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स्पेन में फुटबॉल खिलाड़ियों की हड़ताल

२० अगस्त २०११

पिछले तीन दशकों में पहली बार हुई फुटबॉल खिलाड़ियों की हड़ताल ने विश्वविजेता के रूप में स्पेन की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है. मुश्किल इतनी बड़ी है कि फुटबॉल संगठनों पर लोगों का भरोसा भी डगमगा रहा है.

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तस्वीर: Fotolia/PinkShot

खिलाड़ियों की यूनियन एएफई ने पिछले हफ्ते पहले शीर्ष श्रेणी के दो राउंड के मैच के लिए हड़ताल पर जाने का फैसला कर लिया. एएफई और प्रोफेशनल फुटबॉल लीग यानी एलएफपी के बीच हुई बातचीत खिलाड़ियों को खेलने के लिए मनाने में नाकाम रही है. एलएफपी उन 42 फुटबॉल क्लबों का प्रतिनिधित्व करती है जिन पर इस हड़ताल का असर हुआ है. यूरोपीय चैम्पियन बार्सिलोना और रियाल मैड्रिड को रविवार से अपना अभियान शुरू करना था. ये दोनों क्लब कमाई के मामले में दुनिया के सबसे अमीर फुटबॉल क्लब हैं. पर फिलहाल सब कुछ थमा हुआ है.

दूसरे राउंड के मैच बचाने के लिए बातचीत की कोशिशें तेज हो गई हैं क्योंकि अगर ये मैच नहीं हो सके तो फुटबॉल के कैलेंडर में गंभीर समस्या पैदा हो जाएगी. विवाद इस बात को लेकर है कि यूनियन एक आपात कोष बनाने की मांग कर रही है जिससे खिलाड़ियों को बकाया पैसे का भुगतान किया जा सके. इस समय ऐसा इसलिए भी जरूरी है क्योंकि फुटबॉल क्लबों की वित्तीय कमान अब सरकार के हाथों में चली गई है. फुटबॉल यूनियन का कहना है कि पिछला सत्र खत्म होने के बाद से करीब 200 खिलाड़ियों का 5 करोड़ यूरो का भुगतान बकाया है. मुश्किल यह है कि लीग की तरफ से चार करोड़ यूरो का प्रस्तावित फंड भी इस बढ़ते बकाये को पूरा नहीं कर सकता.

Fußball Super Cup 2011 FC Barcelona
तस्वीर: picture alliance/dpa

बार्सिलोना यूनिवर्सिटी में अकाउंट्स के प्रोफेसर जोस मारिया गे कहते हैं, "हमारे पास दुनिया का बेहतरीन फुटबॉल है लेकिन इसे बहुत बुरी तरह से चलाया जा रहा है. लीग क्लबों के साथ स्थिति को संभाल पाने में नाकाम रही है. 2008 में यूरो और फिर वर्ल्ड कप जीत कर स्पेन ने फुटबॉल की दुनिया में खूब नाम कमाया. इससे दुनिया के दरवाजे हमारे लिए खुल गए. पर खिलाड़ियों को पैसा न देने की वजह से होने वाली हड़ताल ने स्पेन में लोगों के भरोसे को नुकसान पहुंचाया है."

कर्ज में डूबे क्लब

गे ने हाल ही में एक रिसर्च के नतीजे जारी किए हैं. वह फुटबॉल के वित्तीय मामलों के जानकार भी हैं. इस रिसर्च के मुताबिक ला लीगा के 20 क्लबों ने जून 2010 को खत्म हुए साल में कुल मिला कर 10 करोड़ यूरो का घाटा उठाया है. फुटबॉल क्लबों पर कर्ज का कुल बोझ करीब 3.43 अरब यूरो का है जो कि 1.61 अरब की कमाई की तुलना में करीब दोगुना है. स्पेन को दुनिया भर में छाई मंदी के संकट से भी जूझना पड़ रहा है. देश में बेरोजगारी की दर 20 फीसदी तक चली गई है.

