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जर्मनी: नाजी नारा लगाने के लिए एएफडी नेता पर फिर जुर्माना

स्वाति मिश्रा
२ जुलाई २०२४

एएफडी के नेता ब्यॉर्न होएके को प्रतिबंधित नाजी नारा लगाने का दोषी पाया गया है. अदालत ने उनपर 16,900 यूरो का जुर्माना लगाया गया है. यह दूसरी बार है जब होएके पर यह गैरकानूनी नारा लगाने के लिए जुर्माना लगा है.

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कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान जर्मनी की धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के नेता ब्यॉर्न होएके.
हाले, जर्मनी के सेक्सनी-अनहाल्ट राज्य का एक शहर है. यहां की जिला अदालत ने थुरिंजिया में एएफडी के नेता ब्यॉर्न होएके को प्रतिबंधित नाजी नारा लगाने का दोषी मानते हुए उनपर जुर्माना लगाया. इससे पहले मई में भी इसी कोर्ट ने होएके पर जुर्माना लगाया था. तस्वीर: dts-Agentur/picture alliance

ब्यॉर्न होएके जर्मनी के थुरिंजिया राज्य में धुर-दक्षिणपंथी दल 'ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी' (एएफडी) के नेता हैं. हाले शहर में स्थित प्रांतीय अदालत ने जिस मामले में उनपर जुर्माना लगाया, वह प्रकरण दिसंबर 2023 से जुड़ा है, जब पार्टी के एक कार्यक्रम में होएके ने "आलेस फुअर डॉयचलैंड" का नारा लगवाया. जर्मन मीडिया 'साइट ऑनलाइन' के मुताबिक, इस कार्यक्रम में करीब 300 लोग मौजूद थे.

आरोप था कि यहां होएके ने पहले खुद "आलेस फुअर" कहा और भीड़ को "जर्मनी" कहने के लिए उकसाया. इस नारे का अतीत नाजी पार्टी से जुड़े पैरामिलिट्री संगठन 'श्टुर्मअब्टाइलुंग' (एसए) से है. वे इस नारे का इस्तेमाल करते थे. हिटलर के सत्ता में उदय के पीछे एसए की अहम भूमिका रही. नाजी सैल्यूट, नाजी नारों और उस दौर से जुड़े अन्य नाजी प्रतीकों के साथ ही यह नारा भी जर्मनी में गैरकानूनी है.

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हाले की जिला अदालत में अपने ऊपर चल रहे मुकदमे के दौरान एएफडी के नेता ब्यॉर्न होएके.
ब्यॉर्न होएके थुरिंजिया की प्रांतीय विधानसभा में एएफडी के विधायक दल के नेता हैं. वह आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रमुख उम्मीदवार भी हैं. तस्वीर: endrik Schmidt/dpa/picture alliance

होएके ने खुद को पीड़ित बताया था

जज ने कहा कि इस मामले में होएके का दोष स्पष्ट है और वह जानते थे कि नारा लगाकर वह अपराध कर रहे हैं. जज ने यह भी कहा कि स्पष्ट तौर पर होएके चाहते थे कि भीड़ नारे के शब्द पूरे करे. जज ने होएके के उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने खुद को राजनीतिक रूप से निशाना बनाए जाने का पीड़ित बताया था.

जज ने अपने बारे में बताया कि वह पिछले 30 सालों से भूतपूर्व पूर्वी जर्मनी की अदालतों द्वारा दिए गए फैसलों की समीक्षा कर रहे हैं और राजनीतिक तौर पर उत्पीड़न किए जाने के असली मामलों से परिचित हैं. 

डीपीए के मुताबिक, होएके ने जोर दिया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. उन्होंने कहा, "मैं इस केस में पूरी तरह निर्दोष हूं. मैं जानता हूं कि मुझे अपराधी ठहराया जाएगा, लेकिन मुझे यह न्याय संगत नहीं लगता है."

हाले में एएफडी नेता ब्यॉर्न होएके के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत के पहले दिन अदालत के बाहर जमा प्रदर्शनकारी.
जर्मनी के थुरिंजिया राज्य में एएफडी के नेता ब्यॉर्न होएके पर दो कार्यक्रमों में प्रतिबंधित नाजी नारे का इस्तेमाल करने के लिए जुर्माना लगाया जा चुका है. तस्वीर: IMAGO/dts Nachrichtenagentur

पहले भी इसी नारे के लिए लगा था जुर्माना

इससे पहले मई में भी 2021 की एक रैली में यही नारा इस्तेमाल करने के लिए कोर्ट ने होएके पर 13,000 यूरो का जुर्माना लगाया था. समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक, तब भी होएके ने दावा किया कि यह नारा आम बोलचाल में इस्तेमाल होता है. हालांकि, अभियोजन पक्ष की दलील थी कि होएके अच्छी तरह जानते थे कि यह मूल रूप से नाजियों का एक नारा था. होएके ने कोर्ट में खुद को पूरी तरह से निर्दोष बताते हुए कहा कि वह "कानून का पालन करने वाले नागरिक" हैं.

