अमेरिका के साथ मिलकर ड्रोन बनाएगा भारत
२३ सितम्बर २०२२पेंटागन के इस अधिकारी ने कहा है कि भारत इन ड्रोनों का निर्माण अमेरिका की मदद से करेगा और इन ड्रोन को सहयोगी देशों को बेचा भी जाएगा. भारत अपने हथियारों की क्षमता को लगातार बढ़ाने की कोशिश में जुटा है. इसी क्रम में वह देश में ही हथियार उद्योग विकसित करना चाहता है, जिससे उसकी हथियार के लिए रूस पर निर्भरता भी कम हो जाए. भारत के पास अब तक अधिकतर हथियार रूसी हैं.
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हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा सचिव एली रैटनर ने पत्रकारों और रक्षा विशेषज्ञों के एक समूह से कहा, "हम दोनों मोर्चों पर भारत का समर्थन करना चाहते हैं और ऐसा कर रहे हैं."
रैटनर ने आगे कहा, "व्यावहारिक रूप से, इसका मतलब है कि हम सह-उत्पादन और सह-विकासशील क्षमताओं पर भारत के साथ मिलकर काम करने जा रहे हैं जो भारत के अपने रक्षा आधुनिकीकरण लक्ष्यों का समर्थन करेंगे."
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भारत सहयोगी देशों को निर्यात करेगा ड्रोन
उन्होंने कहा भारत तब "दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया समेत पूरे क्षेत्र में अपने भागीदारों को सस्ती कीमत पर निर्यात कर सकता है."
रैटनर ने हवाई जहाज और एंटी ड्रोन डिफेंस सिस्टम से लॉन्च किए जाने वाले ड्रोन विकसित करने की संभावनाओं की ओर भी इशारा किया.
उन्होंने यह भी कहा कि पेंटागन निकट और मध्यम अवधि में "प्रमुख क्षमताओं के सह-उत्पादन के अवसरों" पर विचार कर रहा है. लेकिन यह नहीं बताया कि वे कौन से हथियार होंगे या तकनीक होंगी.
पेंटागन के अधिकारी ने कहा, "हम भारत सरकार में अपने समकक्षों के साथ उस संबंध में अपनी प्राथमिकताओं के बारे में उच्चतम स्तर पर अच्छी बातचीत कर रहे हैं. हमें इस मोर्चे पर बहुत पहले घोषणा करने की उम्मीद है."
ट्रंप और मोदी ने रिश्तों को मजबूत किया
अमेरिका और भारत के बीच संबंध कई वर्षों से परेशानी भरे थे, लेकिन एक आक्रामक चीन को देखते हुए दोनों देश के प्रमुखों को करीब ले आया. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में दोनों देश और करीब आ गए.
2016 में अमेरिका ने भारत को "प्रमुख रक्षा भागीदार" के रूप में नामित किया था और तब से दोनों देशों ने ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जो शीर्ष-श्रेणी के हथियारों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करते हैं और सैन्य सहयोग को गहरा करते हैं.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)