चुनावों से पहले ईसाइयों को चाहिए कब्रिस्तान
२६ मार्च २०१९भारत में चुनावों के ठीक पहले देश भर से बरोजगारी, गरीबी आतंकवाद जैसे मुद्दों पर लंबी-चौड़ी बहसें छिड़ी हुई हैं. राजनीतिक दल तमाम वादे कर रहे हैं. लेकिन इन सब के बीच मुंबई के ईसाइयों की अपनी अलग ही मांग हैं. देश की आर्थिक राजधानी में रहने वाले इस अल्पसंख्यक समुदाय के लोग मरने वालों को दफनाने के लिए कब्रिस्तान की जगह चाहते हैं. ईसाई समुदाय के लोगों का कहना है कि जगह की कमी के चलते अब उन्हें शव को उन्ही जगहों पर दफन करना पड़ता है जहां पहले से ही किसी की कब्र है.
भारत की 1.3 अरब की कुल आबादी में तकरीबन 2.3 फीसदी ईसाई आबादी है. ईसाई संगठनों के मुताबिक तकरीबन नौ लाख लोग मुंबई और इसके आसपास के क्षेत्र में बसे हुए हैं. लोग चाहते हैं कि उनकी इस मांग को सुना जाए और वह चुनावी मुद्दा बन सके.
बॉम्बे कैथोलिक सभा के सदस्य केसबर ऑगस्टीन कहते हैं, "हम उम्मीदवारों से मिलेंगे और कब्रगाहों की जगह के लिए मांग करेंगे." इसके अलावा समुदाय के सदस्य अब जल्द मिलकर एक अभियान चलाने की योजना भी बना रहे हैं. जल्द ही समुदाय सोशल मीडिया पर टि्वटर के जरिए हैशटैग #NoCemeteryNoVote शुरू करने वाला है.
ऑगस्टीन ने बताया कि उन लोगों के पास पुरानी कब्र को खोद कर फिर वहीं शव दफनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. मुंबई में छह सरकारी कब्रिस्तान है जिनमें से तीन ठाणे में हैं. लोग बताते हैं कि जगह की कमी के चलते अब वे लकड़ी के ताबूत की जगह कपड़ें में लपेट कर शव को दफन करते हैं ताकि वह जल्दी से विघटित जाए.
लोगों ने बताया कि कई बार दफन शव पूरी तरह से विघटित नहीं होता ऐसे में उसी जगह दूसरे शव को दफनाना बेहद ही अजीब हो जाता है. साथ ही परिवारवालों के लिए भी ऐसी स्थिति को देखना मुश्किल हो जाता है.
ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन के पूर्व उपाध्यक्ष डोल्फी डिसूजा कहते हैं, "आपके पास गरिमामय जीवन नहीं है, वहीं अब गरिमा और इज्जत के साथ मर भी नहीं सकते." ईसाई समुदाय के लोग कहते हैं कि मरने वालों को अब जगह और शांति मिलनी चाहिए. शिवसेना के सांसद राजन विचारे इस पूरे मसले को समझने का दावा करते हैं. उन्होंने बताया कि ठाणे के पास बन रहे नए कब्रिस्तान जल्द ही पूरा हो रहे है. उन्होंने कहा, "कुछ भी काम एक रात में नहीं हो सकता. इन्हें पूरा होने में भी छह महीने का समय लगेगा."
एए/ओएसजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)