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स्वास्थ्यकेन्या

पूर्वी अफ्रीका में 5 करोड़ लोगों के सामने भुखमरी का संकट

२८ अक्टूबर २०२२

पूर्वी अफ्रीका में भयंकर अकाल की आशंका बढ़ती जा रही है, क्योंकि लगातार चौथे वर्ष भी बारिश नहीं हुई है.

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एक इथियोपियाई महिला खाद्य आपूर्ति को साफ करती हुई
एक इथियोपियाई महिला खाद्य आपूर्ति को साफ करती हुईतस्वीर: Claire Nevill/AP Photo/picture alliance

पूर्वी अफ्रीका में सूखा पड़ने की घटनाएं अकसर होती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में स्थिति बदतर हो गई है. क्षेत्रीय विकास के लिए काम करने वाली संस्था इंटरगवर्नमेंटल अथॉरिटी ऑन डेवलपमेंट (आईजीएडी) के कार्यकारी सचिव वर्केन गेबयेहु ने हाल ही में कहा कि सदस्य देशों सोमालिया, केन्या, युगांडा, जिबूती, इथियोपिया, दक्षिण सूडान और सूडान के 5 करोड़ लोगों के सामने भोजन का संकट पैदा हो गया है. इस मूल्यांकन में आईजीएडी के आठवें सदस्य देश इरीट्रिया को शामिल नहीं किया गया है. वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए बरकरार रखनी होगी मिट्टी की नमी

उत्तरी केन्या के कई इलाके वर्षों से बुरी तरह सूखे का सामना कर रहे हैं. मध्य केन्या के कुछ इलाकों में पर्याप्त मात्रा में अनाज का उत्पादन होता था, लेकिन अब यहां भी स्थिति विकराल होती जा रही है. फसलें सूख रही हैं, पैदावार घट रही है, भुखमरी की स्थिति बढ़ती जा रही है.

केन्या के तुर्काना क्षेत्र में कुछ माता-पिता अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए काफी ज्यादा संघर्ष कर रहे हैं. यहां के निवासी सुसान रोटेली ने डीडब्ल्यू को बताया, "अगर मैं झाड़ियों के बीच से जंगली फल खोजकर न लाऊं, तो इस घर के बच्चों को खाना तक नहीं मिलेगा.”

पशु पालकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले लोगों की स्थिति भी दयनीय हो चुकी है. जो पशु कभी उनकी आय का साधन हुआ करते थे अब उन पशुओं को जिंदा रखना भी बड़ी चुनौती बन गई है. पशुओं की मौत के बाद, उसके मृत शरीर के लिए भी कुछ लोग आपस में लड़ जाते हैं.

जोसेफ इवार भी पशुपालक हैं. इनके भी कई पशुओं की मौत हो गई है. लगातार बिगड़ती स्थिति की वजह से वे असहाय महसूस कर रहे हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "सूखे की वजह से मेरे कितने पशुओं की मौत हो गई, इसकी पूरी संख्या मुझे याद नहीं है. यह 100 से ज्यादा ही होगी. अब मेरे पास सिर्फ पांच पशु बचे हैं.” 

पशुपालक तेजी से अपने पशुओं को खो रहे हैं
पशुपालक तेजी से अपने पशुओं को खो रहे हैंतस्वीर: Michael Kwena/DW

जलवायु  परिवर्तन  और  सूखा

केन्या के तुर्काना क्षेत्र में 5 लाख से ज्यादा लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं. आपदा प्रबंधन और सूखा विभाग के राष्ट्रीय सचिव जेरमिया नामुया ने कहा कि पिछले चार वर्षों से बारिश नहीं होने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है.

उन्होंने कहा, "सूखे के पीछे की एक बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन भी है. इसका बड़ा खामियाजा अफ्रीका की गरीब आबादी को भुगतना पड़ रहा है. मुझे लगता है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्या को हल करने के मुद्दे पर पूरी दुनिया को विचार करना चाहिए. यह सिर्फ अफ्रीका में नहीं, बल्कि अन्य महाद्वीप के लोगों को भी प्रभावित करता है.”

पड़ोसी देश सोमालिया के कृषि मंत्री अहमद माडोब नुनोव के अनुसार, सूखे की वजह से 70 लाख से ज्यादा लोग मुसीबत में हैं. इन्हें तुरंत सहायता की जरूरत है. अक्टूबर की शुरुआत में नैरोबी में आयोजित आईजीएडी की बैठक में उन्होंने कहा, "इस संकट से निपटने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की जरूरत है. अगर हम तुरंत कुछ नहीं करते हैं, तो देश के कुछ हिस्से अकाल की चपेट में आ जाएंगे.”

