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हंसाने वाले मोईन अख्तर दुनिया से विदा हुए

२२ अप्रैल २०११

पाकिस्तान के मशहूर हास्य अभिनेता मोईन अख्तर का निधन हो गया है. शुक्रवार को 61 साल के मोईन को दिल का दौरा पड़ा. मोईन काफी समय से बीमार थे और कराची के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था.

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तस्वीर: dawn.com

उनके निधन से पाकिस्तान में शोक की लहर फैल गई है. ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा और भारत में भी मोईन के लाखों प्रशंसक गमजदा हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने उनके निधन पर शोक जताया है.

दिसंबर 1950 में पैदा हुए मोईन पाकिस्तान के सबसे प्रतिभाशाली हास्य कलाकारों में गिने जाते रहे. आम लोगों से लेकर नेता और बड़े बड़े पत्रकार भी हमेशा उनके कायल रहे. ऊर्दू, हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी, गुजराती, सिंधी, पश्तो और बंगाली भाषा धारा प्रवाह अंदाज में बोलने वाले मोईन पाकिस्तान में आम जनता के बीच हीरो थे. मोईन जिन नेताओं पर तंज कसते वे नेता भी सीधा ताना सुनने के बावजूद अपनी हंसी नहीं रोक पाते थे. उन्हें पाकिस्तान के शीर्ष सम्मान तमगा ए इम्तियाज से भी नवाजा गया.

भ्रष्टाचार, महंगाई, धार्मिक कट्टरता और क्रिकेट समेत दर्जनों ज्वलंत मुद्दों को लेकर मोईन ने हमेशा नेताओं और अफसरों पर बेहद कड़ा तंज किया. वो हंसते हंसाते ऐसी बात कह जाते थे जिसे अखबार या टीवी के नामी गिरामी पत्रकार नहीं कह पाते. उनका एक शो टीवी पर बंद होता या बंद करवाया जाता तो मोईन स्टेज या इंटरनेट के जरिए लोगों तक पहुंच जाते. वह एक लाइन बोलते, बात शुरू हो जाती, मुद्दा भी आ जाता और बात का अंत भी हो जाता.

वो सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ बोलने से भी नहीं चूके. एक शो में उन्होंने कहा, ''हम लोग भी हमेशा रोते रहते हैं. बड़े फैसलों की तारीफ करनी चाहिए. कितना बड़ा फैसला है, पंतगबाजी पर पाबंदी. जिंदा कौमें तो तरक्की ही ऐसे फैसलों से करती हैं. अगर ये फैसला वक्त पर नहीं होता तो अमेरिकन तो मार पगला गए थे. ब्रिटेन वाले भी कह रहे हैं कि इस तरह का तारीखी फैसला हमारे यहां भी होना चाहिए.''

अनवर मकसूद के साथ उनका लूज टॉक कार्यक्रम दक्षिण एशिया के करोड़ों लोगों के जेहन में अब भी ताजा है. कट्टरपंथी या हिंसक विचार को छुए बिना मोईन ने हमेशा इंसानित की बात की. उनकी बातों से पहले लोग हंसते और फिर हंसी बंद होने के बाद सोचते या मन ही मन रो पड़ते.

टीवी, रेडियो और स्टेज शो, मोईन हमेशा हर विधा के माहिर रहे. कभी वो भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भेष में जनता के सामने आए तो कभी पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी बने हुए दिखे. गरीबी और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मोईन आम आदमी बनते रहे.

भारत और पाकिस्तान में अक्सर कई कलाकार या नेता कट्टर प्रतिस्पर्द्धा का हवाला देकर दूसरे देश की बुराई कर देते हैं. मोईन के मुंह से ऐसी बात कभी नहीं निकली. वो हमेशा दोस्ती और प्यार बांटने की बात करते रहे. जिंदगी भर हंसा हंसाकर ऐसा संदेश देने वाले मोईन का विदा होने कला से कहीं ज्यादा इंसानियत के लिए एक बड़ा झटका है.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी

संपादन: वी कुमार