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राजनीतिताइवान

ताइवान: फॉक्सकॉन के अरबपति मालिक लड़ेंगे राष्ट्रपति चुनाव

२९ अगस्त २०२३

अरबपति टेरी गोउ ने कहा है कि अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में वह एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर हिस्सा लेंगे. उन्हें अपनी योग्यता साबित करने के लिए 2.9 लाख लोगों के हस्ताक्षर की जरूरत होगी.

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राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होने की घोषणा करने के बाद टेरी गोउ
टेरी गोउ होंगे ताइवान के 2024 राष्ट्रपति चुनावों में उम्मीदवारतस्वीर: Ann Wang/REUTERS

ताइवान के अरबपति कारोबारी टेरी गोउ ने अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में दावेदारी की घोषणा की है. उनकी कंपनी फॉक्सकॉन आईफोन की सबसे बड़ी उत्पादक है. गोउ ने इस मौके पर कहा, "मैंने 2024 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने का फैसला किया है."
ताइवान में राष्ट्रपति पद के चुनावों के लिए जनवरी 2024 में वोट डाले जाएंगे. इन चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर भाग लेने के लिए गोउ को 2.9 लाख लोगों के हस्ताक्षर की जरूरत होगी. गोउ खुद को एक ऐसा नेता बताते रहे हैं, जो चीन और ताइवान के बीच शांति स्थापित कर सकता है.

टेरी गोउ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए
टेरी गोउ ने 2019 में भी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने का प्रयास किया थातस्वीर: Ann Wang/REUTERS

केएमटी से नहीं मिला टिकट

गोउ की राष्ट्रपति बनने की इच्छा नई नहीं है. 2019 में भी वो उन्होंने इसी मंशा से फॉक्सकॉन के प्रमुख का पद छोड़ा था. हालांकि जब वह ताइवान की मुख्य विपक्षी पार्टी कुओमिंतांग या केएमटी के नामांकन का चुनाव नहीं जीत सके, तो उन्होंने अपने पांव पीछे खींच लिए थे.

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गोउ ने इस साल भी केएमटी से नामांकन की मांग की थी. लेकिन चीन से अच्छे संबंधों की वकालत करने वाली पार्टी ने उनके बजाए हू यू-ई को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया है. हू फिलहाल न्यू ताइपे सिटी के मेयर हैं. जिन्होंने हालिया पोल में काफी बुरा प्रदर्शन किया था.

चीन विरोध से बचने की करते हैं वकालत

अप्रैल की शुरुआत में गोउ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि चीन और अमेरिका के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा के बीच ताइवान को किसी की भी तरफदारी करने से बचना चाहिए. उन्होंने चीन से नफरत और ताइवान की आजादी की वकालत करने वाली डीपीपी पार्टी को वोट देने के खतरे से भी युवा मतदाताओं को चेताया था. गोउ का कहना था, "शांति को इतने हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. इसके लिए लोगों को सही फैसले लेने की जरूरत है."

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ताइवान के चुनावों में चीनी आक्रामकता का सामना और चीन-अमेरिका से ताइवान के संबंधों का मुद्दा इस बार भी अहम रहने वाला है. कुछ महीने पहले हुए एक सर्वे में यह भी पाया गया कि ताइवानी मतदाता इस बात से भी चिंतित हैं कि कहीं अमेरिका उन्हें अपने जाल में तो नहीं फंसा रहा है.

जीत की उम्मीद बेहद कम

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि गोउ के जीतने की उम्मीदें बहुत कम हैं. इसकी वजह सत्तारूढ़ पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के विरोध में तीन विपक्षी नेताओं का खड़ा होना है, जो डीपीपी की स्थिति को मजबूत बनाता है.

डीपीपी के उम्मीदवार लाई चिंग-ते अभी तक पोल में सबसे आगे चल रहे हैं. डीपीपी, ताइवान की चीन से पूरी तरह अलग छवि और ताइवानी स्वतंत्रता और संप्रभुता का दावा करती है. डीपीपी के नए राष्ट्रपति उम्मीदवार लाई चिंग-ते को, वर्तमान ताइवानी राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से भी ज्यादा कठोर रुख के लिए जाना जाता है.

एडी/एसएम (एएफपी, रॉयटर्स)