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अफ्रीका में दबदबे को लेकर चीन-अमेरिका की होड़

१० जनवरी २०२३

दिसंबर 2022 में हुए अमेरिका और अफ्रीकी देशों के सम्मेलन से पहले चिन गांग ने कहा था कि अफ्रीका के देशों पर पश्चिमी संस्थाओं का तीन गुना ज्यादा कर्ज है. उस समय चिन, अमेरिका में चीन के राजदूत थे.

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कर्ज कूटनीति के अलावा चीन पर "पैलेस डिप्लोमैसी" के भी आरोप लगते हैं. इस टर्म का आशय है कि चीन, अफ्रीका में बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर योजनाओं में पैसा देकर अफ्रीकी सरकारों में अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है.
कर्ज कूटनीति के अलावा चीन पर "पैलेस डिप्लोमैसी" के भी आरोप लगते हैं. इस टर्म का आशय है कि चीन, अफ्रीका में बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर योजनाओं में पैसा देकर अफ्रीकी सरकारों में अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है. तस्वीर: Li Xueren/AP

चीन के नए विदेश मंत्री चिन गांगअपने कार्यकाल के पहले विदेशी दौरे पर हैं. एक हफ्ते की अपनी इस यात्रा में वो पांच अफ्रीकी देश जाएंगे. ये पांच देश हैं- इथियोपिया, गाबोन, अंगोला, बेनीन और मिस्र. साथ ही, इस यात्रा के दौरान वह इथियोपिया स्थित अफ्रीकन यूनियन के मुख्यालय भी जाएंगे. इस कार्यक्रम के बारे में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने और जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि यह दौरा बताता है कि चीन, अफ्रीका के साथ अपनी दोस्ती और चीन-अफ्रीका रिश्तों को कितनी अहमियत देता है.

अफ्रीका का बड़ा पार्टनर है चीन

चिन गांग ने 30 दिसंबर को पद संभाला है. उनकी यह यात्रा चीनी विदेश मंत्रियों की करीब तीन दशक पुरानी परंपरा के क्रम में है. पिछले करीब 33 सालों से चीनी विदेश मंत्री साल की शुरुआत में अफ्रीका के दौरे पर जाते रहे हैं. चीन, अफ्रीका का बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर और खनन से जुड़ी परियोजनाओं में चीन बड़ा निवेशक है. 2003 में जहां अफ्रीका में चीन का सीधा विदेशी निवेश करीब 7.5 करोड़ डॉलर का था, वहीं 2018 में ये बढ़कर 5.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

यूनाइटेड नेशन्स कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डिवेलपमेंट (यूएनसीटीएडी) के आंकड़ों के मुताबिक चीन, एफडीआई स्टॉक के मामले में अफ्रीका के टॉप 5 निवेशक देशों में है. निवेशक होने के साथ-साथ चीन बड़ा कर्जदाता भी है. जॉन हॉपकिन्स के चाइना-अफ्रीका रिसर्च इनिशिएटिव के मुताबिक, साल 2000 से 2019 के बीच चीनी निवेशकों ने अफ्रीकी सरकारों और सरकारी उपक्रमों को करीब 1,141 लोन कमिटमेंट्स दिए, जिनका कुल मूल्य करीब 153 अरब डॉलर है.

चीन से कर्ज लेने वाले अफ्रीकी देशों की लिस्ट लंबी है. इनमें अंगोला, डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, कैमरून, गाबोन, बुरूंडी, चाड, जिबूती, इथियोपिया, केन्या, मैडागास्कर, मॉरीशस, मालावी, मोजाम्बिक, रवांडा, तंजानिया, यूगांडा, जाम्बिया, जिम्बाब्वे, अल्जीरिया, मिस्र, मोरक्को, सूडान, ट्यूनीशिया, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इस कर्ज का बड़ा हिस्सा बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत विशाल निर्माण परियोजनाओं से जुड़ा है. इनमें सड़क, रेलवे, बंदरगाह, पुल और विशेष आर्थिक क्षेत्र के निर्माण जैसी योजनाएं शामिल हैं. इसके अलावा खनन और ऊर्जा के क्षेत्र में भी काफी पैसा लगा है. 

