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जेपीसी के लिए लोकसभा ने 20 सांसद चुने

२५ फ़रवरी २०११

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए लोकसभा ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठन को मंजूरी देते हुए उन 20 सांसदों को चुन लिया है जो इस समिति का हिस्सा होंगे. संसद में बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोपों की जबरदस्त बौछार.

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तस्वीर: Picture-Alliance / Photoshot

जेपीसी को अपनी रिपोर्ट संसद के मॉनसून सत्र तक देनी है. जेपीसी में 20 सांसद लोकसभा से और 10 सांसद राज्यसभा से चुने जाने हैं. संसद में समिति के 30 सदस्यों को चुने जाने का प्रस्ताव बढ़ाया गया और चार घंटे की बहस के बाद ध्वनि मत से इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई. बहस के दौरान विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सरकार को खरी खोटी सुनाई और टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने भी विपक्ष के आरोपों को करारा जवाब दिया.

लोकसभा ने 20 सांसदों को चुन लिया है और अब राज्यसभा के 10 सांसदों को चुना जाएगा. इसके लिए राज्यसभा में एक प्रस्ताव लाया जाएगा. 1998 से 2009 के दौरान भारत की टेलीकॉम नीति की जेपीसी जांच करेगी. इसके अलावा स्पेक्ट्रम आवंटन और टेलीकॉम लाइसेंस की कीमत तय करने की प्रक्रिया सहित अनियमितताओं के आरोपों को भी परखा जाएगा. सरकार की नीति से टेलीकॉम सेक्टर पर क्या असर पड़ा इसकी भी जेपीसी जांच करेगी.

जिन 20 सांसदों को लोकसभा से चुना गया है उनमें मनीष तिवारी, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, टीआर बालू, जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा, गोपीनाथ मुंडे, शरद यादव, अखिलेश यादव, गुरुदास दासगुप्ता, एम थम्बीदुरई, पीसी चाको सहित कई अन्य नेता शामिल हैं. संसद के शीतकालीन सत्र के हंगामे की भेंट चढ़ जाने पर चिंता जताते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि इस गतिरोध से चिंतित सभी पार्टियों को विचार करने और सबक लेने की जरूरत है. मुखर्जी के मुताबिक लोकतंत्र के लिए यह खतरनाक लक्षण है कि अपनी मांग के लिए संसद की कार्रवाई में बाधा डाली जाए.

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने प्रणब मुखर्जी से पूछा कि क्या जेपीसी की मांग को हिंसक और असंवैधानिक करार दिया जा सकता है. स्वराज ने मुखर्जी पर चुटकी लेते हुए कहा कि वह अच्छे आदमी हैं लेकिन गुस्से में जब होते हैं तो सही और गलत का भेद भूल जाते हैं. टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि पार्टी 2जी मामले में बहस के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि उसे डर था कि उसके कार्यकाल की नीतियों की पोल खुल सकती है.

भारत में मोबाइल लाइसेंस के लिए 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के दौरान आशंका है कि 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये तक का घोटाला हुआ हो सकता है. यह घोटाला पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा के कार्यकाल में हुआ और कैग की रिपोर्ट आने के बाद से ही विपक्ष ने सरकार पर दबाव बनाया जिसके बाद राजा की विदाई हुई. अब राजा कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. स्पेक्ट्रम आवंटन का फायदा उठाने वाली कई कंपनियों पर भी सीबीआई की नजर है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ईशा भाटिया

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