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विदेशियों के लिए साइकल चलाने की क्लास

२५ अक्टूबर २०११

छोटे बच्चे पहले आठ साल में खेल खेल में साइकल चलाना सीख ही जाते हैं लेकिन अगर 30 साल की उम्र में पहली बार साइकल पर कोई बैठे तो. जर्मनी में इन दिनों ऐसे लोगों के लिए खास साइकल की क्लास लग रही हैं.

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विदेशी मूल की महिलाएं और साइकल.. नया रिश्तातस्वीर: DW/Matilda Jordanova-Duda

अक्सर विदेशों से जर्मनी रहने आए लोगों के लिए मुश्किल होती है क्योंकि कई ऐसे देश हैं जहां साइकल चलाना परंपरा या रोजमर्रा का हिस्सा नहीं है. कुछ देशों में महिलाओं का साइकल नहीं चलाने दी जाती. इन महिलाओं के लिए जर्मनी के बोखुम शहर में खास कोर्स चलाए जा रहे हैं.

जब जागो तब सवेरा

तुर्की की मुजिय्यन बाल्ची पहली बार साइकल पर चढ़ी हैं. बड़े होने के बाद साइकल सीखना मुश्किल काम है. 37 की बाल्ची पूरी एकाग्रता से साइकल का हैंडिल सीधा रख कर साइकल चलाने की कोशिश कर रही हैं. बैलेंस बन नहीं पा रहा लेकिन बाल्ची बराबर जुटी हुई हैं. योआना जाद्रोसा ग्रूसे पीछे पीछे दौड़ रही हैं. ताकि अगर वह गिरें तो पकड़ लें. वे बाल्ची से कहती हैं, "साइकल आपकी दोस्त है. आप उसे चला रही हैं वो आपको नहीं." लेकिन बाल्ची को अपने नई दोस्त पर ज्यादा भरोसा अभी नहीं पाया है.

Fahrradkurs für Migrantinnen in Bochum
बोखुम में चल रहा है कोर्सतस्वीर: DW/Matilda Jordanova-Duda

बोखुम में शताब्दी हॉल के सामने बड़ी सी जगह में पांच महिलाएं साइकल पर चक्कर लगा रही हैं. यह शहर का पहला साइकल स्कूल है जो विदेशी मूल की महिलाओं के लिए चलाया जा रहा है. इसे आप्रवासी संगठन आईएफएके और ईसाई सहायता संगठन डियाकोनी रूहर चला रहे हैं और इसके लिए वित्तीय सहायता शहर का पुनर्निमाण विभाग दे रहा है. शहर के खुराफाती इलाके में लोगों को एक साथ लाने के यह मुहीम चलाई जा रही है. कोर्स की घोषणा होते ही तेजी से 10 लोगों ने पंजीयन करवा दिया. लोगों ने डियाकोनी वर्कशॉप से पुरानी साइकलें इकट्ठा की.

Fahrradkurs für Migrantinnen in Bochum
पहली बार इस तरह का कोर्सतस्वीर: Joanna Zadora-Gruse

मौसम अच्छा तो साइकल मजेदार

साइकल सीखने वाली महिलाएं तुर्की, ईराक, कजाकस्तान, जॉर्जिया से हैं. बाल्ची पिछले 16 साल से जर्मनी में रहती हैं. बचपन में उन्होंने साइकल चलाना नहीं सीखी. "तुर्की में महिलाएं वैसे भी साइकल नहीं चलाती. वे कार चलाती हैं. लेकिन मैंने यहां जर्मनी में देखा कि बहुत महिलाएं साइकल चलाती हैं. जब मौसम अच्छा हो तो साइकल चलाने में खूब मजा आता है."

जादोरा ग्रूसे वैसे तो अंतर सांस्कृतिक मुद्दों पर जुड़े कोर्स देती हैं. शुरुआत में उन्होंने नहीं सोचा था कि साइकल सिखाना इतना मुश्किल काम होगा. फिर एक दो साइकलों से पैडल निकाल दिए गए ताकि साइकल का बैलेंस बनाना सिखाया जाए, 20 घंटे सीखने के बाद ये महिलाएं साइकल पर बैलेंस बना सकीं और पैडल मार सकीं. लेकिन पूरी तरह से सीखने के लिए थोड़ा समय और लगेगा.

अगले साल एक बार और कोर्स दिया जाएगा. सामाजिक-पारिस्थितिकी शोध संस्थान(आईएसओई) की युटा डेफनर कहती हैं, विदेशी मूल के लोगों के लिए साइकल का कोर्स है. जहां ये कोर्स हैं वहां इन्हें पसंद भी किया जा रहा है. यह अब छोटे और बर्लिन फ्रैंकफर्ट जैसे ब़ड़े शहरों में लोकप्रिय हो रहे हैं.

Der Herbst kommt mit Regen und stürmischen Winden
साइकल यूरोप के आम जन जीवन का हिस्सा हैतस्वीर: dpa

अलग पड़ जाते हैं

इस तरह के कोर्स की अभी तक कमी है. क्योंकि पर्यावरण के लिए भी अच्छा है अगर ज्यादा से ज्यादा लोग साइकल पर सवार हो जाएं. लेकिन मोबिलिटी और टिकाऊ विकास में अक्सर लोग विदेशी मूल के निवासियों को भूल जाते हैं. सलमा उजान कहती हैं, "पेट्रोल महंगा है और पार्किंग, ट्रैफिक जाम की समस्या तो है ही. मुझे अपने बेटे को यहां वहां छोड़ने डाना पड़ता है. हर दिन खरीददारी करनी होती है. यह हमारा रोजमर्रा है. इतने पास कार से जाना बहुत ही तकलीफदायक है. बहुत वक्त लगता है. साइकल चलाना स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है और खेल के लिए भी." वह याद करती हैं कि चौथी क्लास तक तो वह साइकल चलाती थीं लेकिन उसके बाद बंद. उनके बच्चे भी कहते हैं कि मां आप साइकल क्यों नहीं चला सकतीं. हम तो साथ में साइकल चला सकते हैं. बोखुम में और जर्मनी में भी साइकल चलाने की सुविधाएं काफी हैं. और बहुत लोग इनका लाभ भी लेते हैं. उनके पति भी तैयार हैं कि सलमा उजान के लिए एक साइकल खरीद दें. फिलहाल सलमा ने अभ्यास के लिए पुरानी साइकल उधार ली है.

रिपोर्टः माटिल्डे जोर्दानोवा डूडा, आभा एम

संपादनः मझा

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