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इंटरनेट से उठी क्रांति की आवाज

२ फ़रवरी २०११

क्रांतियां आम तौर पर या तो कलम से हुई है या तलवार से पर इंटरनेट के इस आधुनिक युग से अब इतिहास बदलने लगा है. इस बार क्रांति की बयार के पीछे कीबोर्ड और माउस के जरिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स अहम भूमिका निभा रही हैं.

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तस्वीर: dapd

उत्तर अफ्रीका में इस क्रांतिकारी परिवर्तन की शुरुआत हुई ट्यूनीशिया के एक 26 वर्षीय स्नातक मोहम्मद बुआजीजी द्वारा खुद को आग लगाकर जान देने से. मोहम्मद आजीविका के लिए फलों का ठेला चलाता था और पुलिस द्वारा उसकी रोजी रोटी पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उसने विरोध स्वरूप यह कदम उठाया था.

मोहम्म्द का यह विरोध का जैसे ही इंटरनेट और मोबाइल पर सोशल नेटवर्किंग और ट्‍विटर के जरिए लोगों को पता चला ट्‍यूनीशिया के लोगों का बरसों से दबा हुआ गुस्सा फूट पड़ा और नतीजतन सत्ता परिवर्तन हुआ

Ägypten Kairo Proteste Demonstrationen Zusammenstöße NO FLASH
तस्वीर: AP

चली बदलाव की बयार: ट्‍यूनीशिया से चली बदलाव की यह बयार फेसबुक, ट्‍विटर और कई अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए दावानल की तरह अल्जीरिया, जॉर्डन, यमन, सूडान, मिस्र और अब सीरिया में भी फैल गई. बोआजीजी के आत्मदाह के बाद तो मानो यह सिलसिला ही बन गया. अब तक उत्तरी अफ्रीका और सऊदी अरब के कई देशों में 20 लोग आत्मदाह की कोशिश कर चुके हैं. इसमें से पांच ने अल्जीरिया में, तीन ने मिस्र, एक आदमी ने सीरिया और मोरक्को में भी आत्मदाह की कोशिश की है.

फेसबुक पर बने एक ग्रुप के जरिए सीरिया के विपक्षी दलों ने इस रविवार को राष्ट्रपति बशर अल असद के शासन के विरोध में देश की जनता से सड़कों पर उतर आने की अपील की है.

फैलती क्रांति की आग: राजधानी दमिश्क, अलेप्पो और कई अन्य शहरों में फेसबुक पर क्रांति का झंडा फहराने की आवाज बुलंद करते हुए कई पेज बनाए गए हैं, जिन्हें अच्छा खासा समर्थन मिल रहा है. क्रांति के समर्थक फेसबुक और ट्‍विटर से बढ़ती कीमतों, भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ जनता को सरकार के विरुद्ध लामबंद कर रहे हैं.

वॉशिंगटन के मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार इस सोशल मीडिया पोस्टिंग को खासा समर्थन मिल रहा है. फेसबुक पर बने इस आशय के पन्नों को हजारों लोग फॉलो कर रहे हैं, जिनमें से कई विदेशी भी हैं.

संचार पर सेंसरः इंटरनेट पर चलाए जा रहे इस क्रांति अभियान से घबराकर अधिकतर अफ्रीकी देशों में अभिव्यक्ति के इस आधुनिक माध्यम को बंद कर दिया गया या कड़े सेंसरशिप नियमों से बांध दिया गया.

काहिरा में चल रहे जबरदस्त प्रदर्शन को फेसबुक पर ट्‍यूनीशिया के मोहम्मद को समर्पित एक ग्रुप द्वारा ही आयोजित किया गया, जिसके बाद मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक ने इन प्रदर्शनों के मद्देनजर मिस्र में इंटरनेट सेवाओं को बंद करवा दिया. हालांकि इस बीच मिस्र में इंटरनेट सेवा बहाल हो चुकी है.

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तस्वीर: screenshot speak2tweet

देखते ही देखते मिस्र में सोमवार को 'मिलियंस मार्च' के तहत 10 लाख से अधिक की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और आम जनता ने इसका पूरी शिद्दत से जवाब दिया. भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी के कारण लोगों में फैले असंतोष ने उस समय जनविद्रोह की शक्ल अख्तियार कर ली जब नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद अल बरदेई ने मुबारक के तीन दशक पुराने शासन को खत्म करने के लिए नेतृत्व संभाल लिया.

इसी तरह यमन में भी लोग राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह से पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं और उनके विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. सामाजिक संगठनों ने गुरुवार को ‘डे ऑफ रेज’ यानि क्रोध दिवस के रूप में मनाने की घोषणा भी की है जिसे भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भारी समर्थन मिल रहा है.

फेसबुक पर विरोधः पिछले रविवार को सूडान में हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद खार्तूम विश्वविद्यालय के छात्रों ने फेसबुक पर लिखा है कि वे ट्‍यूनीशिया की क्रांति से प्रभावित है. इसके अलावा उन्होंने फेसबुक पर सरकार विरोधी बातें लिखते हुए मिस्र, ट्‍यूनीशिया और सूडान को एक बताया है. अंग्रेजी में बनाए गए इस फेसबुक ग्रुप पर देश में व्याप्त बेरोजगारी, कुशासन, महिलाओं की दुर्दशा और अल्पसंख्यक समुदाय पर किए जा रहे अत्याचारों का विरोध करने की अपील है.

द सूडान ट्रिब्युन के मुताबिक अभी तक 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से 40 छात्र हैं. इसी तरह यमन में भी फेसबुक पर वर्तमान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कई ग्रुप बन चुके हैं. यहां से भी सरकार विरोधी प्रदर्शनों की खबरें आना शुरू हो चुकी है.

फैलती बैचेनीः मिस्र में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के चलते एशियाई महाशक्ति चीन भी हिल गया है. चीन की सैन्य सरकार ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए ट्‍विटर और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्‍स पर रोक लगा दी है. इतना ही नहीं सर्च के लिए 'मिस्र' शब्द को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.

चीन में लोकतंत्र के समर्थन में समय-समय आवाजें उठती रही हैं, लेकिन उन्हें वहां सख्ती से कुचल दिया जाता है. थ्यानामन चौक उसका सबसे बड़ा उदाहरण है. जहां विरोध के लिए जुटे कई युवाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी.

रिपोर्टः संदीपसिंह सिसोदिया, वेबदुनिया

संपादनः ए जमाल

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