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स्वीडन की कंपनी भारत में बनाएगी चर्चित कार्ल-गुस्ताफ राइफल

२८ सितम्बर २०२२

स्वीडन की कंपनी साब अपनी सबसे चर्चित राइफल कार्ल-गुस्ताफ का निर्माण भारत में करेगी. कंपनी ने कहा कि उसने ऐसा अब तक किसी और देश में नहीं किया है.

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कार्ल-गुस्ताफ टैंक-रोधी राइफल है
कार्ल-गुस्ताफ टैंक-रोधी राइफल हैतस्वीर: Andrew Marienko/AP Photo/picture alliance

स्वीडन की हथियार बनाने वाली कंपनी साब (SAAB) भारत में फैक्ट्री लगाएगी और हथियारों का निर्माण करेगी. साब ने कहा है कि कंपनी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहती है और भारत में कार्ल-गुस्ताफ एम4 वेपन सिस्टम बनाएगी.

साब के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोर्गेन योहैनसन ने पत्रकारों को बताया कि यह फैक्ट्री 2024 में उत्पादन शुरू कर देगी. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि कंपनी भारत में कितना निवेश कर रही है. उन्होंने कहा कि नई फैक्ट्री ना सिर्फ हथियार बनाएगी बल्कि दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाले अन्य हथियारों के लिए उपकरण भी बनाएगी.

योहैन्सन ने कहा, "हमने ऐसा और किसी देश में नहीं किया है.”

कार्ल-गुस्ताफ एम4 एक राइफल है जिसे भारतीय सेना इस्तेमाल करती है. भारत में लगाई जा रही फैक्ट्री में इसी राइफल का अतिरिक्त उत्पादन होगा. हाल के सालों में कार्ल-गुस्ताफ में विभिन्न सेनाओं की दिलचस्पी बढ़ी है. खासतौर पर यूक्रेन युद्ध के बाद यह राइफल चर्चा में रही है. कुछ महीने पहले ही कंपनी ने ऐलान किया था कि इस राइफल का उत्पादन बढ़ाया जाएगा. योहैन्सन ने कहा, "आने वाले दिनों में और ज्यादा देश टैंक-रोधी क्षमता चाहेंगे.”

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यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद, जिसे वह ‘विशेष सैन्य अभियान' कहता है, बहुत सारे देशों ने अपना रक्षा खर्च बढ़ाया हैऔर ज्यादा हथियार खरीदने शुरू कर दिए हैं. इनमें साब का देश स्वीडन भी शामिल है.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार खरीददार है. उसके सबसे ज्यादा हथियार रूस से आते हैं. लेकिन हाल के वर्षों में उसने अपने यहां हथियार उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया है और वह हथियारों का निर्यात बढ़ाने की कोशिश भी कर रहा है.

भारत का रिकॉर्ड निर्यात

पिछले कुछ वर्षों में भारत का निर्यात बढ़ा भी है. आठ साल पहले भारत लगभग 10 अरब रुपये के रक्षा उत्पादों का निर्यात करता था. मंगलवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अब भारत के रक्षा उत्पादों का निर्यात बढ़कर 130 अरब रुपये का हो चुका है.

हथियार निर्माताओं की एक बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री ने कहा, "हमने 2025 तक 1.75 खरब रुपये के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है जिसमें 350 अरब रुपये का निर्यात लक्ष्य भी शामिल है.”

भारत सरकार के मुताबिक बीते पांच साल में ही देश का रक्षा निर्यात 334 प्रतिशत बढ़ चुका है और अब देश 75 देशों को सैन्य उपकरण और गोला-बारूद निर्यात कर रहा है. 

हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, "भारत का रक्षा क्षेत्र जो दूसरी सबसे बड़ी सेना है, एक क्रांतिकारी दौर में है. पिछले पांच साल में रक्षा निर्यात 334 प्रतिशत बढ़ा है.” सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 2022-23 की पहली तिमाही में ही 1,387 करोड़ रुपये का निर्यात किया है.

बीते साल यानी 2021-22 में भारत का रक्षा उपकरणों और तकनीकों का निर्यात 12,815 करोड़ रुपये रहा था जो अब तक का सर्वाधिक है. 2020-21 के मुकाबले यह 54.1 फीसदी ज्यादा था. 2020-21 में भारत का निर्यात 8,434 करोड़ रुपये और उससे पिछले साल 9,115 करोड़ रुपये रहा था.

आयात कम करने की कोशिश

बीते कुछ सालों में भारत सरकार ने ऐसे कई नीतिगत फैसले किए हैं कि देश में हथियारों के निर्माण को बढ़ावा दिया जाए. ‘मेक इन इंडिया' नीति के तहत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार विदेश कंपनियों को अपने यहां न्योता देते रहे हैं. उनकी सरकार ने इस क्षेत्र में विदेशी निवेश की प्रक्रिया को आसान किया है और उसकी सीमा को बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया है.

ड्रोन-सेना जिताएगी युद्ध?

इसके अलावा भारत ने दो रक्षा उत्पादन गलियारे भी स्थापित किए हैं. इनमें से एक उत्तर प्रदेश में है और दूसरा तमिलनाडु में. इनका मकसद देश में ही हथियारों का निर्माण करना और सेना को सप्लाई करना है ताकि हथियारों का आयात घटाया जा सके. ऐसे उपकरणों और हथियारों विशेष सूचियां बनाई गई हैं जिन्हें बाहर से खरदीने की जरूरत ना पड़े और स्वदेशी निर्माण से सेना की जरूरतों को पूरा किया जा सके. पहली सूची में 2,851 हथियार और उपकरण शामिल हैं जिनमें से 2,500 का भारत में निर्माण करने की तैयारी हो चुकी है.

दूसरी सूची में 107 उपकरण हैं और तीसरी में 101. इन सूचियों में हल्के टैंक, हेलीकॉप्टर और यूएवी विमान शामिल हैं. इन हथियारों को स्वदेश में बनाने के लिए इनके आयात पर निश्चित समय के बाद अस्थायी प्रतिबंध जैसे कदम उठाने का भी विचार है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)