कसाब को उम्रक़ैद या फांसी, फैसला आज
६ मई २०१०क्रूरता के साथ 166 लोगों की हत्या, मुंबई हमलों की साजिश रचने समेत 86 गंभीर अपराधों में दोषी कसाब के लिए फ़ैसले का दिन आ गया है. मुंबई में विशेष अदालत के जज एमएल तहलियानी उसे सज़ा सुनाएंगे. साफ सबूतों और मामले की गंभीरता को देखते हुए कसाब को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी तय है.
कहा जा रहा है कि फ़ैसला गुरुवार दोपहर साढ़े बारह बजे के आस पास आएगा. इससे पहले सोमवार को अदालत ने कसाब को दोषी करार दिया था. अगले दिन सज़ा को लेकर बहस हुई. अभियोजन पक्ष के वकील उज्ज्वल निकम ने अदालत से कहा कि इतना क्रूरतम अपराध करने वाले को सिर्फ़ मौत की सज़ा दी जा सकती है.
बचाव पक्ष के वकील केपी पवार ने अदालत से मौत की सज़ा न देने की मांग की है. पवार की दलील थी कि हमले के वक्त कसाब युवा था और आतंकवाद को लेकर लश्कर ए तैयबा के बहकावे में आ गया. बचाव पक्ष का कहना है कि कसाब के सामने अभी पूरी ज़िंदगी पड़ी है, वह एक अच्छा इंसान भी बन सकता है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फ़ैसले के लिए गुरुवार का दिन तय किया.
इस बीच आम लोगों में भी फ़ैसले को लेकर ख़ासी उत्सुकता है. कई लोगों का कहना है कि कसाब को फांसी होनी चाहिए. हमले के दौरान जान गंवाने वाले मुंबई एटीएस के अफसर विजय सालस्कर की पत्नी कहती हैं, ''कसाब को फांसी होनी चाहिए और हमें उससे कोई हमदर्दी नहीं दिखानी चाहिए.'' वैसे कुछ लोगों की राय अलग है. वह कहते हैं कि कसाब ज़िंदगी भर जेल में ही रखा जाना चाहिए.
कसाब को मुंबई हमले के पहले दिन 26 नवंबर 2008 को गिरफ़्तार किया गया था. पकड़ में आने से पहले कसाब ने अपने साथी के साथ सीएसटी स्टेशन पर अंधाधुंध फायरिंग कर 52 लोगों की हत्या की. सीएसटी से निकलने के बाद कार पर सवार कसाब और उसके साथियों ने सड़क के आस पास घूम रहे लोगों की हत्या की, जिनमें मुंबई पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वॉड के वरिष्ठतम अधिकारी भी शामिल थे. कसाब को गोरेगांव के पास पुलिस नाकेबंदी में गिरफ़्तार किया गया. मौक़े पर उसका साथी मारा गया.
मुंबई में 60 घंटे तक हुए आतंकी हमले के दौरान कई विदेशी नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे. हमलों के बाद से ही पाकिस्तान और भारत के संबंध ख़राब हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: आभा मोंढे