कर्ज से जुड़े कई सवाल  

अफ्रीका और एशिया के कई विकासशील और गरीब देशों को भारी-भरकम कर्ज देना बीते कई सालों से चीन के द्विपक्षीय संबंधों की नीति का हिस्सा रहा है. कर्ज की कुल वैल्यू को लेकर भी कई तरह की शंकाएं हैं. कई रिपोर्टें कहती हैं कि गरीब और विकासशील देशों को चीन से मिलने वाले कर्ज की करीब आधी रकम आधिकारिक डाटा में नहीं दिखाई जाती. इसे "हिडन डेट" या छुपा हुआ कर्ज कहा जाता है. कई जानकार और अर्थशास्त्री लंबे समय से आरोप लगाते आए हैं कि चीन जानबूझ कर दूसरे देशों को इतना भारी कर्ज देता है, जिसे चुका पाना उनके लिए मुमकिन नहीं होता. ऐसे में ना केवल उस देश में चीन का राजनैतिक दखल और दबदबा बढ़ता है, बल्कि उसके महत्वपूर्ण संसाधनों और ढांचों के भी चीन के नियंत्रण में जाने का जोखिम बढ़ जाता है.

इसके लिए जानकार "डेट ट्रैप डिप्लोमेसी" शब्द का इस्तेमाल करते हैं. इसी क्रम में पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने 2018 में आरोप लगाया था कि चीन अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए इस कथित कर्ज-कूटनीति का इस्तेमाल करता है. अप्रैल 2022 में श्रीलंका के डिफॉल्ट के बाद चीन और कर्ज लेने वाले देशों की आर्थिक स्थिति और कर्ज चुका पाने की उनकी क्षमता में दिलचस्पी और बढ़ गई. हालांकि चीन इन आरोपों से इनकार करता आया है. वह इन आरोपों को "बुलिंंग" की कोशिश भी बताता है.

अमेरिका और चीन की होड़

इन आलोचनाओं के बीच पिछले साल अगस्त में चीन ने कुछ गरीब देशों को कर्ज में राहत देने की घोषणा की. चीन के तत्कालीन विदेश मंत्री वांग यी ने ऐलान किया कि उनका देश 17 अफ्रीकी देशों को दिए गए 23 कर्ज माफ कर रहा है. इससे पहले कोविड महामारी के बीच 2020 में भी चीन ने अफ्रीकी देशों को दिया गया करीब 113 मिलियन डॉलर का कर्ज रद्द कर दिया था. कई जानकार इसे चीन द्वारा अपनी आलोचनाओं का जवाब देने की कोशिश से जोड़कर देखते हैं. उनका मानना है कि पश्चिमी देशों द्वारा लगाए जाने वाले आरोपों और श्रीलंका के घटनाक्रमों से उपजी चिंता के बीच चीन ने कर्ज माफ कर अफ्रीका को भरोसा दिलाने की कोशिश की.

यह घटनाक्रम इस लिहाज से भी अहम है कि अमेरिका भी चीन के मुकाबलेअफ्रीका में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इसी क्रम में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने दिसंबर 2022 में अफ्रीकी देशों के लिए वॉशिंगटन में एक सम्मेलन की मेजबानी की. करीब आठ साल बाद अमेरिका ने ऐसे सम्मेलन का आयोजन किया. इसमें बाइडन ने अफ्रीका के लिए बड़ी सहायता राशि और निवेश का भी ऐलान किया. उन्होंने कहा कि जब अफ्रीका कामयाब होगा, तो अमेरिका और बाकी दुनिया भी कामयाब होंगे. 

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एसएम/आरपी (रॉयटर्स, एपी, एजेंसियां)