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होंडा ने फ़ॉर्मूला वन को किया टाटा

६ दिसम्बर २००८

आर्थिक मंदी की खेल पर पहली मार दिख गई है. जापानी कार कंपनी होंडा ने ख़र्च में कटौती के लिए फॉर्मूला वन में हिस्सा नहीं लेने का फ़ैसला किया है. यह दुनिया भर में कार उद्योग पर संकट का भी असर है.

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फ़र्राटे पर ब्रेकतस्वीर: AP

जापान की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी होंडा की फ़र्राटा कारें अब फ़ॉर्मूला वन के ट्रैक पर नहीं दिखेंगी. होंडा ने 34 साल बाद फ़र्राटा रेसिंग से हट जाने का फ़ैसला किया है. यह फ़ैसला आर्थिक मंदी की वजह से लिया गया है. कंपनी ने साफ़ कर दिया है कि उसका यह फ़ैसला तुरंत अमल में आएगा यानी 2009 में वह फ़ॉर्मूला वन में हिस्सा नहीं लेगी. वह हर साल क़रीब 50 करोड़ डॉलर इस खेल पर ख़र्च करता था.

फ़ॉर्मूला वन को दुनिया के सबसे ख़र्चीले खेलों में गिना जाता है. रेसिंग ट्रैक, बेशुमार महंगी कारें, महंगे ड्राइवर, हर ड्राइवर के लिए एक बड़ी टीम, जो पूरे रेस के दौरान अपना कैंप लगा कर उसे मदद करती है और बेहद महंगे उपकरण. समझा जाता है कि होंडा के इस फ़ैसले से ड्राइवरों के अलावा रेसिंग टीम के कई सदस्य भी प्रभावित होंगे और उनकी नौकरियां जा सकती हैं.

Formel 1 Sao Paulo Brasilien
इंजन भी नहीं बनाएगा होंडातस्वीर: AP

होंडा ने यह भी तय कर लिया है कि वह दूसरी कंपनियों के लिए भी रेसिंग इंजन नहीं बनाएगा और इस तरह कुछ दूसरी टीमों पर भी इस फ़ैसले का असर पड़ सकता है. होंडा के सीईओ ताकियो फ़ुकुई ने टोक्यो में बताया, "हम वन में बने रहने से बेहद ख़ुश महसूस करते. लेकिन मौजूदा वित्तीय माहौल हमें इसकी इजाज़त नहीं देता है."

होंडा के इस फ़ैसले से ब्रिटेन के फ़र्राटा ड्राइवर जेनसन बटन और रुबेन्स बारिकेलो के फ़ॉर्मूला वन में हिस्सा लेने की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है. अगर कोई नई टीम शामिल की जाती है तो शायद उन्हें मौक़ा मिल जाए.

BdT Deutschland Formel 1 McLaren Mercedes Team in Stuttgart vorgestellt
कम हो सकती हैं कारेंतस्वीर: AP

उन्होंने कहा, "इस वक्त फ़ॉर्मूला वन में बने रहने की हमारी कोई योजना नहीं है. हम दूसरी कंपनियों के लिए भी इंजन नहीं बनाएंगे क्योंकि होंडा आधे अधूरे तरीक़े से इसमें नहीं बने रहना चाहता है."

होंडा 1964 से फ़ॉर्मूला वन में लगातार हिस्सा लेता आया है. हालांकि उसका कोई ड्राइवर अभी तक चैंपियन नहीं बन पाया है. होंडा का कहना है कि उसे इस मौक़े पर समझदारी के साथ क़दम उठाना है क्योंकि उसे अपने ख़रीदारों की भी चिंता है. अमेरिका में कार उद्योग पर बुरी तरह मार पड़ने का असर होंडा पर साफ़ दिख रहा है. होंडा का अमेरिका को किया जाने वाला निर्यात 32 फ़ीसदी गिरा है.

ताकियो फ़ुकुई ने कहा, "फ़ॉर्मूला वन से बाहर होने पर ख़र्च में कटौती होगी. कंपनी को देखना है कि हम तीन से पांच साल के अंदर कहां पहुंच सकते हैं." होंडा और टोयोटा ने हाल के दिनों में फ़र्राटा कार रेस में ज़बरदस्त पैसा झोंका था और अब होंडा के अलग हो जाने से निश्चित तौर पर फ़ॉर्मूला वन के आलीशान आयोजन पर भी असर पड़ सकता है. साल दो साल में भारत में भी फ़ॉर्मूला वन रेस होना है और इसकी तैयारियां ज़ोरों पर हैं.

फ़ॉर्मूला वन की रेसों में 20 कारें हिस्सा लेती हैं और अगर होंडा की जगह किसी और कंपनी ने नहीं भरी तो अगले साल के सीज़न में सिर्फ़ 18 कारें ही होंगी. मौजूदा तंगी को देखते हुए इस बात की कम ही उम्मीद है कि कोई कंपनी फ़ॉर्मूला वन के ख़र्चीले ट्रैक पर अपनी कारें उतारने का फ़ैसला करेगी. डर तो इस बात का है कि कहीं दूसरी कंपनियां भी होंडा की देखा देखी ऐसा ही क़दम उठाने की न सोचें.