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जर्मन प्रेस में भी क्रिकेट विश्वकप

१ अप्रैल २०११

सारे भारत में क्रिकेट वर्ल्ड कप की चर्चा है, और जर्मन प्रेस में भारत-पाकिस्तान की चर्चा के तहत भी. खासकर इसकी ओर ध्यान दिलाया गया कि मुंबई हमले के बाद दोनों प्रधानमंत्री और क्रिकेट खिलाड़ी पहली बार भारत में मिले.

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मोहाली में मिले भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रीतस्वीर: AP

समाचार पत्र फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने त्साइटुंग में लिखा गया कि भले ही दोनों राजनेताओं ने शाम तक शिष्टाचार के प्रदर्शन के अलावा कुछ कहा नहीं, लेकिन भारत के पंजाब राज्य में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री गिलानी की इस यात्रा से दोनों देशों के बीच तनाव भरे रिश्तों में बेहतरी के संकेत मिलते हैं. आगे कहा गया है -

फिर से नजदीक आने की पृष्ठभूमि के बारे में काफी अटकलें लगाई जा रही हैं. कुछ लोगों का ख्याल है कि दो साल से अधिक समय से बर्फघर में पड़े संबंधों में सुधार की घड़ी आ गई थी. कुछ लोग इस सिलसिले में अमेरिका की ओर से डाले जा रहे राजनयिक दबाव की ओर ध्यान दिला रहे हैं, जो चाहता है कि भारत के साथ विवाद से पाकिस्तान को हो रहे नुकसान को कम किया जाए, ताकि घरेलू इस्लामपंथ के खिलाफ लड़ने की इस्लामाबाद की हैसियत बढ़ाई जा सके. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि घरेलू राजनीति में पीछे हट रहे दो प्रधानमंत्री विदेश नीति के मोर्चे पर सफलता ढूंढ़ रहे हैं, ताकि इतिहास की किताबों में वे अपने नाम दर्ज कर सकें.

Cricket World Cup Semifinal India Pakistan Flash-Galerie
क्रिकेट के जरिए कूटनीतितस्वीर: AP

समाचार पत्रों में यह भी कहा गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सेमीफाइनल मैच क्रिकेट विश्व कप की अब तक की पराकाष्ठा थी. म्युनिख से प्रकाशित दैनिक सुएडडॉयचे त्साइटुंग का कहना है कि इस मैच का एक राजनीतिक पहलू था. एक लेख में कहा गया -

खेलकूद कम से कम स्टेडियम के मंच पर दुश्मनों को नजदीक ला सकता है. बुधवार को उत्तर भारत के मोहाली में यही देखा गया...सर्वोच्च स्तर पर भरोसा तैयार करने के लिहाज से "क्रिकेट कूटनीति" बिल्कुल सही समय पर शुरू की गई है.

और बर्लिन से प्रकाशित दैनिक टागेसश्पीगेल की भी यही राय है. समाचार पत्र के एक लेख में कहा गया है -

क्रिकेट मैच के जरिए दोनों पड़ोसियों के बीच खामोशी तोड़ी जानी थी और व्यक्तिगत स्तर पर भी संबंधों को फिर से सामान्य बनाया जाना था. विशेषज्ञों की राय में प्रधानमंत्री सिंह का निमंत्रण सिर्फ शिष्टाचार का संकेत नहीं था. मिसाल के तौर पर पाकिस्तान के विश्लेषक हसन अस्करी रिजवी का कहना है कि इससे संबंधों में एक मोड़ के आसार दिखते हैं. इसी प्रकार भारत के पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर कहते हैं, "यह एक बहुत अच्छा कदम है. प्रधानमंत्री चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच संबंधों में बेहतरी आए."

नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद दोनों देशों के बीच पहली बार सीधी शांतिवार्ता हुई, जो क्रिकेट कूटनीति की खबरों के पीछे थोड़ी छिप सी गई. राजधानी दिल्ली में भारत और पाकिस्तान के गृह सचिव गोपाल के पिल्लई और चौधरी कमर जमान मिले. बहरहाल, समाचार पत्र नोय त्स्युरिषर त्साइटुंग को शक है कि इस बातचीत से दोनों देशों के संबंधों में कोई सच्चा मोड़ आएगा. एक लेख में कहा गया है -

अब तक पाकिस्तान का मजबूत सुरक्षा तंत्र, जो 1947 में राष्ट्र की स्थापना के बाद से उसे ज्यादातर समय अपने नियंत्रण में रखता रहा, संबंधों को बिगाड़ने पर लक्षित सीधे कदमों के जरिये निकटता का भीतरघात करता रहा. साफ है कि पाकिस्तान के जनरल भारत के साथ शांति नहीं चाहते. भारत से पहुंच रहे तथाकथित खतरे के बल पर पाकिस्तान की सेना की विशेष स्थिति बनी हुई है. दोनों देशों के बीच जारी तनाव से न सिर्फ पाकिस्तान के विशाल सैनिक तंत्र, बल्कि किसी हद तक देश के अस्तित्व के आधार का औचित्य बना हुआ है. इस देश की हालत अत्यंत दयनीय है. अगर विदेशी मदद और विश्वबैंक से अरबों का कर्ज न मिले तो पाकिस्तान दिवालिया हो जाएगा...अगर कश्मीर समस्या के समाधान से भारत के साथ झगड़ा मिट जाता है, तो अपने अंतर्विरोधों के चलते पाकिस्तान टूट जाएगा.

Flash-Galerie Anschläge Mumbai Indien 2008
मुंबई के आतंकवादी हमले संबंधों में मुख्य बाधा हैंतस्वीर: AP

एक दूसरी खबर. भारत के विमानन उद्योग में दहाई के आंकड़े में वृद्धि हो रही है. समाचार पत्र फ्रांकफुर्टर अलगेमाइने त्साइटुंग का कहना है कि यहां तेजी से करियर भी बनाए जा रहे हैं. अगले पांच सालों में भारत में 2500 नए पायलटों की जरूरत पड़ेगी. इस तेज वृद्धि का नतीजा है कि नकली सर्टिफिकेटों के बल पर लोग भारत में पाइलट बन रहे हैं. एक रिपोर्ट में कहा गया है -

सिर्फ पिछले साल के दौरान नई दिल्ली के नागरिक उड्डयन महानिदेशालय डीजीसीए में ऐसे 14 मामले सामने आए हैं, जिनमें नकली सर्टिफिकेटों वाले पायलट हवाई विमान उड़ा रहे थे. एक अभियोक्ता का कहना है कि धोखाधड़ी के इन मामलों में बहुत से लोग जुड़े हुए हैं और पिछले दो सालों में उनकी संख्या बहुत बढ़ गई है. इसकी वजह हवाई सेवा की बढ़ती हुई मांग भी है. सिर्फ पिछले साल के दौरान विमान यात्रियों की संख्या में 19 फीसदी की वृद्धि हुई है और वह 5 करोड़ 20 लाख तक पहुंच गई है. अगर लाइसेंस हो तो एक पाइलट की तनख्वाह दोगुनी हो जाती है और वह महीने में लगभग चार लाख रुपए तक कमा सकता है.

संकलन: अना लेमान्न/उभ

संपादन: ए कुमार

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