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खेलचीन

खिलाड़ी जीते, चीन भी जीता, फिर ओलंपिक करानेवाले कैसे हारे?

विशाल शुक्ला
२२ फ़रवरी २०२२

बीजिंग विंटर ओलंपिक्स का आयोजन सफलतापूर्वक कराके चीन ने भले अपना लोहा मनवा लिया हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति यहां हारती दिख रही है.

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बीजिंग ओलंपिक का समापन
बीजिंग ओलंपिक का समापनतस्वीर: Sebastian Bozon/AFP/Getty Images

चीन की राजधानी बीजिंग में 4 से 20 फरवरी के बीच विंटर ओलंपिक्स आयोजित हुए. दुनिया के 91 देशों से तीन हजार खिलाड़ियों ने इसमें हिस्सा लिया. 15 खेलों के 109 इवेंट आयोजित कराए गए और चीन ने इस आयोजन पर करीब तीन खरब रुपए खर्च किए. नतीजों में 16 गोल्ड मेडल्स के साथ नॉर्वे ने बाजी मारी. जर्मनी दूसरे, चीन तीसरे और अमेरिका चौथे नंबर पर रहा. हालांकि, यह आयोजन सिर्फ खेलों के लिए ही याद नहीं रखा जाएगा.

विंटर ओलंपिक्स की शुरुआत होने के कहीं पहले से चीन वैश्विक स्तर पर चार मुद्दों पर आलोचनाएं झेल रहा था. शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के दमन के आरोप में, चीन में लोगों की निगरानी और उन्हें बाहरी मीडिया का इस्तेमाल न करने देने के आरोप में, हांग कांग में लोकतंत्र-समर्थक विरोध प्रदर्शनों को दबाने के आरोप में और ताइवान पर जोर दिखाने के आरोप में.

समापन समारोह में आईओसी प्रमुख थॉमस बाख और चीन के राष्ट्रपति शिन जिनपिंग
समापन समारोह में आईओसी प्रमुख थॉमस बाख और चीन के राष्ट्रपति शिन जिनपिंगतस्वीर: picture alliance / ASSOCIATED PRESS

वैश्विक राजनीति पर निगाह रखनेवाले जानकार और आलोचक मानते हैं कि चीन ने विंटर ओलंपिक्स आयोजन का इस्तेमाल दुनिया में अपनी छवि चमकाने और साख बढ़ाने के लिए किया. शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन ऐसी ताकत के रूप में उभरा है, जो अपने फैसलों को लेकर पश्चिमी देशों की राय की परवाह करता नहीं दिखता है. पर जानकार इसे ज्यादा दिलचस्प मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति यानी IOC इस पूरे दौरान 'तटस्थ होने' की बात ही दोहराती रह गई.

कहां से हुई शुरुआत?

जहां भी ओलंपिक खेल आयोजित होते हैं, वहां एक बड़ी मशाल जलाई जाती है. इसे जलाने के लिए जिन खिलाड़ियों को चुना जाता है, उसे बड़े सम्मान की बात माना जाता है. चीन ने इसके लिए नॉर्डिक कंबाइंड खिलाड़ी झाओ जिआवेन और उइगर मूल के स्कीइंग खिलाड़ी डिनिगीर यिलामुजिआंग को चुना.

कई सरकारों और मानवाधिकार संगठनों ने इसकी आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत लिंडा थॉमस ने कहा कि चीन ने उइगर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन से ध्यान हटाने के लिए ऐसा किया है. ऐसे में IOC की ओर से बयान आया कि उसने चीन के इस कदम को एक 'प्यारे विचार' के तौर पर देखा. समिति ने कहा कि यिलामुचिआंग के नाम का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए उसने इस मामले को नस्लीय निगाह से नहीं देखा था.

इसमें दिक्कत क्या थी?

मसला यह है कि विंटर ओलंपिक्स शुरू होने से पहले ही अमेरिका समेत कई देशों ने चीन में हो रहे इस आयोजन का राजनयिक बहिष्कार किया था. चीनी हुकूमत ने इसकी आलोचना करते हुए कहा था कि विंटर ओलंपिक्स का राजनीतिकरण किया जा रहा है और चीन की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. चीन ने कथित तौर पर विदेशी खिलाड़ियों को चेतावनी भी दी कि वे आयोजन में ऐसा कोई भाषण न दें, जो ओलंपिक भावना के खिलाफ हो.

बीजिंग ओलंपिक का समापन
बीजिंग ओलंपिक का समापनतस्वीर: Xinhua/imago images

IOC ने भी इस बात का समर्थन किया. समिति ने कहा था कि ओलंपिक खेलों का राजनीतिकरण एक 'खतरनाक मिसाल' स्थापित कर सकता है और इससे खेलों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है. यहां तक सब कुछ नियमों के अनुरूप ही लग रहा था, लेकिन जब ओलंपिक खेल शुरू हुए, तो चीन के फैसलों ने दुनियाभर का ध्यान खींचना शुरू किया. अब बाकियों के साथ-साथ IOC भी दर्शक की भूमिका में थी.

