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ऑस्ट्रेलिया में कोयले से बिजली का उत्पादन सबसे निचले स्तर पर

४ सितम्बर २०२४

अगस्त के आखिरी सप्ताह में ऑस्ट्रेलिया में बनी सारी बिजली में आधी से कम हिस्सेदारी कोयले से बनी बिजली की थी. यह पहली बार हुआ है. यहां पवन ऊर्जा से बनी बिजली में बढ़ोतरी हुई है.

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ऑस्ट्रेलिया के न्यू कासल में कोयला विरोधी प्रदर्शन
ऑस्ट्रेलिया में बढ़ रहा है अक्षय ऊर्जा का उत्पादनतस्वीर: Roni Bintang/Getty Images

अगस्त में पहली बार ऐसा हुआ कि ऑस्ट्रेलिया में कोयले से आधे से भी कम बिजली पैदा की गई, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है. इस दौरान नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन में तेजी आई, जो देश के कुल उत्पादन का 48.7 प्रतिशत रहा. यह जानकारी बुधवार को जारी आंकड़ों में सामने आई.

बिजली उत्पादन पर नजर रखने वाली संस्था ओपन-एनईएम के अनुसार, कोयले से 49.1 प्रतिशत बिजली का उत्पादन हुआ, जबकि तूफानी मौसम के चलते पवन ऊर्जा में बढ़ोतरी देखी गई.

ऑस्ट्रेलिया दुनिया के प्रमुख कोयला और गैस निर्यातक देशों में से एक है और अब तक उसने बिजली उत्पादन के लिए ज्यादातर जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता बनाए रखी है. हालांकि जलवायु वित्त विशेषज्ञ टिम बकली के अनुसार, अगस्त के रिकॉर्ड आंकड़े तूफानी मौसम और वसंत की गर्म शुरुआत के कारण हैं, जिससे बिजली ग्रिड पर मांग में 20 प्रतिशत तक की कमी आई.

देश के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में 150 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार से चलने वाली हवाओं ने पवन ऊर्जा उत्पादन को लगभग दोगुना कर दिया. बकली ने एएफपी को बताया, "यह ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में कोयले का ऐतिहासिक रूप से सबसे कम योगदान है और दिखाता है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं. कुछ ही वर्षों में कोयले का योगदान लगभग शून्य हो जाएगा."

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2022-2023 में, देश की कुल ऊर्जा खपत का 91 प्रतिशत जीवाश्म ईंधनों से आया था, जिसमें बिजली उत्पादन के अलावा परिवहन और उद्योग में इस्तेमाल होने वाला ईंधन भी शामिल है.

अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ता ऑस्ट्रेलिया

ऑस्ट्रेलिया के 16 कोयला आधारित पावर स्टेशनों में से अधिकांश को अगले कुछ वर्षों में बंद कर दिया जाएगा. इसके चलते सरकार और उद्योग दोनों नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से निवेश कर रहे हैं.

बुधवार को सरकार ने दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और विक्टोरिया राज्यों में छह बैटरी परियोजनाओं की घोषणा की, जो 2027 तक 1,000 मेगावाट भंडारण की सुविधा प्रदान करेंगी.

ऊर्जा मंत्री क्रिस बोवेन ने कहा कि ऊर्जा स्रोतों में बदलाव जरूरी है क्योंकि "जलवायु की मांग और आर्थिक वास्तविकता इसकी मांग करती है." उन्होंने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अब उचित समाधान तुरंत लागू करने होंगे जिससे कि ऑस्ट्रेलिया की ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकें."

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बकली बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा रहा है, लेकिन वह अन्य देशों से पीछे है. उन्होंने कहा, "चीन ने नवीकरणीय ऊर्जा में ऑस्ट्रेलिया को पीछे छोड़ दिया है. चीन हर साल स्वच्छ तकनीक में लगभग दस खरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (67.1 करोड़ डॉलर) का निवेश कर रहा है. चीन एक सप्ताह में जितनी नई नवीकरणीय क्षमता स्थापित करता है, उतनी ऑस्ट्रेलिया एक साल में करता है."

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पिछले सप्ताह, ऑस्ट्रेलिया के ऊर्जा नियामक ने चेतावनी दी कि आने वाले दशकों में बढ़ती मांग को देखते हुए नवीकरणीय ऊर्जा बाजार में निवेश जारी रखना जरूरी है, ताकि ब्लैकआउट से बचा जा सके.

कोयला अब भी सबसे ऊपर

जलवायु परिवर्तन में कोयले का योगदान सबसे ज्यादा है. इसके बावजूद इसका इस्तेमाल कम नहीं हो रहा है. 2023 में दुनिया के कुल बिजली उत्पादन में कोयले का इस्तेमाल 35 फीसदी रहा. ब्रिटेन के थिंक टैंक एंबर के मुताबिक 2023 में कोयले से बिजली बनाने की दर सबसे ऊंचे स्तर पर (35 फीसदी) पहुंच गई. इसमें 2022 के मुकाबले 1.4 फीसदी की वृद्धि हुई.

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कोयले से बिजली बनाने में दक्षिण अफ्रीका सबसे ऊपर रहा. उसके कुल बिजली उत्पादन का 81.1 फीसदी हिस्सा कोयले से हुआ. 75 फीसदी बिजली उत्पादन कोयले से कर भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर था. कोयले से सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन करने वाले देशों में तीसरे नंबर पर कजाखस्तान है जो अपनी 66.7 फीसदी बिजली कोयले से बनाता है. उसके बाद फिलीपींस (61.9 फीसदी), इंडोनेशिया (61.8 फीसदी), पोलैंड (61 फीसदी), चीन (60.7 प्रतिशत), वियतनाम (46.8 प्रतिशत), ऑस्ट्रेलिया (46.4 फीसदी) और ताइवान (43.7 प्रतिशत) का नंबर है.

रिपोर्ट कहती है कि चीन, भारत, अमेरिका और जापान 2023 में कोयले से दुनिया की सबसे ज्यादा बिजली बनाने के लिए जिम्मेदार थे. दुनिया में कोयले से कुल बिजली उत्पादन का 79 फीसदी इन्हीं चार देशों में हुआ.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)

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