स्विस खातों की लिस्ट विकीलीक्स को
१८ जनवरी २०११स्विट्जरलैंड के बैंक जूलियन बेअर के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी रुडोल्फ एल्मर ने कहा कि जिन लोगों के नामों की लिस्ट उन्होंने सौंपी है उनमें अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के बड़े व्यवसायी, सांसद, नेता और ग्लैमर जगत की बड़ी हस्तियां हैं.
गोपनीय जानकारी का खुलासा कर चर्चा में आने वाली वेबसाइट विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज ने कहा है कि वह इन नामों को जल्द ही दुनिया के सामने लाएंगे. रुडोल्फ एल्मर ने करीब 2000 नामों की यह सूची दो सीडी में असांज को सौंपी.
अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस लिस्ट में भारत से काला धन स्विस बैंक में जमा कराने वालों के नाम हैं या नहीं. स्विस अखबार डेयर जॉनटाग में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 1990 से 2009 तक के बीच काला धन स्विस बैंक में पहुंचाने वाले लोगों के नाम लिस्ट में शामिल हैं. ऑब्जर्वर अखबार को रुडोल्फ एल्मर ने बताया, "एक बात मैं स्पष्ट रूप से कह देना चाहता हूं. बैंक जानते हैं और बड़े अधिकारी जानते हैं कि टैक्स से बचने के लिए ही धन को बैंकों में जमा कराया जाता है."
जूलियन असांज ने बताया कि फिलहाल विकीलीक्स गोपनीय अमेरिकी कूटनीतिक संदेशों को जारी करने की प्रक्रिया में व्यस्त है और इसलिए एल्मर से मिली लिस्ट को जारी करने में समय लग सकता है. असांज ने कहा, "हम इस सूचना को ठीक वैसे ही इस्तेमाल में लाएंगे जैसा हम करते रहे हैं. पूरी तरह से इसे सार्वजनिक किया जाएगा." रुडोल्फ एल्मर का कहना है कि वह दुनिया को बताना चाहते हैं कि स्विट्जरलैंड में बैंकिंग व्यवस्था कैसे काम करती है क्योंकि यह समाज को नुकसान पहुंचा रही है.
रुडोल्फ एल्मर वैसे खुद कानूनी मुश्किलों से जूझ रहे हैं. एल्मर के खिलाफ स्विट्जरलैंड के बैंकिंग कानूनों का उल्लंघन करने का मुकदमा चल रहा है. ज्यूरिख की अदालत में पेशी से दो दिन पहले उन्होंने असांज को नामों की लिस्ट सौंपी है. हालांकि एल्मर ने अपने आप किसी नाम को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया है.
विकीलीक्स के पास नामों की लिस्ट पहुंचने के बाद भारत में स्विस बैंक से काला धन वापस लेने के मुद्दे पर बहस तेज हो गई है. 2009 में जर्मन सरकार ने लिश्टेनश्टाइन के बैंकों में काला धन जमा कराने वालों की एक लिस्ट भारत को सौंपी जिसमें करीब 50 नाम हैं.
लेकिन सरकार ने अभी तक इन लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं. विपक्षी पार्टियों के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट से भी सरकार को इस मुद्दे पर खरी खोटी सुननी पड़ रही है. ऐसे में स्विस बैंक से जुड़ी विस्फोटक जानकारी उस पर दबाव और बढ़ा सकती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए जमाल