किन फैसलों की हो रही है आलोचना

चीनी सरकार ने बार-बार कहा कि ओलंपिक्स को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन उद्घाटन समारोह की परेड में उस वॉर हीरो यानी सैनिक को मशाल थमाई गई, जो भारत-चीन सीमा पर हुई झड़प का हिस्सा रहा था. ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शामिल हुए. वह भी ऐसे वक्त में, जब रूस और यूक्रेन विवाद चरम पर है. इस विवाद की वजह से रूस और पश्चिमी देशों के रिश्तों में गहरा तनाव है. ऐसे में शी जिनपिंग पर आरोप लगे कि पुतिन से मुलाकात करके वह ओलंपिक मंच का इस्तेमाल पश्चिम को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं.

चीनी मीडिया प्रसारक सीसीटीवी की एक रिपोर्ट बताती है कि अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडिस के साथ मुलाकात में शी ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि अर्जेंटीना उनके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का हिस्सा बने. इसे लेकर भी चीन की आलोचना हुई कि उसने भूराजनीति के एक मामले में बढ़त हासिल करने के लिए ओलंपिक मंच का इस्तेमाल किया.

बीजिंग आयोजन समिति ने 4 से 17 फरवरी के बीच रोजाना एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. 16 फरवरी तक इसमें उइगर मुस्लिमों, हांग कांग और ताइवान के मुद्दे पर जब भी कोई सवाल पूछा गया, तो आधिकारिक तौर पर इसका एक ही जवाब आया कि यह ओलंपिक संबंधी प्रेस कॉन्फ्रेंस है, इसलिए इसमें किसी राजनीतिक मुद्दे पर जवाब नहीं दिया जाएगा. लेकिन, 17 फरवरी को ऐसे ही सवालों के जवाब में समिति के एक प्रवक्ता ने उत्पीड़न के सभी आरोपों को झूठ बताया.

बीजिंग आयोजन समिति के एक अधिकारी की ओर से ऐसे बयान के बाद IOC ने आयोजकों के साथ तुरंत एक बैठक बुलाई. इसमें IOC के अध्यक्ष थॉमस बाख ने राजनीतिक रूप से तटस्थ रहने की प्रतिबद्धता जताई, लेकिन तब तक संदेश जा चुका था. इस घटना को इस नजरिए से देखा गया कि चीन मानवाधिकार हनन की अपनी छवि से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, इसके बाद कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं होनी थी, तो IOC या बाख के पास कोई खास विकल्प बचा नहीं था.

थॉमस बाख पर भी सख्त हैं सुर

पिछले साल नवंबर में चीन की महिला टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई ने देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री झांग गाओली पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. फिर कुछ समय बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वाइबो पर की गई उनकी पोस्ट गायब हो गई. इसके बाद कई दिनों तक शुआई सार्वजनिक तौर पर दिखाई नहीं दीं. सेरेना विलियम्स से लेकर नाओमी ओसाका जैसी मशहूर खिलाड़ियों ने उनके लिए चिंता जताई. फिर कुछ समय बाद शुआई ने ऑनलाइन आकर दावा किया कि वह ठीक हैं.

यौन उत्पीड़न के आरोपों से पलटीं पेंग शुआई, कहा, 'कभी कोई आरोप नहीं लगाया'

अब शुआई ओलंपिक आयोजन में शामिल हुईं. यहां उन्होंने एक फ्रांसीसी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने कभी किसी पर यौन उत्पीड़न का कोई आरोप नहीं लगाया था. आयोजन के दौरान उनकी बाख से निजी मुलाकात भी हुई थी, जिसके बाद बाख ने कहा, "हमें जो कहना था, वह हम कह चुके हैं. यह उनकी जिंदगी है और उनकी कहानी है. इसलिए इस बारे में क्या बात करनी है और क्या स्थिति बतानी है, यह भी पेंग शुआई के ही ऊपर है."

इस इंटरव्यू के बाद फ्रांसीसी पत्रकार ने कहा था कि वह यह कहने के स्थिति में नहीं हैं कि पेंग शुआई सुरक्षित हैं या नहीं. यहां तक कि विमिंस टेनिस एसोसिएशन ने बार-बार चिंता जताई कि क्या शुआई वाकई आजाद हैं. चीन के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुलकर कह रहे हैं कि शुआई दबाव में खुलकर कुछ कह नहीं पा रही हैं. इस मामले में बाख पर खासतौर पर कोई जिम्मेदारी भरा कदम न उठाने का आरोप लगाया गया.

