हिंदी थोपे जाने के खिलाफ 20 सितंबर को डीएमके का प्रदर्शन
१७ सितम्बर २०१९डीएमके की चेन्नई में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में तय किया गया कि पूरे राज्य में 20 सितंबर को सुबह 10 बजे सभी जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा. पार्टी ने केंद्र सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह आर्थिक वृद्धि के लिए रचनात्मक कदम उठाने पर ध्यान दे और हिंदी थोपने के अपने कदम को त्याग दे. तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने हिंदी दिवस पर शनिवार को आई शाह की टिप्पणियों का विरोध किया है.
अमित शाह ने हिंदी दिवस पर श्रंखलाबद्ध ट्वीट में कहा था, "भारत अलग-अलग भाषाओं का देश है, और प्रत्येक भाषा का अपना महत्व है. लेकिन पूरे देश की एक भाषा होना जरूरी है, जो दुनिया में भारत की पहचान बने. आज यदि कोई भाषा देश को एकजुट कर सकती है तो वह हिंदी है, जो सबसे ज्यादा बोली जाती है."
'भाषाओं की बहुलता भारत की कमजोरी नहीं'
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा 'एक राष्ट्र, एक भाषा' की वकालत किए जाने और लोगों से हिंदी का अधिक इस्तेमाल करने के लिए कहे जाने के दो दिन बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को शाह के बयान की निंदा की और कहा कि भाषाओं की बहुलता भारत की कमजोरी नहीं है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, "उड़िया, मराठी, कन्नड़, हिंदी, तमिल, अंग्रेजी, गुजराती, बांग्ला, उर्दू, पंजाबी, कोंकणी, मलयालम, तेलुगू, असमी, बोडो, डोगरी, मैथिली, नेपाली, संस्कृत, कश्मीरी, सिंधी, संथाली, मणिपुरी..भारत की कई सारी भाषाएं उसकी कमजोरी नहीं हैं."
राहुल गांधी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब पूरे देश में शाह की टिप्पणी 'एक राष्ट्र, एक भाषा' को लेकर हंगामा मचा हुआ है. शाह की टिप्पणी के बाद दक्षिणी राज्यों में कई संगठनों और लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं. डीएमके और अन्य सहित कई विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार की निंदा की है. जम्मू एवं कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद भाजपा का ध्यान अब 'एक राष्ट्र, एक भाषा' के अपने वादे पर है.
--आईएएनएस
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