लोकपाल बिल पर सहमति, प्रावधानों पर मतभेद
४ जुलाई २०११सभी राजनीतिक दलों ने इस बात पर सहमति जताई है कि मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक पेश कर दिया जाए. प्रधानमंत्री के घर पर करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद पारित प्रस्ताव में कहा गया है, "सभी राजनीतिक दलों की बैठक के बाद इस बात पर सहमति है कि संसद के अगले सत्र में एक मजबूत और असरदार लोकपाल विधेयक स्थापित प्रक्रियाओं के जरिए पेश किया जाए." राजनीतिक पार्टियां यह भी चाहती हैं कि संसद की सर्वोच्च सत्ता कायम रखते हुए लोकपाल बिल तैयार किया जाए. राजनीतिक दलों की इच्छा है कि इस बिल के जरिए संसद की प्रभुसत्ता को कोई चुनौती नहीं दी जानी चाहिए. इस सहमति के बावजूद लोकपाल बिल के कुछ प्रावधानों पर अलग अलग राजनीतिक पार्टियों को एतराज है.
एआईडीएमके को छोड़ ज्यादातर छोटे राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री को लोकपाल विधेयक के दायरे में लाने पर सहमति जताई है. प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने विवादित मुद्दों पर अपनी राय खुल कर जाहिर नहीं की है. पार्टी का कहना है कि पांच मंत्रियों वाली संयुक्त प्रारुप कमेटी के बनाए लोकपाल विधेयक के प्रारूप पर उसे सख्त एतराज है. बीजेपी की प्रमुख आपत्तियां लोकपाल को चुनने और उसे पद से हटाने की प्रक्रिया को लेकर है.
शीतकालीन सत्र में हो सकता है पास
बैठक की शुरूआत में ही रुख साफ करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "सरकार इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि एक ऐसा विधेयक लाया जाए जो उच्च पदों पर भ्रष्टाचार के मामलों से सख्ती और असरदार तरीके से निबटे. लेकिन इस संस्था को संविधान के दायरे में रह कर काम करना होगा." लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सर्वदलीय बैठक से बाहर आने के बाद कहा इस बिल को संसदीय समिति के पास भेजा जाना चाहिए जिससे कि सभी राजनीतिक दल, राज्य सरकारें और नागरिक समितियों के सदस्य अपनी राय जाहिर कर सकें. बिल पर विस्तार से चर्चा करने के बाद इसे शीतकालीन सत्र में पास किया जा सकता है.
बीजेपी नेता सुषमा स्वराज और अरूण जेटली ने बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाया है. अरुण जेटली ने कहा, "लोकपाल विधेयक के दायरे में कौन आएगा और लोकपाल की नियुक्ति तथा उसे हटाने की प्रक्रिया को लेकर हमारी गंभीर आपत्तियां हैं.हालांकि जेटली ने लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री को लाने के मसले पर कुछ नहीं कहा.
बैठक के दौरान विपक्षी पार्टियों ने सरकार की इस बात के लिए आलोचना भी की कि प्रारूप तैयार करने में राजनीतिक दलों की सलाह नहीं ली गई. सरकार ने सीधे सीधे नागरिक समितियों के साथ मिल कर प्रारुप तैयार कर लिया. राष्ट्रीय जनता दल, बीजू जनता दल, जेडीयू, और समाजवादी पार्टी ने इस मसले पर सरकार को खूब खरीखोटी सुनाई.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ईशा भाटिया