यमन में सरकार के खिलाफ बड़ी रैली आज
३ फ़रवरी २०११सालेह ने साफ किया है कि वह आजीवन देश का राष्ट्रपति बने रहने के लिए संविधान में प्रस्तावित संशोधन की योजना को ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं. ट्यूनिशिया और मिस्र की तरह यमन में भी सरकार विरोधी हवा बह रही है जिसके चलते राष्ट्रपति सालेह पर दबाव है. उन्होंने सुधारों पर बातचीत का वादा किए बिना अप्रैल में चुनाव कराने की विवादास्पद योजना को भी टाल दिया है. साहेल 32 साल से अरब जगत के सबसे गरीब देश यमन के राष्ट्रपति पद पर कायम है. उनका मौजूदा कार्यकाल 2013 तक है. मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक की तर्ज पर साहेल ने भी दोबारा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है.
सालेह ने बुधवार को संसद में कहा, "मैं अपने कार्यकाल और नहीं बढ़ाना चाहता हूं और मैं वंशवादी शासन के भी खिलाफ हूं." अमेरिका ने सालेह के बयान का स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, "हम राष्ट्रपति सालेह के उन फैसलों का स्वागत करते हैं जिनसे यमन में अहिंसक और लोकतांत्रिक माध्यम से राजनीतिक विकास का रास्ता तैयार होता हो. ये सकारात्मक बयान हैं जैसे कि मिस्र में भी देखे गए हैं. क्षेत्र की सभी सरकारों के लिए जरूरी है कि वे राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए कदम उठाएं."
वंशवाद का आरोप
मुश्किलों से घिरे मिस्र के राष्ट्रपति होस्नी मुबारक की तरह सालेह पर भी बार बार विपक्ष यह आरोप लगाता है कि वह अपने बेटे को अपना उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश कर रहे हैं और देश में वंशवादी शासन की नींव डालना चाहते हैं. सालेह ने गुरुवार को सरकार के विरुद्ध रोष दिवस नाम से होने वाली बड़ी रैली से पहले यह घोषणा की है. देखना यह है कि क्या यमन के लोग भी ट्यूनिशिया और मिस्र की तरह बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरेंगे.
वैसे राष्ट्रपति सालेह विपक्ष से बराबर अपील कर रहे हैं कि वह सड़कों पर विरोध प्रदर्शन बंद करे. उन्होंने कहा, "मैं विपक्ष से अपील करता हूं कि वह सभी प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन, रैली और धरने रोक दे. मैं सत्ताधारी पार्टी के बहुमत के बावजूद विपक्ष से राष्ट्रीय एकता वाली सरकार में शामिल होने की अपील करता हूं. हम अशांति की अनुमति नहीं दे सकते हैं. हम बर्बादी नहीं होने देंगे."
अलगाव नहीं एकता
इस बीच बुधवार को राजधानी साना में लगभग पांच हजार लोगों ने सरकार के समर्थन में रैली निकाली. इनमें कुछ लोगों ने हाथों में बोर्ड उठाए हुए थे जिन पर लिखा था, "तोड़फोड़ बंद करो. सुरक्षा और स्थिरता चाहिए. अलगाव नहीं, एकता चाहिए." विफल राष्ट्र बनने के कगार पर खड़े यमन को अल कायदा की तरफ से भी कड़ी चुनौती का सामना है. उसके दक्षिणी हिस्से में अलगाववादी सक्रिय हैं तो उत्तरी हिस्से में शिया विद्रोहियों के साथ शांति कायम करने की भी चुनौती है. देश की एक तिहाई आबादी बदस्तूर भुखमरी का शिकार है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः वी कुमार