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"जल्दी नहीं मिटेगी भारत पाक की दूरी"

१३ अप्रैल २०११

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय को लगता है कि भारत पाक के बीच जारी गतिरोध दूर होने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है. पेंटागन के मुताबिक पाकिस्तान में कमजोर सरकार है, सेना हावी है और कश्मीर व अफगानिस्तान नीतियों में सेना की चलती है.

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अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्सतस्वीर: AP

सीनेट के आर्म्ड सर्विसेज कमिशन के सामने गवाही में अमेरिकी पैसिफिक कमांड के कमांडर एडमिरल रिचर्ड विलर्ड ने अमेरिकी सांसदों को बताया कि पिछले दो साल से पाकिस्तान में उथल पुथल जारी है और ऐसे हालात में एक कमजोर सरकार से गतिरोध दूर करने की उम्मीद करना बेमानी होगा. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार के लिए मजबूत प्रतिबद्धता की जरूरत है, जो नई दिल्ली की कोशिशों के बावजूद नजर नहीं आती.

इतिहास का दर्द

विलर्ड के मुताबिक भारत पाक संबंधों के इतिहास में कड़वाहटें भरी हैं और बार बार कश्मीर केंद्र में आ जाता है. उन्होंने अपने बयान में पिछले साल जम्मू कश्मीर में हुए प्रदर्शनों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "कश्मीर को लेकर कुछ चिंताएं हैं. नतीजतन हाल ही में वहां प्रदर्शन भी हुए और बात बढ़ते बढ़ते इलाके में चीन की मौजूदगी तक जा पहुंची. साथ ही, सीमा पार से जारी आतंकवाद भी हालात को तनावपूर्ण बनाए है."

विलर्ड ने कहा, "मुझे लगता है कि भारतीयों ने संबंधों को बेहतर करने के संकेत दिए हैं और इसके लिए कम से कम मंत्री स्तर पर तो कोशिशें भी की हैं. हाल में दोनों देशों के बीच बातचीत भी हुई है. फिर भी दोनों पक्षों के बीच तनाव पर इसका असर नहीं हो रहा है."

Konflikt Indien Pakistan
कश्मीर पर आ कर रुक जाती है बातचीततस्वीर: AP

अमेरिका की भूमिका

विलर्ड के मुताबिक अमेरिका को अपने उन दोनों सहयोगियों के साथ बहुत सावधानी से और सोच समझकर काम करते रहना होगा ताकि उन्हें बातचीत की मेज तक लाया जा सके. उन्होंने कहा, "इस मुद्दे पर भारत के ठोस विचार हैं और वह हमें याद भी दिलाता रहता है. उनका मानना है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है और उन्हें खुद ही इसे हल करना है."

विलर्ड का कहना है कि ऐसे हालात में अमेरिका की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि दोनों मुल्क परमाणु ताकत रखते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका दोनों देशों से किस तरह बात करता है, इसका असर देशों पर ही नहीं पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ेगा, जिसमें अफगानिस्तान भी है और वह अमेरिका के लिए बेहद अहम है.

रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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