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सोमालिया  का  संकट

सोमालिया वर्षों से इस्लामी चरमपंथी समूहों के विद्रोह की वजह से सुरक्षा संकट से जूझ रहा है. हाल में इस देश को टिड्डियों के हमले का सामना करना पड़ा और अब सूखे से निपटना होगा. जबकि, पूरी दुनिया की तरह यह देश कोरोना महामारी से अभी भी जूझ ही रहा है.

माडोब नुनोव के अनुसार, 2010-12 के संकट के बाद सोमालिया में अब फिर दूसरी बार अकाल का संकट मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2010 से अप्रैल 2012 के बीच सोमालिया में करीब 2.5 लाख लोगों की मौत हुई थी. इनमें आधे से ज्यादा बच्चे थे.

मौजूदा संकट के इस दौर में चरमपंथी संगठन अल-शबाब के लगातार हमलों की वजह से जरूरतमंद लोगों के बीच सहायता पहुंचाने में भी काफी ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. भोजन बांटते समय सहायता संगठनों के कर्मचारियों पर बार-बार हमले किए गए. कई की हत्या भी कर दी गई.

सोमालिया की तरह ही इथियोपिया भी आंतरिक संघर्ष से जूझ रहा है और अपनी आबादी को भुखमरी से बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. यहां भी केंद्र सरकार और टाइग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) के बीच गृहयुद्ध चल रहा है. इस युद्ध की वजह से टाइग्रे क्षेत्र के 10 लाख लोगों को सहायता नहीं मिल पा रही है.

आईजीएडी के गेबयेहु ने कहा कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा बहाल करने की दिशा में उम्मीद के मुताबिक सफलता न मिलने की वजह से खाद्य असुरक्षा और कुपोषण का स्तर बढ़ा है. अशांति की वजह से फसलों का उत्पादन बाधित हुआ है. आईजीएडी को उम्मीद है कि दक्षिण अफ्रीका में सरकार और विद्रोही समूह के बीच फिर से बातचीत शुरू हो सकती है और इस समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है.

युगांडा भी सूखे से बुरी तरह प्रभावित हुआ है
युगांडा भी सूखे से बुरी तरह प्रभावित हुआ हैतस्वीर: Badru Katumba/AFP/Getty Images

नकद  वितरण

रेड क्रॉस जैसी कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं सरकार को दरकिनार कर जरूरतमंद लोगों तक मोबाइल फोन के जरिए सीधे कैश ट्रांसफर कर रही हैं. केन्या में सरकार भी इसी तरह से कैश ट्रांसफर की योजना चला रही है. तुर्काना इलाके में राष्ट्रीय सूखा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के नेतृत्व में चल रही इस योजना ने जरूरतमंद लोगों को सहायता प्रदान की है.

नामुया ने कहा, "अगर कैश ट्रांसफर की यह योजना नहीं चलायी जाती, तो हालात बदतर हो जाते. हम आपातकाल के दौर में चले गए होते. कैश ट्रांसफर की योजना से संकट के इस दौर में काफी मदद मिली है.”

नैरोबी की बैठक में आईजीएडी के गेबयेहु ने 2030 तक भूख की समस्या दूर करने और बेहतर पोषण उपलब्ध कराने के लिए चार प्रमुख उपायों को रेखांकित किया. इसमें खाद्य असुरक्षा के मूल कारणों को चिह्नित करना, मौजूदा समय के मुताबिक खाद्य प्रणालियों को विकसित करना, किसी भी तरह के आने वाले खतरे के बारे में समय से पहले पता लगाने की प्रणाली विकसित करना और स्थायी कृषि को बढ़ावा देना शामिल है.

काफी  कुछ  करने  की  जरूरत

सोमालिया के कृषि मंत्री माडोब नुनोव ने बताया कि उनका देश खेती के तरीकों में बदलाव करने की कोशिश कर रहा है, ताकि बारिश पर निर्भरता कम की जा सके. उन्होंने कहा, "हमें बारिश के पानी को इकट्ठा करने के संसाधनों में निवेश करने की जरूरत है, क्योंकि सोमालिया में हम अकसर बाढ़ और सूखा दोनों का सामना करते हैं. हम पानी को जमा कर सकते हैं और सिंचाई के लिए उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे खेती के लिए बारिश पर निर्भरता कम हो जाएगी.”

इस बीच, स्थानीय सरकारें अपने-अपने देश में सबसे अधिक सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भोजन पहुंचा रही है. नामुया ने डीडब्ल्यू को बताया, "तुर्काना के पूर्वी हिस्से में कई टन राहत सामग्री वितरित किए गए हैं. हालांकि, यह काफी नहीं है. फिलहाल जितनी मदद पहुंचायी जा रही है वह कम है. जितने लोगों को मानवीय और आपातकालीन सहायता की जरूरत है उनकी आबादी काफी ज्यादा है. सभी लोगों को सहायता उपलब्ध कराने के लिए हमें और संसाधनों का इंतजाम करना होगा.”

रिपोर्ट: फेलिक्स मरिंगा

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