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'कश्मीर फाइल्स' पर इस्राएली राजदूत ने भारतीयों से माफी मांगी

विवेक कुमार
२९ नवम्बर २०२२

‘द कश्मीर फाइल्स’ के कारण भारत फिर कूटनीतिक विवाद के मुहाने पर है. इस्राएल के राजदूत नाओर गिलोन ने भारत के लोगों से माफी मांगी है कि उनके देश के एक फिल्मकार ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ को ‘अश्लील प्रोपेगैंडा’ कहा.

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द कश्मीर फाइल्स
द कश्मीर फाइल्सतस्वीर: Debarchan Chatterjee/NurPhoto/picture alliance

भारत में इस्राएल के राजदूत नाओर गिलोन ने अपने देश के फिल्मकार नादव लापिड की सरेआम आलोचना की है. ट्विटर पर उनके नाम एक खुले पत्र में उन्होंने लिखा है कि लापिड को "शर्म आनी चाहिए.” अपने पत्र को का साझा करते हुए गिलोन ने लिखा, "कश्मीर फाइल्स की आलोचना के लिए नादव लापिड के नाम एक खुला पत्र. यह हिब्रू में नहीं है क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेरे भारतीय भाई-बहन इसे समझ पाएं. यह थोड़ा लंबा है इसलिए मैं आपको मुख्य बात पहले ही बता देता हूं – आपको शर्म आनी चाहिए.”

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नादव लापिड गोवा में हुए भारत के अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव की निर्णायक मंडली के अध्यक्ष थे. सोमवार को समारोह के समापन समारोह में उन्होंने ‘द कश्मीर फाइल्स' की तीखी आलोचना करते हुए उसे ‘प्रोपेगैंडा' और ‘अश्लील फिल्म' तक कह दिया था. यह फिल्म विवेक अग्निहोत्री ने पिछले साल बनाई थी. फिल्म में 1990 में कश्मीर घाटी से पलायन को काल्पनिक कहानी के जरिए दिखाया गया है. रिलीज होने के बाद से ही यह फिल्म लगातार विवादों में घिरी रही है क्योंकि आलोचक इसे तथ्यों के साथ छेड़छाड़ के जरिए धार्मिक दुष्प्रचार करने वाली फिल्म बताते हैं.

क्यों हुआ विवाद?

नादव लापिड ने सोमवार को कहा था कि फिल्म देखकर निर्णायक मंडली के लोग "आहत और स्तंभित” थे. उन्होंने कहा, "हमें तो यह एक प्रोपेगैंडा, अश्लील और ऐसे प्रतिष्ठित फिल्मोत्सव में मुकाबले के लिए अनुचित फिल्म लगी.” इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया हुई, जिसके बाद निर्णायक मंडली ने लापिड के बयान का उनकी निजी राय बताते हुए खुद को उससे अलग कर लिया.

इस्राएली राजदूत ने कहा कि जैसे भारत के लोग इस्राएली सामग्री को विनम्रता से देखते हैं, वैसे ही इस्राएलियों में भी विनम्रता होनी चाहिए. उन्होंने अपने खुले पत्र में लिखा, "मैं कोई फिल्म विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन मैं जानता हूं कि ऐतिहासिक घटनाओं को गहराई से समझे बिना उन पर टिप्पणी करना संवेदनहीनता धृष्टता है क्योंकि यह एक खुले घाव जैसा है और उस घटना में शामिल बहुत से लोग अब भी कीमत चुका रहे हैं.”

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गिलोन ने कहा कि वह भारत में इस प्रतिक्रिया से "अत्याधिक आहत” हैं जैसे कि लापिड "शिंडलर्स लिस्ट” पर संदेह कर रहे हैं जो यहूदियों के नरसंहार पर आधारित है. उन्होंने लिखा, "मैं बिना किसी लाग-लपेट के इन बयानों की आलोचना करता हूं. इनकी कोई सफाई नहीं हो सकती. यह कश्मीर मुद्दे की संवेदनशीलता को दिखाता है. इनेट को दिए आपके इंटरव्यू में आपने कश्मीर फाइल्स की अपनी आलोचना और इस्राएल की समकालीन घटनाओं को लेकर आपकी आपत्तियां साफ दिखाई देती हैं.”

गिलोन ने कहा कि भारत और इस्राएल के संबंध बहुत मजबूत हैं और गिलोन की टिप्पणियों से उन्हें जो नुकसान हुआ है, वे उनसे उबर जाएंगे. उन्होंने कहा, "एक इंसान होने के नाते मुझे शर्म आ रही है और मैं अपने मेजबानों से इन गुस्ताखी के लिए माफी मांगना चाहता हूं जो हमने उनकी दोस्ती और उदारता के बदले में दिखाई है.”

बीजेपी नेता खुशबू  सुंदर ने गिलोन के बयान का स्वागत किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "राजदूत नाओर गिलोन को बहुत धन्यवाद. आपके समर्थन के लिए आभार. आपने जो कहा है को वो हर भारतीय के मन की बात है. इस फिल्म में जो दर्द और तकलीफ दिखाई गई है वो इतिहास को तोड़ना-मरोड़ना नहीं बल्कि कश्मीरी पंडितों की आपबीती है. आपके शब्द मरहम का काम कर रहे हैं.”

लापिड को भी मिला समर्थन

वैसे भारत में भी बहुत से लोगों ने नादव लापिड की टिप्पणी को सही बताया है. इस टिप्पणी पर एक्टर स्वरा भास्कर ने लिखा, "लगता है, दुनिया के लिए यह एकदम स्पष्ट है.” भारतीय पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने लिखा, "कश्मीर फाइल्स अश्लील भी है और प्रोपेगैंडा भी. एक इस्राएली को यह बात हमें बतानी पड़ी है.”

फिल्म समीक्षक प्रमित चटर्जी ने लिखा, "कश्मीर फाइल्स हमेशा एक जहरीला, घिनौना प्रोपेगैंड फिल्म रहेगी जिसे इस देश में धर्मांध लोगों ने बनाया और प्रचारित किया. हम सबने देखा कि अग्निहोत्री, खेर और बाकियों ने कश्मीरी पंडितों के पलायन की इसी साल कितनी परवाह की.”

यह पहली बार नहीं है जबकि यह फिल्म अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादों में फंसी है और इसकी निंदा की गई है. इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड में भी फिल्म की निंदा हो चुकी है. ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय में इसी वजह से फिल्मकारविवेक अग्निहोत्री का एक कार्यक्रम आखरी वक्त में रद्दकर दिया गया था. न्यूजीलैंड में भी फिल्म की स्क्रीनिंग टाल दी गई थी और बाद में इसे ‘वयस्कों के लिए' के प्रमाण पत्र के साथ दिखाए जाने की इजाजत दी गई थी. सिंगापुर ने तो फिल्म पर प्रतिबंध ही लगा दिया था.