तुल्सा नरसंहार के जख्म, 100 सालों बाद
२ जून २०२१1921 में उस दिन ओक्लाहोमा राज्य के ग्रीनवुड के तुल्सा जिले में एक युवा अश्वेत व्यक्ति के खिलाफ लगे झूठे आरोप को लेकर विवाद इतना बढ़ गया था कि हथियारबंद श्वेत लोगों की एक भीड़ ने पूरे जिले पर हमला कर दिया. तब "ब्लैक वॉल स्ट्रीट" कहे जाने वाले अश्वेतों के उस समृद्ध मोहल्ले को उस हिंसा ने ऐसा तबाह कर दिया गया कि करीब 300 लोगों की जान चली गई और करीब 10,000 लोग बेघर हो गए.
मंगलवार एक मई को जो बाइडेन उस नरसंहार के सालाना स्मरणोत्सव में भाग लेने वाले पहले राष्ट्रपति बने. उन्हें सुनने के लिए आए स्थानीय निवासी यह उम्मीद कर रहे थे कि उनकी उपस्थिति से लंबे समय से अनदेखा किए गए उस अन्याय को अब जाकर स्वीकार किया जाएगा. लोगों को कहना है कि वहां का समुदाय 100 सालों बाद भी अपनी समृद्धि फिर से हासिल नहीं कर पाया है और इसके लिए अब बाइडेन को उनकी आर्थिक मदद करनी चाहिए.
70 साल की बेट्टी एंडरसन ने कहा, "यह एक घाव है. और यह अभी भी दर्द देता है." लेकिन उन्होंने बाइडेन का स्वागत किया, उनकी यात्रा को "असाधारण" बताया और उम्मीद जताई कि वहां राष्ट्रपति की मौजूदगी श्वेत अमेरिकी नागरिकों के बीच जमाने से भूले हुए उस नरसंहार के बारे में जागरूकता फैलाने का काम करेगी. तुल्सा की तबाही के लिए कभी किसी को दोषी नहीं पाया गया और बीमा कंपनियों ने अश्वेत पीड़ितों की क्षतिपूर्ति भी नहीं की, यह बोल कर कि वो सब दंगों का नतीजा था.
नरसंहार पर खामोशी
बाइडेन को सुनने आई भीड़ में एक महिला ने चीख कर कहा, "20 साल पहले किसी ने नहीं कहा कि वो एक नरसंहार था. सबने उसे एक दंगा बताया था." लोगों ने उनकी बात का तालियों से स्वागत किया. उस घटना की तुल्सा के अश्वेत समुदाय के भी कुछ हिस्सों में कभी चर्चा नहीं के गई और कई सालों तक तो उसके बारे में स्कूलों में पढ़ाया भी नहीं गया. लेकिन मंगलवार को बाइडेन ने कहा की वो "इस खामोशी को भरना चाहते हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि उस घटना को देश की स्मृति से "मिटाने की स्पष्ट कोशिश चल रही थी." नरसंहार में बच गए तीन लोगों की मौजूदगी में बाइडेन ने कहा, "हम आपके इतिहास पर रोशनी डालेंगे." ग्रीनवुड कभी उस घटना से उबार नहीं पाया. तुल्सा में ही पैदा हुई 13 साल की कोलेसी कहती हैं, "उसने हम अश्वेत लोगों के श्वेत लोगों को देखने के तरीके पर भी असर डाला."
उनकी 63 साल की दादी सेलेस्टीन पोल्क ने सिर हिलाया और बताया कि कैसे घटना के बाद उनके परिवार को संघर्ष करना पड़ा. कोलेसी ने कहा, "लेकिन ऐसा तो है नहीं कि हम समय में पीछे जा कर जो हुआ उसे बदल सकते हैं. हमें उसके साथ ही जीना है. शायद लोग थोड़ा बेहतर महसूस करें अगर उन्हें यह एहसास हो कि जो भी हुआ सरकार को उसके बारे में चिंता है."
सीके/एए (एएफपी)