इतिहास के सबसे बड़े हमले के दिन क्या हुआ था
५ जून २०१९एक दिन पहले 5 जून की रात सवा नौ बजे बीबीसी रेडियो के लोनडर्स पर पॉल वेरलायन की 1866 में लिखी कविता "चांसन डे ऑटोम" की शुरुआती लाइनें प्रसारित की गई. यह रेडियो लंदन से नाजी कब्जे वाले फ्रांस के लिए प्रसारण करता था. फ्रांस में नाजियों से लड़ रहे लोगों के लिए यह कविता इस बात का संकेत थी कि अब हमला होने ही वाला है. रात को 10 बजे ब्रिटेन में मौजूद वायुसैनिक विमानों में सवार हो गए.
दो घंटे बाद कैलेंडर ने तारीख बदली और ठीक 12 बज कर पांच मिनट पर फ्रांस के तटवर्ती इलाकों में मित्र सेना की बमबारी शुरू हो गई. सवेरा होने तक 5000 टन बम गिराए जा चुके थे. रात को ही 12 बज कर 15 मिनट पर मित्र सेना के ग्लाइडर नाजी सैनिकों के पीछे उतरने शुरू हो गए. इन ग्लाइडरों से सैनिक और साजो सामान भेजा गया था. समंदर के किनारों पर नाजी सेना ने कांटेदार बाड़ लगा रखी थी, बहुत से सैनिक इनमें उलझ गए. इसके अलावा कई सैनिक वहां मौजूद कीचड़ में फंस गए.
12 बज कर 20 मिनट पर इस ऐतिहासिक दिन की पहली विजय हासिल हुई जब ब्रिटिश सेना के छठे एयरबोर्न डिविजन ने पेगासस पुल को अपने कब्जे में ले लिया. इस पुल पर कब्जे के साथ ही नाजी सेना का पीछे की बीच पर मौजूद उनके टैंक बटालियन से संपर्क खत्म हो गया. इसके आधे घंटे बाद भारी नाजी गोलीबारी के बीच ब्रिटेन और अमेरिका के हजारों सैनिक पैराशूट से नीचे कूदने लगे. सैनिकों का उतरना करीब ढाई बजे तक चलता रहा. उस दिन करीब 23000 सैनिक पैराशूट से नीचे उतरे थे.
300 किलोमीटर दूर नाजी सेना को हमले का पता चल चुका था लेकिन जर्मन नेताओं को इस बात की खबर देना मुश्किल साबित हो रहा था. जर्मन सेना के कमांडर फील्ड मार्शल एर्विन रोमेल अपनी बीवी का जन्मदिन मनाने के लिए छुट्टी पर थे.
सुबह ढाई बजे ब्रिटिश पैराट्रूपरों ने काइन के उत्तर में मौजूद रांविल शहर को मुक्त करा लिया. उस वक्त तक नाजी तानाशाह अडोल्फ हिटलर को इस हमले की भनक नहीं लगी थी क्योंकि हिटलर के सहायकों ने हमले की खबरों को इतना भरोसेमंद नहीं माना कि हिटलर को सोते से जगाया जाए. सुबह 5 बज कर 58 मिनट पर जब सूरज उगा तो समंदर का ज्वार नीचे था. अमेरिकी सेना को उटाह और ओमाहा के समुद्री तटों पर उतारने की कवायद शुरू हुई जबकि ब्रिटेन और कनाडा के सैनिक गोल्ड, जूनो और स्वोर्ड बीचों पर गए.
सात बजने में जब 15 मिनट बाकी थे तो अमेरिकी सैनिकों को लेकर आया पहला बोट ओमाहा पहुंचा. यहां ऊंचे ऊंचे चट्टान थे और उनपर जर्मनी की 352वीं इंफैट्री डिविजन का दबदबा था. करीब 34 हजार अमेरिकी सैनिक वहां उतरे और दिन खत्म होते होते उनमें से ढाई हजार या तो घायल हो गए या फिर मारे गए. इसी तरह गोल्ड और स्वोर्ड बीच पर उतरे ब्रिटेन के 53000 सैनिकों में मरने या घायल होने सैनिकों की तादाद 1000 थी जबकि उटाह बीच पर उतरे 23,500 सैनिकों में 200 घायल हुए या मारे गए. जूनो बीच पर 21000 कनाडाई और ब्रिटिश सैनिक आए. इनमें से भी 900 दिन खत्म होने तक युद्ध से बाहर हो गए. कुछ की मौत हुई और कुछ घायल हुए.
