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कानून और न्यायभारत

नोटबंदी पर आ गया फैसला, एक असहमत जज ने क्या कहा

आमिर अंसारी
२ जनवरी २०२३

8 नवंबर 2016 की नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इसे सही बताया है लेकिन बेंच की एक जज इससे असहमत हैं.

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2016 में हुई थी नोटबंदी
2016 में हुई थी नोटबंदीतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Kakade

सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को नोटबंदी पर अपना फैसला सुना दिया. संविधान पीठ ने यह फैसला चार-एक के बहुमत से सुनाया है. एक जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बहुमत से अलग राय देते हुए नोटबंदी के फैसले को "गैरकानूनी" करार दिया है. पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे.

जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा 500 और 1,000 रुपये की श्रृंखला के नोटों को बंद करना कानून के माध्यम से किया जाना चाहिए, न कि अधिसूचना के जरिए से. जस्टिस नागरत्ना आरबीआई अधिनियम की धारा 26(2) के तहत केंद्र की शक्तियों के बिंदु पर बहुमत जजों के दृष्टिकोण से भी अलग थीं.

टैक्स विभाग खंगाल रहा है नोटबंदी के पुराने मामले

उन्होंने कहा, "अगर नोटबंदी का प्रस्ताव केंद्र सरकार की तरफ से है, तो यह आरबीआई की धारा 26(2) के तहत नहीं आता है." उन्होंने कहा धारा 26(2) के मुताबिक नोटबंदी का प्रस्ताव आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड से आना चाहिए था.

उन्होंने कहा, "आरबीआई की तरफ से दाखिल रिकॉर्ड्स को देखते हुए यह ध्यान देने वाली बात है कि नोटबंदी की सिफारिश केंद्र सरकार की तरफ से की गई थी. यह दिखाता है आरबीआई की तरफ से इसपर स्वतंत्र दिमाग नहीं लगाया है."

हालांकि उन्होंने यह माना कि असमान बुराइयों को दूर करने के लिए विमुद्रीकरण केंद्र की पहल थी. उन्होंने कहा, "बिना किसी संदेह के यह नेकनीयती से किया गया था.,.दूरदर्शिता का प्रदर्शन करता है. कोई सुझाव नहीं है कि यह राष्ट्र की बेहतरी के लिए सर्वोत्तम इरादों और नेक उद्देश्यों के अलावा किसी और चीज से प्रेरित था."

उन्होंने कहा कि अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के विशुद्ध रूप से कानूनी विश्लेषण पर ही इस कदम को गैरकानूनी माना गया है, न कि विमुद्रीकरण के उद्देश्य पर.

प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बीच सलाह-मशविरा हुआ था. कोर्ट ने माना कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि इसलिए उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है.

जस्टिस गवई ने अपने फैसले में कहा, "आर्थिक नीति के मामलों में बहुत संयम बरतना होगा, अदालत कार्यपालिका के ज्ञान को अपने विवेक से नहीं दबा सकती है." उन्होंने कहा यह नहीं कहा जा सकता कि पुराने नोट बदलने के लिए मिले 52 दिन सही नहीं थे.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह "प्रासंगिक नहीं है" कि उद्देश्य हासिल हुआ या नहीं.

विपक्षी दल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कोर्ट ने नोटबंदी के नतीजों पर टिप्पणी नहीं की है. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, "जिन चार जजों ने नोटबंदी की प्रक्रिया को सही ठहराया है, उन चार जजों ने नोटबंदी के परिणाम पर टिप्पणी नहीं की है. हमारी आपत्ति परिणाम पर थी, इससे एमएसएमई सेक्टर तबाह हो गया, लाखों लोगों की नौकरियां चली गई थीं."

वहीं बीजेपी ने इस फैसले का स्वागत किया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से बातचीत में कहा, "कोर्ट ने मान लिया है कि नोटबंदी की नीति और नीयत ठीक थी. नोटबंदी कालेधन पर नकेल के लिए थी." साथ ही उन्होंने कहा कि नोटबंदी करने से पहले आरबीआई से सलाह ली गई थी. रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि नोटबंदी पर कांग्रेस ने सियासी हंगामा किया. उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी का उद्देश्य गरीबों का कल्याण भी था. साथ ही कहा कि भारत में डिजिटल पेमेंट ने तेज गति पकड़ी है.

 नोटबंदी को चुनौती देते हुए 58 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला सुरक्षित रखते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने को कहा था. सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा था कि वह सिर्फ इसलिए हाथ जोड़कर नहीं बैठेगी क्योंकि यह एक आर्थिक नीति का फैसला है और कहा कि वह तरीके की जांच कर सकती है जिसमें फैसला लिया गया था. अब कोर्ट के इस फैसले से सभी 58 याचिकाएं खारिज हो गईं.

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कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में दावा किया गया था कि सरकार ने नोटबंदी के लिए जो प्रक्रियाएं अपनाईं उनमें बहुत सारी खामियां थीं. दावा किया गया था कि नोटबंदी सरकार की तरफ से मनमाने तरीके से लिया गया फैसला था. इसी आधार पर याचिकाओं में नोटबंदी को रद्द करने की मांग की गई थी.

500 और 1,000 के पुराने नोट बदलवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगीं थीं.
500 और 1,000 के पुराने नोट बदलवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगीं थीं.तस्वीर: Reuters/J. Prakash

केंद्र सरकार ने कोर्ट से क्या कहा था

केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बचाव में कहा था कि यह नकली नोट, काले धन और आतंकी फंडिंग की बुराइयों को रोकने लिए यह फैसला लिया गया था. केंद्र सरकार ने कहा था कि नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था का लाभ पहुंचा है. वहीं आरबीआई ने कोर्ट को बताया था बैंक की केंद्रीय बोर्ड की बैठक निर्धारित कोरम पूरा किया गया था, जिसने सिफारिश करने का फैसला किया था. उसने कहा था आरबीआई अधिनियम के तहत प्रक्रिया का पालन किया गया था. साथ ही आरबीआई ने कोर्ट को बताया था कि लोगों को पैसे बदलने के लिए मौके दिए गए थे.

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कागज के टुकड़े बने 500 और 1,000 के नोट

8 नवबंर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक से नोटबंदी की घोषणा की थी. राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में मोदी ने कहा था कि रात 12 बजे से 500 और 1,000 के नोट चलन से बाहर हो जाएंगे. उन्होंने कहा था इससे नकली नोट खत्म होंगे, काला धन खत्म होगा, बड़े नोटों को खत्म करना जिससे कालाधन जमा न किया जा सके और आतंकियों और नक्सलियों की फंडिंग रोकना शामिल हैं. नोटबंदी लागू होने के बाद कई दिनों तक लोग अपने पुराने 500 और 1,000 के नोट बदलवाने के लिए बैंकों के बाहर कई-कई घंटों तक लाइनों में खड़े रहे.