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स्नोडेन का "इस्तेमाल" कर रहा है रूस

९ मई २०१४

अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि रूस स्नोडेन का इस्तेमाल कर रहा है और जिस तरह की जानकारी वह जारी कर रहा है, उससे कई जानों को खतरा हो सकता है.

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Edward Snowden NSA
तस्वीर: picture-alliance/dpa

जनरल कीथ एलेक्जैंडर इस साल मार्च में ही रिटायर हुए हैं. ऑस्ट्रेलियन फाइनैंशियल रिव्यू से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि स्नोडेन के खुलासों से अमेरिका को जो नुकसान पहुंच रहा है, रूस उसका फायदा उठाना चाहता है. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि रूस स्नोडेन का चालाकी से इस्तेमाल कर रहा है. मैं नहीं जानता कि इस सब की शुरुआत कब हुई और इसके तार कितने गहरे हैं. लेकिन मुझे इस बात का शक है कि वह जो भी कर रहा है, वह रूस ही उससे करवा रहा है."

एलेक्जैंडर ने कहा कि रूस बहुत ही चालाकी से स्नोडेन से केवल वैसी ही बातें कहलवा रहा है जिसका अमेरिका को नुकसान हो, "वे ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिससे उन्हें खुद नुकसान झेलना पड़े." एनएसए का कॉन्ट्रैक्टर रह चुका स्नोडेन पिछले साल अगस्त से रूस में रह रहा है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी के गुप्त कामों का पर्दाफाश करने के बाद स्नोडेन को रूस में शरण लेनी पड़ी. एलेक्जैंडर का कहना है कि स्नोडेन के कारण दोनों ही देशों की खुफिया प्रणाली पर बुरा असर पड़ा है, "इतना बड़ा धक्का हमें कभी नहीं पहुंचा. और इसका असर देशों को सुरक्षित बनाने और निवासियों को खतरों से बचाने के हमारे प्रयासों पर पड़ रहा है."

बिन लादेन से तुलना

इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि एनएसए के कामों में सेंध लगने का नतीजा कई लोगों की जिंदगियों पर पड़ेगा, "मुझे लगता है कि आखिरकार बहुत सी जानें जाएंगी क्योंकि हम लोगों को बचा नहीं पाएंगे. और इसकी वजह यही है कि सुरक्षा के जिन तरीकों को हम अब तक कारगर माना करते थे, अब उन्हें अनैतिक करार दिया गया है."

स्नोडेन के लीक किए गए दस्तावेजों की तुलना बिन लादेन की जानकारी से करते हुए उन्होंने कहा, "1998 के बारे में सोचिए. उस समय किसी ने यह जानकारी लीक कर दी थी कि हम ओसामा बिन लादेन का फोन टैप कर रहे हैं. उसके बाद हम कभी उसकी बातें नहीं सुन पाए और वह आजाद हो गया और उसने 9/11 की साजिश रच डाली."

उन्होंने कहा कि एनएसए का मुख्य काम लोगों को आतंकवाद और साइबर हमलों से बचाना है और जिस तरह से गुप्त दस्तावेज सामने आ रहे हैं, उससे सुरक्षा कमजोर होती जा रही है.

आईबी/एमजे (एएफपी)