कॉमेट के पास पहुंचा रोजेटा
६ अगस्त २०१४8 जून 2011 के बाद से रोबोट के साथ संपर्क टूट गया था. इसकी वजह थी कि रोजेटा और फिली पिछले 30 महीनों में सूरज से 80 करोड़ किलोमीटर दूर पहुंच गए. इस दौरान उनकी बैटरी को चार्ज करने के लिए सौर ऊर्जा का विकल्प था लेकिन दूरी बढ़ने से रोबोट को बंद करना पड़ा. 20 जनवरी 2014 को रोजेटा अपनी नींद से जाग गया और जर्मन शहर डार्मश्टाट में कंट्रोल सेंटर से उसने संपर्क किया. 28 मार्च को फिली भी ऑन हो गया.
अगर सब कुछ अनुमान के हिसाब से सही रहा तो इस साल 11 नवंबर को फिली धूमकेतु पर लैंड करेगा और हमारे ब्रह्मांड के कुछ और रहस्यों को सुलझाने में मदद करेगा. वैसे फिली की लैंडिंग को लैंडिंग नहीं कहा जा सकता क्योंकि धूमकेतु का व्यास तीन से पांच किलोमीटर है और इस कॉमेट का गुरुत्वाकर्षण भी बहुत कम है.
बिना ग्रैविटी के लैंडिंग
पहले रोजेटा फिली को कॉमेट के तीन किलोमीटर पास लेकर आएगा. धूमकेतु की अपनी गति करीब 1,35,000 किलोमीटर प्रति घंटा है. फिली सीधे कॉमेट की सतह पर नहीं लैंड कर सकता क्योंकि कॉमेट का गुरुत्वाकर्षण बहुत कम है. लिहाजा रोबोट धूमकेतु की बर्फीली सतह पर तेज रफ्तार से एक बर्छी को फायर करेगा.
जर्मन स्पेस सेंटर डीएलआर के योहान डीटरिश वोएर्नर कहते हैं, "यह एक मुश्किल मिशन है लेकिन अपने तकनीकी विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों पर मुझे विश्वास है. उन्होंने इस बर्छी को अलग अलग चीजों पर आजमाया है और यह काम करता है."
जिंदगी की शुरुआत
वोएर्नर कहते हैं कि धूमकेतु सौरमंडल के बहुत पुराने सदस्य हैं और इनकी जांच से पता चल सकता है कि सौरमंडल कैसे पैदा हुआ. इनकी सतह पर अमीनो ऐसिड से पता चल सकता है कि जीवन की शुरुआत कैसे हुई. यह हमारे सौरमंडल के फ्रिज जैसे हैं. इनमें हजारों साल पुरानी जानकारी छिपी है.
वैज्ञानिक यह भी जानना चाहते हैं कि क्या कॉमेट के जरिए पृथ्वी पर पानी लाया जा सकता है. वोएर्नर कहते हैं, "यह सचमुच अनजानी मंजिल की तरफ एक यात्रा है." रोजेटा और फिली में कैमरे भी लगे हुए हैं और इनकी मदद से धूमकेतु के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी.
रिपोर्टः फाबियान श्मिट/एमजी
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी