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बिनायक सेन की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस

११ मार्च २०११

मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉक्टर बिनायक सेन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी किया है. सेन ने खुद को दी गई उम्र कैद की सजा पर रोक लगाने की मांग की है.

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बिनायक सेन का फाइल फोटोतस्वीर: AP

एक सेशन कोर्ट ने बिनायक सेन को माओवादियों से संपर्क रखने पर देशद्रोह का दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई. इस फैसले की पूरी दुनिया में आलोचना हुई. सेन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को जस्टिस एचएस बेदी और सीके प्रसाद वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में अपना जवाब दाखिला करने को कहा. वैसे सेन के वकील ने मामले को सोमवार तक ही स्थगित करने की मांग की.

61 वर्षीय सेन ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के 10 फरवरी के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिसमें उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया था. पेशे से डॉक्टर सेन ने यह कहते हुए जमानत मांगी है कि उन्हें दोषी करार देने वाला ट्रायल कोर्ट का फैसला सही नहीं है क्योंकि उनके खिलाफ किसी तरह के ठोस सबूत नहीं हैं.

पीपल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबरटीज के उपाध्यक्ष सेन को देशद्रोह का दोषी करार देते हुए अदालत ने माआवादियों के सैद्धांतिक नेता नारायण सान्याल और कोलकाता के कारोबारी पीयूष गुहा के साथ उम्र कैद की सजा सुनाई. वहीं मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता सेन को दोषी करार दिए जाने को राजनीति से प्रेरित कदम मानते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

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