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सेनेट में भी नहीं निकला कर्ज संकट का हल

३० जुलाई २०११

कर्ज सीमा के संकट का पानी अमेरिकी सरकार की नाक तक आ गया है. मंगलवार को समयसीमा खत्म हो रही है और अब तक हल नहीं निकल पाया है. अमेरिका की डूबती नाक ने पूरी दुनिया की सांस हलक में टांग दी है.

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तस्वीर: dapd

अमेरिका में कर्ज सीमा बढ़ाने का संकट सेनेट में पहुंच गया है. डेमोक्रैट पार्टी ने रिपब्लिकन पार्टी के साथ एक समझौते पर पहुंचने के लिए शुक्रवार को कुछ और राहतों की पेशकश की. लेकिन दोनों के बीच मतभेदों की खाई बरकरार है और लोगों की सांस अटकी हुई है.

रिपब्लिकन पार्टी के दबदबे वाले संसद के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने घाटे में कटौती की योजना पारित की थी लेकिन डेमोक्रैट्स के दबदबे वाले सीनेट ने उसे फौरन खारिज कर दिया. इससे दोनों दलों के बीच वैचारिक मतभेद का तो पता चलता है लेकिन साथ ही समझौते का रास्ता भी खुल गया है.

Treffen Obama mit Republikanern zu Schuldengesprächen Juli 2011 FLASH-GALERIE
तस्वीर: dapd

क्या है संकट

अमेरिका में सरकार कानूनी रूप से एक सीमा तक ही कर्ज ले सकती है. यह सीमा फिलहाल 14.3 खरब डॉलर की है. लेकिन सरकार मई में ही इस सीमा तक पहुंच चुकी है. यानी अब अगर यह सीमा नहीं बढ़ाई जाती है तो सरकार के पास भुगतान के लिए पैसा नहीं होगा. अमेरिका के पास कर्ज सीमा बढ़ाने के लिए मंगलवार तक का वक्त है. सरकार का कहना है कि ऐसा होने पर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला यह देश अपने सभी भुगतान करने की काबिलियत खो बैठेगा.

रिपब्लिकन बनाम डेमोक्रैट

संकट के किसी हल की उम्मीद में लोग सीनेट की ओर देख रहे थे. लेकिन शुक्रवार शाम तक वहां सिर्फ एक दूसरे पर निशाना साधने और संसदीय राजनीति का खेला ही होता रहा जिसके बाद बैठक को स्थगित कर दिया गया. डेमोक्रैट पार्टी कोशिश में है कि कर्ज सीमा बढ़ जाए लेकिन रिपब्लिकन इसका विरोध कर रहे हैं.

सीनेट में डेमोक्रैट पार्टी के नेता हैरी रीड ने घाटे में कटौती के अपने प्रस्ताव में बदलाव किया. उन्होंने रिपब्लिकन के सांसद मिच मैकोनेल के बैक अप प्लान वाले प्रस्ताव को अपने प्रस्ताव में शामिल करके समझौते की एक जमीन तैयार करने की कोशिश की.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

इस प्रस्ताव के मुताबिक राष्ट्रपति बराक ओबामा को देश की कर्ज सीमा बढ़ाने की अधिकार मिल जाएगा. इसके तहत वह 2012 तक तीन दौर में कर्ज सीमा बढ़ा पाएंगे. 2012 में ओबामा राष्ट्रपति चुनाव के लिए दोबारा मैदान में होंगे.

सीनेट में वोटिंग के बाद मंगलवार को डेडलाइन होने के बावजूद इस प्रस्ताव पर सहमति की गुंजाइश तक नहीं दिखी. रीड ने कहा, "वे हमसे बातचीत से इनकार कर रहे हैं. वे सिर्फ बातें कर रहे हैं."

कांग्रेस को सोमवार रात तक हर हाल में एक प्रस्ताव तैयार करके राष्ट्रपति ओबामा के पास भेजना है. लेकिन जिस तरह की दिक्कतें सामने आ रही हैं उससे यह संभव नहीं लगता. अगर आखिरी वक्त पर किसी तरह का समझौता हो भी जाता है तो भी अमेरिका के सामने सबसे अच्छी क्रेडिट रेटिंग एएए खोने का खतरा बना रहेगा जो कि एक हैरतअंगेज बात होगी क्योंकि आज तक तो किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं था. इसका सीधा असर दुनियाभर के वित्त बाजारों पर होगा.

संकट का असर

इस संकट का असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है. वॉशिंगटन में जारी इस उथल पुथल ने दुनिया की सभी बड़े नेताओं को चिंता में डाल रखा है. वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट जोएलिक ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका आग से खेल रहा है. अमेरिका का सबसे बड़ा विदेशी कर्ज दाता चीन भी बार बार उसे चेतावनी दे रहा है. शुक्रवार को चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ने कहा कि खतरनाक गैरजिम्मेदार राजनीति ने अमेरिका का अपहरण कर लिया है.

वॉशिंगटन की हलचल अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों को भी हिला रही है. अमेरिकी सेना के एक बड़े अफसर ने अपने सैनिकों को बताया है कि अगर मंगलवार तक समझौता नहीं हो पाता है तो यह पक्का नहीं है कि अमेरिका वक्त पर सैनिकों को खर्च के लिए जरूरी पैसा दे पाएगा या नहीं. अमेरिकी सेना के जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ एडमिरल माइक मुलेन ने बताया कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारी इस स्थिति से निपटने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं लेकिन ये हालात असामान्य हैं. उन्होंने कंधार में अपने सैनिकों से कहा, "ईमानदारी से कहूं तो मेरे पास इस सवाल का जवाब नहीं है."

अगर मंगलवार तक यह संकट नहीं सुलझता तो अमेरिका एक बार फिर आर्थिक मंदी की गर्त में चला जाएगा जिसका पूरी दुनिया पर व्यापक असर होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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