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हिंसा के बाद मारुति प्लांट बंद

२० जुलाई २०१२

मारुति सुजुकी ने मानेसर की एक फैक्ट्री में हिंसक दंगों के बाद उसे बंद करने का फैसला किया है. कंपनी के प्रवक्ता पुनीत धवन ने कहा कि मजदूरों ने कई जगहों पर आ लगाई और इसलिए प्लांट में कारें नहीं बनाई जा सकेंगी.

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तस्वीर: Reuters

मानेसर प्लांट में हर साल 5,55,000 गाड़ियां बनती हैं. पुनीत धवन ने कहा, "प्लांट कई जगह बुरी तरह जल गया है. आप यहां कारें नहीं बना सकते." इस फैक्ट्री को दोबारा खोलने को लेकर किसी भी तरह का फैसला नहीं किया गया है. इस बीच गुरुवार को पुलिस ने 88 मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया. उन पर हत्या और मानहानि के आरोप लगाए गए हैं. भारत में जापान के दूतावास ने घटना की निंदा की है जिसमें एक मैनेजर की मौत हुई और 40 से ज्यादा को मामूली चोटें आईं. इनमें दो जापानी नागरिक भी शामिल हैं. जापान की सरकार ने उम्मीद जताई है कि इस घटना के बाद हरियाणा कानून तोड़ने वालों को सजा दिलाएगी और इस बात को सुनिश्चित करेगी कि ऐसी हिंसा दोबारा न हो.

मारुति के मुताबिक हिंसा बुधवार सुबह शुरू हुई जब एक मजदूर ने अपने सुपरवाइजर की पिटाई कर दी. कंपनी का कहना है कि मैनेजमेंट ने कर्मचारी को अनुशासित करने की कोशिश की. लेकिन इस बीच मजदूरों ने फैक्ट्री के गेट बंद कर दिए और मैनेजमेंट अधिकारियों को घेर लिया. मजदूर यूनियन और अधिकारियों के बीच बातचीत विफल होने के बाद मजदूरों ने अधिकारियों पर हमला किया और तोड़फोड़ की. मानव संसाधन देख रहे जनरल मैनेजर को जिंदा जलाया गया.

भारत में बढ़ती महंगाई की वजह से फैक्ट्रियों में काम कर रहे मजदूरों पर बुरा असर पड़ा है. कंपनियां अकसर कर्मचारियों को ठेके पर रखती हैं जिससे श्रम कानून से बचा जा सके. पिछले सालों में कार उद्योग में काम कर रहे मजदूरों और अधिकारियों में कई झगड़े हुए हैं. 2008 में ग्राजियानो ट्रैंसमिसियोनी इंडिया के प्रमुख मारे गए जब मजदूरों ने उन पर हथौड़ों और स्टील रॉड से हमला किया. होंडा, फोर्ड, जनरल मोटर्स और ह्युन्दई के कारखानों में भी मजदूरों को लेकर परेशानी चलती रही है. पिछले साल मारुति में ही तीन बड़े हड़ताल हुए, जिससे उसकी कार उत्पादन पर भारी असर पड़ा.

मारुति के मानेसर कारखाने में स्विफ्ट और डिजायर कारों का उत्पादन होता है. शोध कंपनी आईएचएस ग्लोबल इन्साइट के दीपेश राठौर कहते हैं, "मुझे लगता है कि इसकी वजह है कि मारुति में काम करने के नियम बहुत कड़े हैं. वे जापानी तरीके से काम करते हैं और मजदूरों को खाली वक्त भी नहीं मिलता. वे दिन भर कारखाने में रहते हैं." राठौर के मुताबिक मारुति के मजदूरों को वेतन तो अच्छा मिलता है लेकिन महंगाई भी इन दिनों बढ़ गई है. इसलिए मजदूर काफी तनाव में रहते हैं. मारुति ने कहा कि गुड़गांव में उनकी फैक्ट्री में उत्पादन जारी है.

एमजी/एजेए (पीटीआई, एपी, एएफपी)

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