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ताइवान के साथ रिश्ते क्यों बढ़ा रहा है जर्मनी

३ अक्टूबर २०२२

जर्मन सांसदों का एक दल रविवार को ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचा. चीन इस तरह के कूटनीतिक दौरों को पसंद नहीं करता और इन पर नाराजगी जताता है. आखिर जर्मनी चीन को नाराज करके ताइवान के साथ रिश्ते क्यों बढ़ा रहा है?

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जर्मन सांसदों का ताइवान दौरा
जर्मन सांसदों का एक दल ताइवान के दौरे पर आया है, चीन ने इस दौरे का विरोध किया हैतस्वीर: ASSOCIATED PRESS/picture alliance

2019 में कोरोना की महामारी शुरू होने के बाद जर्मन सांसदों का यह पहला ताइवान दौरा है. रविवार को जब सांसद ताइपे पहुंचे तो एयरपोर्ट पर उप विदेश मंत्री ताह रे यूई उनकी अगवानी के लिये वहां मौजूद थे. जर्मनी संसद के बर्लिन-ताइपे संसदीय दोस्त समूह के सदस्य सांसदों का ताइपे दौरा गुरुवार तक चलेगा. समूह के चेयरमैन क्लाउस पेटर विल्श और पांच दूसरे सदस्य ताइपे में ताइवान के राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, संसद के स्पीकर, विदेश मंत्री, ताइवानी सांसदों और सुरक्षा से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे.

समूह के सदस्य दक्षिणी ताइवान के साइंस पार्क का भी दौरा करेंगे जो उच्च तकनीक और सप्लाई चेन की सुरक्षा के मामले में द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाना देने के लिए बनाया गया है. जर्मनी में ताइवान के प्रतिनिधि झाइ वे शीह भी जर्मन समूह के साथ ताइपे गये हैं. 

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ताइवान के साथ सहयोग

ये दौरा यह भी दिखा रहा है कि ताइवान के लिए जर्मनी के सहयोग पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति है. सत्ताधारी गठबंधन सरकार में शामिल तीनों दल ताइवान के साथ सहयोग बढ़ाने की बात कहते आ रहे हैं. पेटल वेल्श ने बताया कि जर्मन ताइवान संसदीय समूह ताइवान की संसद के साथ विदेश नीति के मामले में संबंध रखता है. विल्श का कहना है,"इस उद्देश्य के लिये प्रतिनधियों का दल थोड़े थोड़े अंतराल पर ताइवान आता है. हम अपनी संसद बुंडेसटाग में भी ताइवान की संसद के सदस्यों को ले जाते हैं."

जर्मन सांसदों का ताइवान दौरा
ताइवान के उप विदेश मंत्री ने जर्मन सांसदों की एयरपोर्ट पर अगवानी कीतस्वीर: Außenministerium Taiwan/dpa/picture alliance

जर्मन दल में शामिल ग्रीन पार्टी के सदस्य टिल स्टेफान ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि वर्तमान समय में ताइवान के साथ दोस्ती दिखाना जरूरी है. स्टेफान का कहना है कि ताइवान और चीन को लेकर जर्मनी की नीति कई सालों से नहीं बदली है. स्टेफान के मुताबिक अगर सांसद ताइवान नहीं जायेंगे तो यह बदलाव होगा. स्टेफान का कहना है कि ऐसे समय जब चीन ताइवान को धमकी दे रहा है तब वहां नहीं जाना ताइवान के लिए एक "नकारात्मक संकेत" होगा. स्टेफान ने यह भी कहा कि चीन को इस सहयोग में "दखल" नहीं देना चाहिये.

जर्मनी और ताइवान "दोस्त"

ताइवान के विदेश मंत्रालय ने जर्मन सांसदों की इस यात्रा के बारे में कहा है, "ताइवान और जर्मनी मजबूत सहयोगी हैं जो आजादी, लोकतंत्र, कानून के शासन, मानवाधिकार और संयुक्त रूप से कानून आधारित अंतराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा को लेकर मूल्यों को साझा करते हैं" ताइवान के विदेश विभाग ने रविवार को जर्मन दल की तस्वीर ट्वीटर पर जारी करते हुए लिखा, "समय और दूरी दोस्ती को कमजोर नहीं करते."

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चीन की तरफ से सैन्य खतरा बढ़ने के साथ ही जर्मनी ताइवान जलडमरुमध्य में सुरक्षा पर ध्यान दे रहा है. इसके लिए वह अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की भागीदारी बढ़ने का समर्थन करता है. इसके अलावा जर्मनी विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन में भी ताइवान की भागीदारी बढ़ाना चाहता है. चीन इस तरह के कदमों का विरोध करता रहा है और ताइपे को अंतरराष्ट्रीय रूप से अलग थलग रखना चाहता है.

चीन का विरोध

अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी की अगस्त के शुरुआत में ताइवान की यात्राके बाद चीन ने ताइवान के इर्दगिर्द बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास शुरू कर दिया था. इसी दौर में फ्रांस के सांसदों के एक दल ने भी ताइवान का सितंबर की शुरुआत में दौरा किया. अक्टूबर के आखिर में जर्मन संसद की मानवाधिकार समिति का एक दल भी ताइवान यात्रा की योजना बना रहा है.

जर्मन सांसदों का ताइवान दौरा
ताइवान की राष्ट्रपति साइ इंग वेन के साथ जर्मन सांसदों का दल तस्वीर: ASSOCIATED PRESS/picture alliance

चीन ने जर्मन सांसदों की इस यात्रा पर विरोध जताते हुए कहा है कि ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है.  चीन की सरकार ने जर्मन सांसदों से आग्रह किया है कि वो वन चाइना नीति का पालन करें और "स्वतंत्र ताइवान" अलगाववादी ताकतों के साथ अपने मेल जोल को तुरंत बंद कर दें. चीन के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, "चीन क्षेत्रीय एकता और राष्ट्रीय संप्रभुता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये जरूरी कदम उठायेगा."

सैन्य सहयोग नहीं कारोबार

जानकारों का मानना है कि ताइवान को मजबूत करने की दिशा में यूरोपीय देशों के लिये निवेश और कारोबार ज्यादा बढ़िया तरीका होगा. यूरोपीय देश वैसे भी इलाके में सैन्य गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहते. हालांकि जर्मनी ने इस साल अपना सैन्य जहाज ताइवान के जलडमरूमध्य में भेजा था. 

जर्मनी की भूमिका ताइवान में कारोबार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के क्षेत्र में ही ज्यादा होगी.  चीन के खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड के कारण जर्मनी एशिया में दूसरे देशों के साथ कारोबारी सहयोग बढ़ा रहा है और इस कड़ी में ताइवान भी शामिल है. ताइवान के साथ जर्मनी का सहयोग दोनों के लिये फायदेमंद साबित हो सकता है. दुनिया भर के लिये तैयार होने वाले सेमीकंडक्टरों का करीब आधार हिस्सा ताइवन की कंपनी टीएएमसी बनाती है.

जर्मनी के लिए एशियाई कारोबारी सहयोगी देशों में ताइवान पांचवें नंबर पर है. ताइवान यूरोप के दूसरे देशों के साथ उतना कारोबार नहीं करता जितना कि जर्मनी के साथ करता है. दोनों के बीच आपसी कारोबार सालाना 20 अरब यूरो से ज्यादा का है.

ताइवान में 1949 से ही स्वतंत्र सरकार है लेकिन चीन इस लोकतांत्रिक द्वीप को अपना क्षेत्र मानता है और ताइवान के साथ दूसरे देशों के संबंधों का विरोध करता है.

एनआर/ओएसजे (डीपीए)