt/dpa/picture alliance

जिस वक्त यहां तलाशी हुई, ठीक उसी समय बर्लिन के टेंपेलहोफ जिले में भी एक शिया संगठन की इमारत पर छापा मारा गया. जर्मनी की खुफिया एजेंसी ने आईजेडएच को 'चरमपंथी' की श्रेणी में रखा है. आरोप है कि यह संगठन ईरानी नेतृत्व और कथित "इस्लामिक क्रांति" से जुड़े आदर्शों का आक्रामक तरीके से प्रचार-प्रसार करता है.

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फाएजर ने कहा, धर्म के खिलाफ नहीं है कार्रवाई

जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फैजर ने अपने बयान में बताया कि प्रतिबंध के तहत चार शिया मस्जिदें बंद की जाएंगी. साथ ही, आईजेडएच की संपत्तियां भी जब्त की जा रही हैं. फैजर ने स्वतंत्र न्यायिक जांच के हवाले से कहा कि आईजेडएच जिस विचारधारा को बढ़ावा देता है, उसमें महिला अधिकार का हनन भी शामिल है. उन्होंने कहा, "इसके अतिरिक्त, इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग और इससे जुड़े संगठन हिज्बुल्लाह के आतंकवादियों का समर्थन करते हैं और यहूदी-विरोध फैलाते हैं."

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फैजर ने यह भी कहा, "यहां एक स्पष्ट अंतर करना बहुत जरूरी है: हम किसी धर्म के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं." फैजर ने आश्वासन दिया कि शिया समुदाय द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आस्था मानने पर इस प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ेगा.

29 जुलाई को इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग से जुड़े संगठनों और परिसरों पर छापेमारी के दौरान इमाम अली मस्जिद (ब्लू मॉस्क) के बाहर तैनात पुलिसकर्मी.
आरोप है कि 'इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग' (आईजेडएच) लोकतंत्र की जगह "सत्तावादी और धार्मिक प्रतिनिधियों द्वारा चलाई जाने वाली शासन व्यवस्था" कायम करना चाहता है. उसपर हिज्बुल्लाह जैसे संगठनों के समर्थन का भी आरोप है. तस्वीर: Daniel Bockwoldt/dpa/picture alliance

पिछले साल भी हुई थी कार्रवाई

आंतरिक मंत्रालय के बयान के मुताबिक, "आईजेडएच एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है, जिसके उद्देश्य असंवैधानिक हैं." मंत्रालय ने संगठन पर लगे आरोपों की गंभीरता को रेखांकित करते हुए बताया, "ईरान की इस्लामिक क्रांति के सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि के तौर पर आईजेडएच, इस्लामिक क्रांति की विचारधारा को एक आक्रामक और हिंसक तरीके से प्रसारित कर रहा है और वह फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी में भी ऐसी ही एक क्रांति लाना चाहता है."

आईजेडएच को यूरोप में तेहरान के एक अहम "प्रोपेगैंडा सेंटर" के रूप में देखा जा रहा है. जर्मन खुफिया एजेंसी 1990 के दशक से ही हैम्बर्ग में इस संगठन की निगरानी कर रही है. इससे पहले नवंबर 2023 में भी अधिकारियों ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पूरे देश में करीब 50 जगहों पर छापा मारा था.

उस समय भी हैम्बर्ग में ब्लू मॉस्क समेत कई जगहों की तलाशी ली गई थी. उन छापेमारियों के केंद्र में भी आईजेडएच ही था. घरेलू खुफिया एजेंसी ने 2023 की अपनी सालाना रिपोर्ट में इस संगठन को जर्मनी में स्थित ईरानी दूतावास के अलावा ईरान का सबसे अहम प्रतिनिधि माना था. बताया गया कि 1962 में बने इस संगठन में कितने सदस्य या समर्थक हैं, इसकी कोई विश्वसनीय संख्या उपलब्ध नहीं है.

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आरोप है कि 'इस्लामिक सेंटर हैम्बर्ग' (आईजेडएच) लोकतंत्र की जगह "सत्तावादी और धार्मिक प्रतिनिधियों द्वारा चलाई जाने वाली शासन व्यवस्था" कायम करना चाहता है. उसपर हिज्बुल्लाह जैसे संगठनों के समर्थन का भी आरोप है. यह भी इल्जाम है कि संगठन ईरानी नेतृत्व और कथित "इस्लामिक क्रांति" से जुड़े आदर्शों का आक्रामक तरीके से प्रचार-प्रसार करता है.तस्वीर: Office of the Iranian Supreme Leader/WANA/REUTERS

कई साल से हो रही थी प्रतिबंध लगाने की मांग

आईजेडएच को बंद किए जाने की मांग कई साल से उठ रही थी. जर्मनी की संसद ने भी केंद्र सरकार से अपील की थी कि वह आकलन करे कि "क्या (और कैसे) आईजेडएच, जो कि जर्मनी में ईरान की सत्ता के कार्यों का एक गढ़ है" स्थायी तौर पर बंद किया जा सकता है.

'हैम्बर्ग स्टेट ऑफिस फॉर दी प्रोटेक्शन ऑफ दी कॉन्स्टिट्यूशन' के मुताबिक, लोकतांत्रिक मूल्यों और संस्थानों पर संभावित खतरों की निगरानी करने वाली एक खुफिया एजेंसी ने बताया है कि आईजेडएच कथित इस्लामिक क्रांति के लक्ष्यों का समर्थन करता है.

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इन आदर्शों को जर्मन संविधान में दर्ज लोकतांत्रिक व्यवस्था के विपरीत बताया गया है. एजेंसी के अनुसार, आईजेडएच ने हालिया सालों में एक राष्ट्रव्यापी तंत्र विकसित कर लिया है और इसके माध्यम से वह दूसरे देशों के शिया लोगों, मस्जिदों और संगठनों के बीच भी अपना प्रभाव फैला रहा है. पाया गया कि कुछ पर तो आईजेडएच ने पूरी तरह से अपना नियंत्रण बना लिया है.

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खुद पर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए पिछले साल आईजेडएच ने कहा कि वह "हिंसा और कट्टरपंथ के हर रूप की निंदा करता है और उसने हमेशा ही शांति, सहिष्णुता और दूसरे धर्मों के साथ संवाद का समर्थन किया है."

हालांकि, आंतरिक मंत्रालय की राय इससे अलग है. उसका आरोप है कि भले ही यह समूह खुद को सहिष्णु और राजनीतिक संबंधों व राजनीतिक एजेंडा से मुक्त विशुद्ध धार्मिक संगठन की तरह पेश करता हो, लेकिन "कई जांचों में पुष्टि हो चुकी है कि आईजेडएच की गतिविधियों का स्वभाव केवल धार्मिक नहीं हैं."

एसएम/एए (डीपीए, एपी, एएफपी)