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हिम तेंदुओं के संरक्षण में कामयाबी की इबारत लिखता भूटान

प्रभाकर मणि तिवारी
२२ सितम्बर २०२३

भारत का पड़ोसी देश भूटान स्नो लेपर्ड यानी हिम तेंदुए के संरक्षण में कामयाबी की इबारत लिख रहा है. भूटान में तेंदुओं की संख्या में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है हालांकि इनके खत्म हो जाने की चिंता खत्म नहीं हुई है.

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भूटान सरकार की कोशिशों से तेंदुओं की आबादी बढ़ रही है
भूटान के थोएबिला में कैमरे में कैद हुआ हिम तेंदुआतस्वीर: Bhutan Foundation and JDNP/ANN/picture alliance

इस सदी के शुरुआती 16 वर्षों में इनकी तादाद में तेजी से गिरावट आई थी. तब बढ़ती इंसानी आबादी और जलवायु परिवर्तन को इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा था. इन तमाम बाधाओं से पार पाते हुए भूटान सरकार ने संरक्षण की दिशा में जो ठोस पहल की थी उसका नतीजा अब सामने आया है. भूटान की ओर से किए गए नेशनल स्नो लेपर्ड सर्वे, 2022 के नतीजों के मुताबिक इन आठ वर्षों में इनकी तादाद घटने की बजाय बढ़ी है और वर्ष 2015 के 96 के मुकाबले यह 136 तक पहुंच गई है. तेंदुए की यह प्रजाति आईयूसीएन की रेड लिस्ट में शामिल है और दुनिया भर में इसकी आबादी चार से छह हजार के बीच होने का अनुमान है.

भारत में तेंदुओं की बढ़ी तादाद से संरक्षण की चिंताएं भी बढ़ीं

भूटान के ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधन सचिव कर्मा शेरिंग बताते हैं कि सर्वेक्षण के नतीजे उत्साहवर्धक हैं. उनका कहना है, "साफ है कि भूटान इस इलाके में जानवरों की इस प्रजाति का सबसे बड़ा घर है. लेकिन इससे संतुष्ट होकर हाथ पर हाथ धरे बैठने से काम नहीं चलेगा. हमें इस संवेदनशील जानवर के संरक्षण की दिशा में और ठोस कदम उठाने की जरूरत है. ऐसा नहीं करने पर निकट भविष्य में इसके विलुप्त हो जाने का खतरा है."

भूटान ने तेंदुओं के संरक्षण के लिए काफी कोशिशें की हैं
भारत में दार्जिलिंग के जूलॉजिकल पार्ट की ब्रीडिंग सेंटर में मौजूद तेंदुए की फाइल तस्वीरतस्वीर: DIPTENDU DUTTA/AFP/Getty Images

भूटान को कैसे मिली कामयाबी

आखिर भूटान ने यह कामयाबी कैसे हासिल की? वन विभाग के उप-प्रमुख अधिकारी लेट्रो बताते हैं कि राष्ट्रीय संरक्षण नीति के तहत हमने स्थानीय आबादी को भी इसमें शामिल किया. इसका बेहतर नतीजा सामने आया है. पूरी दुनिया में जहां इस वन्यजीव की आबादी घट रही है, भूटान में इसमें वृद्धि उत्साहजनक है.

वन विभाग का कहना है कि भारत और चीन से सटे देश के उत्तरी इलाके इस जानवर के रहने के लिए मुफीद हैं. संरक्षण उपायों के तहत वहां इनके रहने लायक अनुकूल जगह बनाई गई है. उस इलाके में चरवाहों की बढ़ती आबादी के कारण तेंदुए पर खतरा पैदा हो गया था.

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के स्थानीय निदेशक चिमी रिंजीन का कहना है कि इलाके में तेंदुए के संरक्षण के लिए हमें सावधानी के साथ सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना होगा ताकि संरक्षण में बाधा नहीं पहुंचे और साथ ही चरवाहों की रोजी-रोटी भी चलती रहे. उनके मुताबिक, यह उपलब्धि लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के प्रति सरकार की ठोस इच्छाशक्ति का नतीजा है.

चीन में दिखा हिम तेंदुआ

भूटान में वर्ष 2016 में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हिमालय क्षेत्र में हिम तेंदुओं के रहने की जगह 30 फीसदी तक कम हो सकती है. इसमें कहा गया था कि इस सदी के शुरुआती 16 वर्षों के दौरान इस जानवर की आबादी में 20 फीसदी कमी दर्ज की गई है.

जानवरों के लिए घटते संरक्षित इलाके

ताजा सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि आबादी बढ़ने के कारण देश के उत्तरी हिस्से में जानवरों के लिए संरक्षति इलाके कम हो रहे हैं और अक्सर बाघ और सामान्य तेंदुओं और हिम तेदुओं में टकराव होता रहा है. वन्यजीव कार्यकर्ता शेरिंग दोर्जी बताते हैं, "जानवरों के रहने और खाने की जगह कम होना, उनके भोजन या शिकारों की तादाद में कमी, इंसान के साथ बढ़ते संघर्ष, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन के कारण इस तेंदुए के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है."

पूर्वी और मध्य भूटान के मुकाबले पश्चिमी भूटान में इन तेंदुओं की आबादी का घनत्व ज्यादा है. देश के नौ हजार वर्ग किलोमीटर इलाके में पहले उत्तरी क्षेत्र में इस सर्वेक्षण के लिए 310 कैमरों का इस्तेमाल किया गया था.

सरकारी अधिकारी लीमा शेरिंग बताती हैं कि सर्वेक्षण के लिए आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया था और इसके नतीजे एकदम सटीक हैं. भूटान फार लाइफ प्रोग्राम और वर्ल्ड वाइड फंड भूटान ने भी इस सर्वेक्षण में सरकार का सहयोग किया था.