धुर-दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़ी एएफडी के नेता होएके ने दावा किया कि वह नहीं जानते थे कि एसए इस नारे का इस्तेमाल करता था. होएके इतिहास के शिक्षक रहे हैं. ऐसे में जज ने उनकी इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए अभियोजन पक्ष की इस दलील से सहमति जताई कि बतौर शिक्षक होएके को इस नारे की उत्पत्ति के बारे में जानकारी रही होगी. इस फैसले के बाद होएके ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "मैंने एक आम वाक्य इस्तेमाल किया, जो 16वीं सदी से ही जर्मन भाषा में दर्ज है." उन्होंने कहा कि "मैं अपराधी नहीं हूं."

ताजा मामले में अभियोजन पक्ष ने कहा कि चूंकि पहले भी इस नारे को लेकर होएके कानूनी मुश्किलों का सामना कर रहे थे, ऐसे में दूसरी बार यह नारा लगाते हुए उन्हें यह जानकारी थी कि इस स्लोगन की शुरुआत कैसे हुई है. इसपर होएके ने दलील दी कि उन्होंने भीड़ से यह उम्मीद नहीं की थी कि वह नारे को पूरा करेगी. लेकिन होएके के इस भाषण का वीडियो देखने के बाद जज उनके दावे से सहमत नहीं हुए.

एक टीवी कार्यक्रम के दौरान थुरिंजिया राज्य में विधानसभा चुनाव के टॉप उम्मीदवारों में से एक एएफडी के ब्यॉर्न होएके.
2017 में एक कार्यक्रम के दौरान ब्यॉर्न होएके ने जर्मनी में मनाए जाने होलोकॉस्ट स्मृति दिवस की आलोचना की थी. उन्होंने यूरोप में मारे गए यहूदियों के बर्लिन स्थित स्मारक को "शर्मिंदगी का स्मारक चिह्न" बताया था. इसके बाद एएफडी ने उन्हें निष्कासित करने की कोशिश की, जो कामयाब नहीं हुई. तस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

थुरिंजिया के आगामी चुनाव में जीत सकती है एएफडी

थुरिंजिया में एएफडी सबसे लोकप्रिय राजनीतिक दल है. सितंबर में यहां प्रदेश की विधायिका के लिए चुनाव होना है. 26 जून को जारी ताजा चुनावी सर्वेक्षणों में यहां एएफडी का जन समर्थन करीब 29 प्रतिशत है. 22.4 फीसदी समर्थन के साथ क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) दूसरे नंबर पर है.

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जर्मनी की मौजूदा गठबंधन सरकार के घटक दल एसपीडी को सात प्रतिशत, ग्रीन पार्टी को चार प्रतिशत और फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी (एफडीपी) को केवल 2.4 फीसदी समर्थन मिलता दिख रहा है. थुरिंजिया में एएफडी के जीतने की मजबूत संभावना है. 

होएके एएफडी के सबसे विवादित और चरमपंथी नेताओं में से एक बताए जाते हैं. वह थुरिंजिया की प्रांतीय विधानसभा में एएफडी के विधायक दल के नेता और विधानसभा चुनाव में पार्टी के प्रमुख उम्मीदवार हैं. एएफडी के चुनाव जीतने पर होएके के मुख्यमंत्री बनने की संभावना है.

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पहले भी विवादों में घिरते आए हैं ब्यॉर्न होएके

जर्मनी की एक अदालत ने 2019 में फैसला दिया था कि प्रदर्शनकारी उन्हें "फासिस्ट" बुला सकते हैं. इससे पहले एएफडी की कार्यकारी समिति ने 2015 के एक पत्र में होएके पर आरोप लगाया कि उन्होंने "लांडोल्फ लाडिष" के नाम से एक लेख लिखा, जो कि "नेशनल सोशलिज्म के बेहद नजदीक था." होएके ने इन आरोपों को स्वीकार नहीं किया, ना ही वह इस इनकार को हलफनामे में लिखकर दस्तखत करने पर तैयार हुए.

क्या जल्द ही जर्मनी के एक राज्य में बन सकती है "फासिस्ट" सरकार

2017 में ड्रेसडेन के एक कार्यक्रम में होएके ने जर्मनी में मनाए जाने होलोकॉस्ट स्मृति दिवस की आलोचना की थी. उन्होंने यूरोप में मारे गए यहूदियों के बर्लिन स्थित स्मारक को "शर्मिंदगी का स्मारक चिह्न" बताते हुए कहा, "अतीत के दबाव में आने की इस मूर्ख राजनीति ने हमें लाचार बना दिया है. हमें स्मृति की राजनीति पर 180 डिग्री का बदलाव चाहिए." इसके बाद पार्टी की संघीय कार्यकारी समिति ने होएके के विरुद्ध निष्कासन प्रक्रिया शुरू की, लेकिन थुरिंजिया की एक अदालत ने होएके के निष्कासन को खारिज कर दिया.