अमेरिकी जनरल ड्वाइट आइजेनहॉवर ने ऑपरेशन ओवरलोड शुरू करने का एलान किया, तब सुबह के 6 बज कर 30 मिनट हुए थे. हिटलर की नींद खुल चुकी थी और हमले की जानकारी भी मिल गई थी. ओमाहा बीच पर मौजूद नाजी सैनिकों को बीच छोड़ने और देश के भीतरी हिस्से में मौजूद पहाड़ी मैदानों पर हमला करने का आदेश मिला. दोपहर के 12 बजे ब्रिटेन की संसद में प्रधानमंत्री और जंग के नेता विंस्टन चर्चिल ने संसद को इस हमले की जानकारी दी. मित्र सेना आगे बढ़ी तो दोपहर तीन बजे हिटलर ने 12वीं एसएस हिटलरयूगेंड और लेह्र टैंक डिविजन को तटीय इलाके में तैनात करने का आदेश दिया. हालांकि हिटलर को अब भी लग रहा था कि झांसा दिया जा रहा है. कमांडर रोमेल नॉरमांडी की तरफ रवाना हो गए.
बीबीसी के मुताबिक ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे फ्रेंच जनरल चार्ल्स डे गॉल ने शाम छह बजे कहा कि फ्रांस के लिए युद्ध शुरू हो गया है. इसके दो घंटे बाद यानी रात आठ बजे प्रमुख शहरों पर बमबारी शुरू हुई और इसके बाद का चरण लंबा खिंचा. नॉरमांडी के लिए यह एक मुश्किल जंग थी. आधी रात बीतने तक डेढ़ लाख से ज्यादा सैनिकों ने नाजी कब्जे वाले उत्तरी फ्रांस पर पूरी तरह से धावा बोल दिया था. विश्व युद्ध में इसे सबसे बड़ा हमला कहा जाता है. हमले के लिए 1,33,000 सैनिक पानी के रास्ते आए थे. इसमें 6,934 पानी के जहाजों का इस्तेमाल हुआ था. बहुत से युद्धक जहाज बड़े जहाजों पर रख कर नॉरमांडी के पास लाए गए और फिर उन्हें पानी में उतार कर किनारों की तरफ रवाना किया गया. इतिहास में पानी के रास्ते से हमले की इससे बड़ी कोई और मिसाल नहीं है.
इसके अलावा करीब 23 हजार सैनिक हवाई रास्ते से फ्रांस पहुंचे थे. केवल छह जून को मित्र सेना के 11,500 विमानों ने धावा बोला था. इसमें 3500 ग्लाइडर, 5000 लड़ाकू विमान और 3000 बमवर्षक विमानों ने नॉरमांडी के समुद्री तटों के ऊपर उड़ान भरी थी. इन विमानों ने करीब 11,912 टन बम जर्मन तटरक्षकों पर गिराए थे. हालांकि छह जून के हमले में जर्मन सेना का नुकसान तुलनात्मक रूप से कम था. आंकड़ों के मुताबिक नाजी जर्मनी के 127 हवाई जहाज नष्ट हुए जबकि 63 को नुकसान पहुंचा.
इस हमले के लिए करीब 1000 टैंक भी फ्रांस में उतारे गए थे. हमले में केवल उसी दिन मित्र सेना के 11000 सैनिक या तो मारे गए या घायल हुए या फिर लापता हो गए. नाजी सेना को उस दिन कितना नुकसान हुआ इसका पूरा ब्यौरा नहीं जुटाया जा सका.
एनआर/एमजे (एएफपी)
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