कामिला के मुद्दे पर निशाने पर IOC

विंटर ओलंपिक्स में हिस्सा लेने वाली रूस की 15 साल की फिगर स्केटर कामिला वालिएवा खेल से पहले होने वाले ड्रग टेस्ट में फेल हो गईं. इसके बावजूद उन्हें खेल में हिस्सा लेने दिया गया. कामिला को कई मौकों पर पीढ़ी की सबसे काबिल खिलाड़ी का तमगा दिया जा चुका है. उन्हें ओलंपिक्स में स्वर्ण पदक का दावेदार माना जा रहा था. फिर कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट ने जल्दबाजी में सुनवाई के बाद कामिला को मुकाबले में उतरने की मंजूरी दे दी. कोर्ट ने कहा कि उन्होंने कामिला की कम उम्र को देखते हुए यह फैसला लिया है.

डोपिंग में फंसने पर भी रूसी एथलीट मुकाबले में हिस्सा लेगी

वहीं IOC ने उनके खेल से पहले ही कह दिया था कि अगर कामिला पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर आती हैं, तो उनके खेल में अवॉर्ड सेरेमनी आयोजित नहीं की जाएगी. ऐसा कामिला के केस की वजह से किया जाता. असल में IOC की अपील पर ही कोर्ट ने आनन-फानन में उनके मामले की सुनवाई की थी. इसमें कोर्ट से कहा गया कि उनके दादा की दिल की दवाई के साथ कुछ गफलत हो गई थी. अपने खेल के दौरान कामिला गिर गई थीं. वह चौथे नंबर पर रहीं. बाद में बाख ने कहा कि खेल खत्म होने पर कामिला का समूह जिस ठंडे तरीके से उनके साथ पेश आया, वह निराशाजनक था.

हालांकि, इस बयान के बाद उनके आलोचकों ने कहा कि असल में उन्हें इस दिशा में कदम उठाने चाहिए. आलोचकों ने कहा कि बाख को जिनपिंग और पुतिन से करीबी रिश्तों में ऐतराज नहीं है, लेकिन ड्रग्स के शिकार हो रहे खिलाड़ियों के लिए वह कुछ करते नजर नहीं आ रहे हैं. अब कामिला के मामले को पश्चिमी आलोचक IOC का कुप्रबंधन करार दे रहे हैं और चीनी राष्ट्रवादी इसे रूस के खिलाफ अमेरिकी साजिश बतला रहे हैं.

आर्टिफिशियल बर्फ का मुद्दा

बीजिंग में पहली बार ऐसा हुआ है, जब विंटर ओलंपिक्स सौ की सौ फीसदी आर्टिफिशियल बर्फ पर आयोजित किए गए. दरअसल बीजिंग के जिस इलाके में खेल आयोजित किए गए, वहां इतनी बर्फ थी ही नहीं कि विंटर ओलंपिक्स आयोजित कराए जा सकें. तो मशीनों के बूते 12 लाख क्यूबिक मीटर आर्टिफिशियल स्नो तैयार की गई. शी जिनपिंग ने दावा किया कि यह इतिहास का सबसे ग्रीन ओलंपिक आयोजन है. हालांकि, पर्यावरणविद इस दावे से असहमत हैं.

जलवायु परिवर्तन की वजह से शीतकालीन खेलों के अस्तित्व पर संकट

चीन के अपने अनुमान के मुताबिक बर्फ बनाने में 6 करोड़ डॉलर का खर्च आया और 5 करोड़ गैलन पानी लगा. वह भी ऐसे शहर में, जहां दो करोड़ से ज्यादा लोग न जाने कितने दशकों से पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं. अब IOC एक तरफ तो कह रही थी कि इस पूरे आयोजन से पर्यावरण को कम से कम नुकसान होगा, लेकिन इसी की एक रिपोर्ट यह भी कहती है कि चीन ने बर्फ बनाने में जितना पानी लगना था, उसे कम आंका था और बर्फ पिघलने से जितना पानी मिलने का अनुमान लगाया था, वह ज्यादा था.

ओलंपिक खेलों के समापन पर बाख ने कहा कि दुनियाभर के नेताओं को खिलाड़ियों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने शांति और एकजुटता की नजीर पेश की. बाख ने खिलाड़ियों से कहा कि उनके देश विवादों की वजह से बंटे हुए हैं, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का सम्मान करते हुए अच्छा उदाहरण पेश किया. वहीं आलोचक भी अपनी बात पर टिके हैं कि कोरोना जैसी महामारी के इस दौर में चीन ने विंटर ओलंपिक्स का आयोजन तो सफलतापूर्वक कर लिया, लेकिन इसका इस्तेमाल अपनी छवि चमकाने और ताकत दिखाने के लिए किया है.

 

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