हिटलर को हराने वाला पुल
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी में मित्र सेनाएं और जर्मन सैनिक बुरी तरह एक पुल के लिए लड़ रहे थे. इसी पुल ने हिटलर के पतन में अहम भूमिका निभाई.
विशाल नदी पार
राइन नदी पर बने लुडेनडॉर्फ पुल पर 1945 में मित्र सेनाओं ने कब्जा कर लिया. इस पुल को नियंत्रण में लेते ही मित्र सेनाओं को अपने टैंक और सैन्य काफिले को नदी पार ले जाने का रास्ता मिल गया. बर्लिन की तरफ का रास्ता इस पुल से निकला.
पहली अमेरिकी टुकड़ी
सात मार्च 1945 को पुल पर नियंत्रण के बाद अमेरिकी सेना की नवीं आर्म्ड डिविजन ने पहली बार राइन नदी पार की. पूरब से रूसी सेना जर्मन सैनिकों को खदेड़ रही थी और पश्चिम से अमेरिकी सेना.
जर्मनी का गेटवे
हिटलर की सेना ने इस पुल को तबाह करने की काफी कोशिश की. खूब बमबारी के बावजूद जर्मन सेना 17 मार्च 1945 को पुल को तबाह करने में कामयाब रही. लेकिन तब तक 10 दिन बीत चुके थे.
हिटलर को झटके
मित्र सेनाओं के करीब 25,000 सैनिक और वाहन पुल पार कर नए इलाके में दाखिल हो चुके थे. अमेरिकी सेना पहली बार जर्मनी के बिल्कुल नए भूभाग में दाखिल हुई. इसके बाद वह जीतती हुई बर्लिन तक जा पहुंची.
"द ब्रिज एट रेमागन"
1969 में शीतयुद्ध पर बनी फिल्म "द ब्रिज एट रेमागन" ने इस पुल के सामरिक महत्व को बखूबी दिखाया. दूसरे विश्वयुद्ध में इस पुल को पार करने के बाद अमेरिका और ब्रिटेन की अगुवाई वाली मित्र सेना जर्मनी के बड़े भूभाग को जीतती चली गई.
श्रद्धाजंलि
यह तस्वीर पुल पर नियंत्रण की 70वीं बरसी के दौरान 2015 में ली गई. इस दौरान विश्वयुद्ध लड़ चुके पूर्व सैनिक या उनके परिजन वहां जुटे.
शांति का प्रतीक
1945 की तबाही के बाद लुडेनडॉर्फ पुल का पुर्नर्निमाण नहीं किया गया. आज भी रेमागन कस्बे में पुल का एक टावर साफ दिखाई पड़ता है. अब यह टावर शांति को समर्पित एक म्यूजियम है.