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क्रिकेट में ऊपर चढ़ता एशिया

३ अप्रैल २०११

वर्ल्ड कप फाइनल में एशिया की दो टीमें पहुंचीं. तीसरी आखिरी चार तक थी. चौथी पहले दौर में बाहर हुई लेकिन मजबूत चुनौतियों के साथ. क्या कभी वेस्ट इंडीज और ऑस्ट्रेलिया के गिर्द घूमने वाला क्रिकेट अब उप महाद्वीप का हो गया है.

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तस्वीर: AP

36 साल के वर्ल्ड कप इतिहास में यह पहला मौका था, जब दो पड़ोसी देश फाइनल में पहुंचे. यह पहला मौका था, जब किसी मेजबान ने वर्ल्ड कप जीता और यह पहला मौका था, जब दो मेजबान टीमों के बीच खिताबी मुकाबला हुआ.

क्रिकेट अमीर तो भारतीय उप महाद्वीप से ही हुआ है. दुनिया के इसी हिस्से ने इसे पैसा दिया है, शोहरत दी है और जुनून के हद तक चाहने वाले क्रिकेट के दीवाने दिए हैं. आखिर इन चार देशों में दुनिया की एक चौथाई आबादी भी रहती है और भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में क्रिकेट से बढ़ कर कोई खेल है नहीं. खेलों की बात होने पर सबसे पहले क्रिकेट का नाम ही आता है.

इस बार के वर्ल्ड कप में इस बात का दबदबा साफ दिखा. ऑस्ट्रेलिया भले ही 12 साल से वर्ल्ड कप में न हारी हो लेकिन इस बार उसे लगातार दो बार एशियाई टीमों से ही पराजय का सामना करना पड़ा और आखिरकार वह चैंपियन भारत से हार कर वर्ल्ड कप से बाहर हुई. पाकिस्तान ने बड़े बड़े चैंपियनों के छक्के छुड़ा दिए और सेमीफाइनल तक पहुंच गया. श्रीलंका ने लीग मुकाबलों में सिर्फ एक मैच हारा, वह भी उप महाद्वीप की टीम पाकिस्तान से.

Ross Taylor Cricketspieler von Neuseeland
तस्वीर: AP

इंग्लैंड से शुरू हुआ खेल क्रिकेट अब भारतीय उप महाद्वीप का बनता जा रहा है. यहां क्रिकेट खेलने वालों को जितनी सुविधाएं मिलती हैं, कोई फुटबॉलर या हॉकी खिलाड़ी उसकी सिर्फ कल्पना भर कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग और क्रिकेटरों का ग्लैमर भी क्रिकेट को बेहतर बना रहा है. टीम में जाने की होड़ बढ़ी है. प्रतियोगिता बढ़ी है, लिहाजा क्रिकेटरों का स्तर भी ऊपर हुआ है.

क्रिकेट की दुनिया में अगर ऑस्ट्रेलिया को एक तरफ कर दिया जाए, तो यह देखा गया है कि हर देश का एक वक्त होता है, जिसमें उसकी टीमें लगातार अच्छा करती हैं. 1960 तक का वक्त इंग्लैंड के नाम था. 1970 और 1980 का दशक वेस्ट इंडीज के नाम रहा और उसके बाद 1990 का दशक ऑस्ट्रेलिया का. लेकिन हाल के सालों में भारत और श्रीलंका ने क्रिकेट में ऐसी जगह बनाई है, जिसके बाद उन्हें नजरअंदाज करने का जोखिम कोई नहीं उठा सकता. भारत ने 1990 के दशक से ही अपना सबसे मजबूत पक्ष अपनी बल्लेबाजी बना ली, जो आज भी कायम है. श्रीलंका लगातार आगे बढ़ता क्रिकेट देश है. दूसरे देश अपना लय नहीं बनाए रख पाए.

वैसे यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि भारतीय उप महाद्वीप की पिचें खास अंदाज की होती हैं. घूमती चकराती पिचें इंग्लैंड ऑस्ट्रेलिया वालों को कभी रास नहीं आतीं. यह बात अलग है कि ऑस्ट्रेलिया ने अपना पहला वर्ल्ड कप भारतीय उप महाद्वीप में ही जीता था. अब देखना है कि अगली बार जब उनके घर में विश्व कप होगा, तो बाजी कौन मारेगा.

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः ओ सिंह

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