"सेमेन्या मामले पर बोला गया था झूठ"
१९ सितम्बर २००९एथलेटिक्स साउथ अफ़्रीका (एएसए) के प्रमुख लियोनार्दो चुएन ने कहा कि उन्होंने इसलिए सेमेन्या के लिंग परीक्षणों से इनकार किया था कि विश्व एथलेटिक्स संस्था आईएएएफ़ ने बर्लिन में होने वाली विश्व चैंपियनशिप में सेमेन्या के भाग लेने पर रोक नहीं लगाई थी. सेमेन्या ने बर्लिन में एक मिनट 55.45 सेकंड का समय लेकर 800 मीटर की रेस में पहला स्थान पाया था.
पिछले महीने ही आईएएएफ़ ने कहा कि 18 वर्ष की सेमेन्या के मामले की जांच हो रही है. यह जांच तब शुरू की गई जब सेमेन्या के प्रदर्शन में इस साल और भी सुधार आया.
चुएन ने बताया, "अगर एएसए मान लेता कि सेमेन्या के परीक्षण हुए हैं तो यह उनकी प्राइवेसी से समझौता होता. मैंने सोचा कि अगर मैं बराबर इनकार करता रहूंगा तो इससे उनकी रक्षा होगी. आईएएएफ़ ने कभी हमसे यह नहीं कहा कि हम इस वजह से सेमेन्या को हटा लें."
सेमेन्या के बारे जारी जांच के नतीजे नवंबर से पहले आने की उम्मीद नहीं है. हालांकि आईएएएफ़ ने ऑस्ट्रेलियाई अख़बार डेली टेलिग्राफ़ में छपी इन ख़बरों पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है कि सेमेन्या में स्त्री और पुरुष दोनों ही तरह के यौन लक्षण हैं.
सेमेन्या को लेकर चल रहे विवाद पर दक्षिण अफ़्रीका के बहुत से लोग नाराज़ हैं. वे इस मामले में जांच आदेश देने के लिए आईएएएफ़ पर नस्लवादी होने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि सेमेन्या की तरह बड़े बड़े कंधे और मर्दाना डीलडौल होना महिला एथलीटों में आम सी बात है.
चुएन ने कहा कि एएसए के डॉक्टर ने उन्हें सुझाव दिया कि सेमेन्या को चैंपियनशिप से हटा लिया जाए, लेकिन उन्होंने इसे नहीं माना क्योंकि लिंग परीक्षणों को गोपनीय रखा जाना था. वह कहते हैं, "हमारे संविधान या नियमों में ऐसी कोई बात नहीं है कि आप किसी एथलीट को दौड़ने से रोकें और इसलिए मैंने ऐसा किया भी नहीं."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़