कर्ज मे डूबे क्लबों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ये लोग कर्ज देने वालों से बचने के लिए सरकार के हाथों में खुद को सौंप रहे हैं. स्पेन में टॉप के छह क्लब पहले ही सरकार की शरण में जा चुके हैं और दूसरे डिवीजन में आधे से ज्यादा क्लब भी अब यही करने की तैयारी में हैं. एक बार सरकारी निगरानी में चले जाने के बाद स्पेन का कानून क्लब प्रतियोगिता के नियमों से क्लब की रक्षक बन जाता है. इससे उन्हें भुगतान न करने की स्थिति में अपना पोजिशन गंवाने के डर से आजादी मिल जाती है.

विश्लेषकों का कहना है कि ले कॉन्करसाल प्रक्रिया क्लबों के लिए अपनी लीग की स्थिति बचाए रखने और अपनी गैरजिम्मेदाराना हरकतों को करते रहने की आजादी दे देती है. खिलाड़ियों की समस्या तो सही है लेकिन स्पेन के अंतरराष्ट्रीय स्टार इकेर कैसिलास और कार्ल्स पुयोल की तरफ से मिले समर्थन की भी आलोचना हो रही है. ये दोनों रियाल मैड़्रिड और बार्सिलोना के समर्थक हैं.

आलोचकों का कहना है कि अगर इन लोगों को इन क्लबों से इतनी ही सहानुभूति है तो दोनों खुद पैसा क्यो नहीं दे देते. सवाल यह भी उठ रहा है कि अगर ये लोग हड़ताल पर हैं तो फिर ट्रेनिंग क्यों कर रहे हैं. चार दिन से हड़ताल पर होने के बड़े क्लबों में खिलाड़ियों की ट्रेनिंग जारी है. आलोचकों का कहना है कि अगर हड़ताल ज्यादा लंबी चली तो उन्हें कोई पैसा नहीं मिलेगा और तब उन्हें बेरोजगारों की कतार में खड़े हो कर उन पांच लाख स्पेनी लोगों में शामिल होना होगा जो सरकारी सहायता पर चल रहे हैं.

Champions League Finale 2011 Barcelona vs. Manchester United
तस्वीर: picture alliance/abaca

परेशान फुटबॉल प्रेमी

फुटबॉल प्रेमियों के संगठन असोसिएशन ऑफ स्पेनिश सपोर्टर्स क्लब ने भी हड़ताल की आलोचना की है. यह संगठन करीब 10 लाख प्रशंसकों का प्रतनिधित्व करता है. असोसिएशन का कहना है कि वह स्पेनी फुटबॉल को नुकसान पहुंचाने वाले लगातार हो रहे फैसलों से थक गया है. हडताल में दो बहुत पुराने मुद्दों को भी शामिल कर लिया गया है. इसमें एक मांग तो यह है कि स्पेन में फुटबॉल मैच के पहले 10 दिनों के नोटिस पर बुलाया जाता है जो बहुत कम है. दूसरा ये कि एशियाई टीवी दर्शकों को लुभाने के लिए रात में 10 बजे के बाद मैच खेले जाते हैं.

हड़ताल क्यों बुलाई?

फुटबॉल प्रेमियों की असोसिएशन का कहना है कि बातचीत की जरूरत है. असोसिएशन के महासचिव पेपे हिडाल्डो कहते हैं, "एएफई कहती है कि 80 फीसदी समझौता हो चुका है तो फिर केवल 20 फीसदी के अंतर के लिए हड़ताल क्यों की जा रही है. लीग को इस साल अगस्त में शुरु होना था. कई फुटबॉल प्रेमियों ने इसके लिए छुट्टी का भी इंतजाम कर लिया था. एक बार फिर सबसे ज्यादा नुकसान फुटबॉल प्रेमियों का हो रहा है."

उपभोक्ताओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली एक संस्था ने तो सलाह दी है कि फुटबॉल प्रेमियों के पैसे अगर खत्म हो जाएं तो उन्हें क्लबों के पास जाना चाहिए. लोगों को खेल रद्द होने पर न सिर्फ टिकट के पैसे बल्कि दूसरे खर्चों की भी मांग करनी चाहिए.

हालांकि इन सबके बीच बातचीत और समझौते की कोशिशें जारी हैं. लीग को 13 मई के पहले खत्म होना है और यह समयसीमा नहीं बढ़ाई जा सकती. इसके बाद 2014 के फुटबॉल वर्ल्ड कप की तैयारियां शुरू हो जाएंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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