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बिगड़ी बात सुधारकर रिश्ते दुरुस्त करना चाहते हैं भारत-मालदीव

मुरली कृष्णन
२० सितम्बर २०२४

'इंडिया आउट' अभियान चलाने वाले मोहम्मद मुईजू नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए थे. इसके बाद दोनों देशों के बीच काफी तनाव आ गया. अब मुईजू के संभावित भारत दौरे से रिश्तों में सुधार आने की उम्मीद जताई जा रही है.

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मालदीव की राजधानी माले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोलते हुए मोहम्मद मुईजू. यह तस्वीर 2016 की है.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू की संभावित भारत यात्रा उनके 'इंडिया आउट' रुख में नरमी का संकेत देती हैतस्वीर: MOHAMED AFRAH/AFP/Getty Images

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू के सहयोगियों का कहना है कि वह राजनयिक यात्रा पर भारत जाने की तैयारी कर रहे हैं. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने 'इंडिया आउट' अभियान चलाया था. इसके बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास बढ़ गई थी. अब मुईजू के संभावित भारत दौरे को दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते बेहतर करने की दिशा में बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है.

दिसंबर 2023 में दुबई में आयोजित जलवायु सम्मेलन के दौरान एक सत्र में बोलते हुए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मज मुईजू
मोहम्मद मुईजू ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान 'इंडिया आउट' अभियान चलाया थातस्वीर: Karim Sahib/AFP/Getty Images

मालदीव की राजधानी माले में राष्ट्रपति कार्यालय की मुख्य प्रवक्ता हीना वलीद ने पिछले हफ्ते कहा, "राष्ट्रपति बहुत जल्द भारत का दौरा करने वाले हैं. जैसा कि आप जानते हैं कि ऐसी यात्राएं दोनों देशों के नेताओं की सुविधा के हिसाब से तय की जाती हैं. इस बारे में बातचीत चल रही है."

भारत और मालदीव के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं. हालांकि हाल के वर्षों में चीन, मालदीव में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. मुईजू चीन के साथ साझेदारी का आग्रह कर रहे हैं.

मालदीव में समंदर किनारे एक कुर्सी पर बैठकर किताब पढ़ती एक पर्यटक.
मालदीव बढ़ते कर्ज, कम राजस्व और घटते विदेशी भंडार का सामना कर रहा हैतस्वीर: LAKRUWAN WANNIARACHCHI/AFP/Getty Images

मोदी का मजाक उड़ाने पर बहिष्कार की धमकी

इस साल अप्रैल में मुईजू की सरकार ने भारत को मालदीव में मौजूद अपनी सेना वापस बुलाने का आदेश दिया था. सेना की इस छोटी टुकड़ी को भारत की ओर से उपलब्ध कराए गए टोही विमानों को संचालित करने के लिए तैनात किया गया था. यह टुकड़ी हिंद महासागर पर नजर रखने का काम करती थी. इसके बाद मई में मालदीव ने चीन के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया.

इसके अलावा, मालदीव ने हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण पर भारत के साथ 2019 के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया. साथ ही, इस साल की शुरुआत में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही थी, तो मालदीव के उप-मंत्री मोदी मोदी के बारे में अपमानजनक बयान देते दिखे. 

इसके बाद बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार करने की अपील की, जो पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था वाले देश मालदीव के लिए गंभीर खतरा है. इन तमाम घटनाक्रमों के बावजूद राष्ट्रपति मुईजू अपने देश को 'धमकाने' के कथित प्रयासों की निंदा करते हुए उपेक्षा करते रहे.

मुईजू को लेकर 'चीन समर्थक पूर्वाग्रह'

भारत-मालदीव के रिश्तों में आई खटास के बावजूद राष्ट्रपति मुईजू की भारत यात्रा एक नाटकीय बदलाव को चिह्नित कर सकती है और संबंधों को सुधारने की इच्छा का संकेत दे सकती है. स्वतंत्र रिसर्च फोरम मंत्रया की प्रमुख शांति मैरियट डिसूजा ने डीडब्ल्यू को बताया कि मुईजू की सरकार ने इस बात की जांच की है कि भारत के साथ बेहतर संबंध होने पर उसे क्या लाभ हो सकता है. डिसूजा ने कहा, "इसे नीतिगत उलटफेर कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन यह निश्चित रूप से भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है."

मालदीव के संसदीय चुनावों में 'चीन रहा विजेता'

उन्होंने बताया कि मालदीव अपनी विदेश नीति में शक्ति संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है. इसका उद्देश्य भारत और चीन, दोनों के साथ अपने संबंधों से लाभ उठाना है. डिसूजा ने कहा, "लक्षद्वीप को आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के मोदी के प्रयास का मजाक उड़ाने वाले मुईजू के दो जूनियर मंत्रियों का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि वे भारत के साथ बेहतर संबंध बनाए रखना चाहते हैं. हालांकि, जब तक उनके चीन समर्थक होने का पूर्वाग्रह बना रहेगा, ऐसा होने की संभावना काफी कम है."

आर्थिक संकट से जूझ रहा है मालदीव

मालदीव को विदेशी दोस्तों की जरूरत है. वह बढ़ते कर्ज, कम राजस्व और घटते विदेशी भंडार का सामना कर रहा है. देश का बजट घाटे में है और वह सहायता और अनुदान पाने की कोशिश कर रहा है.

पिछले हफ्ते एक बयान में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मालदीव की रेटिंग घटा दी थी. उसने यह आकलन किया कि विदेशी मुद्रा भंडार काफी कम है, इसलिए 'डिफॉल्ट का खतरा बढ़ गया है.' एजेंसी ने कहा कि तेजी से सुधार की संभावना काफी कम नजर आ रही है.

और पतली हुई मालदीव की हालत, फिच ने घटाई रेटिंग

तमाम विवादों के बावजूद भारत भी मुईजू की सरकार को चीन के और करीब जाने से रोकने के लिए उत्सुक है. भारत पहले भी मालदीव की आर्थिक मदद करता रहा है. इसी क्रम में नवंबर 2022 में भारत ने मालदीव को 10 करोड़ डॉलर दिया था.

चीन की राजधानी बीजिंग में एक द्विपक्षीय वार्ता के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हाथ मिलाते मालदीव के प्रेसिडेंट मोहम्मद मुईजू
विशेषज्ञों के मुताबिक, राष्ट्रपति मुईजू के चीन समर्थक होने का पूर्वाग्रह भारत के साथ संबंध बेहतर होने की दिशा में बाधा बन सकता हैतस्वीर: Liu Bin/Xinhua/picture alliance

भारत भी मालदीव को दे रहा तरजीह

मुईजू की यात्रा की घोषणा से पहले मालदीव और भारत, दोनों ने संबंधों को बेहतर बनाने की इच्छा जताई है. पिछले महीने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीव का दौरा किया था. मुईजू के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद यह पहली उच्च-स्तरीय यात्रा थी. उस समय जयशंकर ने कहा था, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में संक्षेप में कहें, तो भारत के लिए पड़ोस प्राथमिकता है और पड़ोस में मालदीव प्राथमिकता है. हम इतिहास और रिश्तेदारी के सबसे करीबी बंधन भी साझा करते हैं."

जयशंकर की यात्रा के बाद दोनों देशों ने इस महीने हिंद महासागर में संयुक्त रक्षा परियोजना और सुरक्षा पर विचार-विमर्श किया. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर पी सहदेवन ने डीडब्ल्यू से कहा, "मुईजू की सरकार ने भारत के प्रति अपना रुख नरम किया है, जबकि चीन के पक्ष में अपनी स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया है. मुझे लगता है कि मौजूदा आर्थिक संकट इस बदलाव का एक स्पष्ट कारण है. यह भारत के लिए अच्छा है क्योंकि उसे पूरी तरह से भारत विरोधी सरकार का सामना नहीं करना पड़ रहा है."

संकट की वजह से भारत के करीब आ रहा मालदीव

सहदेवन ने कहा कि अगर आर्थिक संकट गहराता है, तो मुईजू के लिए भारत और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा. उन्होंने बताया, "यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह चीनी दबाव, चीन समर्थक लॉबी और कट्टरपंथी इस्लामवादियों का कितना विरोध कर पाते हैं."

मालदीव भारत की समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिहाज से अहम है, क्योंकि यह द्वीपसमूह पूर्वी और पश्चिमी एशिया को जोड़ने वाले प्रमुख शिपिंग मार्गों के बीच में स्थित है. यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने की अमेरिकी रणनीति का भी केंद्र है.

इस बीच, चीन अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के हिस्से के रूप में हिंद महासागर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं बना रहा है और आर्थिक निवेश कर रहा है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी 'शिन्हुआ' ने कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 'मालदीव को अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने में दृढ़ता से समर्थन देने' की पेशकश की  है.

वरिष्ठ राजनयिक अनिल वाधवा इस बात से सहमत हैं कि मुईजू की आगामी यात्रा उनके 'इंडिया आउट' रुख में नरमी का संकेत देती है. उन्होंने कहा, "मालदीव को एहसास हो गया है कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जो संकट के समय तुरंत सहायता कर सकता है और उससे उबार सकता है. भुगतान से जुड़ा ऐसा ही एक आर्थिक संकट सामने दिख रहा है. मुईजू के नेतृत्व में मालदीव इस संकट को दूर करने और धन जुटाने की कोशिश करेगा. इन परिस्थितियों में अगर मालदीव भारत को किसी तरह से उकसाता है, तो यह उसके लिए नुकसानदेह साबित होगा."