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सेना ने तहरीर स्क्वेयर खाली करने को कहा

१४ फ़रवरी २०११

काहिरा के तहरीर स्क्वेयर पर जमा दर्जनों प्रदर्शनकारियों को सेना ने वहां से हटने का आदेश दिया है. कई विभागों के कर्मचारी भ्रष्टाचार और अपनी मांगों के लिए अभी हड़ताल पर. मांगे पूरी न होने तक प्रदर्शन जारी रखने की बात कही.

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तहरीर स्क्वेयरतस्वीर: picture alliance/dpa

मिस्र में हुस्नी मुबारक के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का केंद्र बने तहरीर स्क्वेयर के आसपास अब यातायात आम दिनों की तरह है लेकिन कुछ प्रदर्शनकारी अब भी वहां बने हुए हैं. एक प्रदर्शनकारी याहया सक्र ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हमें सेना पुलिस ने घेर लिया है. हमें हटने के लिए ज्यादा समय नहीं दिया गया है. हमें नहीं पता कि हम क्या करें. अब हम आपस में बात कर रहे हैं कि क्या करें." सेना ने प्रदर्शनकारियों को आदेश दिया है कि उन्हें एक घंटे के भीतर स्क्वेयर खाली करना है.

तहरीर स्क्वेयर पर जमा 40 प्रदर्शनकारियों को सैन्य पुलिस ने घेर लिया है. दो प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिए जाने की भी खबरें हैं. तहरीर स्क्वेयर से हुस्नी मुबारक का विरोध करने वाले पोस्टर और बैनर हटाए जा चुके हैं.

हालांकि हिंसक प्रदर्शनों में अपनी जान खोने वाले मिस्र के युवाओं की तस्वीरें अब भी वहां हैं. उस जगह को साफ करने के लिए कई लोग अपनी इच्छा से आगे आए हैं. कंबल, बिस्तर, तंबू, टैंट को हटाया जा चुका है. इसी स्थान पर लोग दो हफ्तों से ज्यादा समय तक डेरा डाल कर रहे.

Flash-Galerie Tahrir-Platz Kairo Ägypten
तस्वीर: picture alliance/dpa

सोमवार को सरकारी दफ्तर बंद रहे. मिस्र के केंद्रीय बैंक ने सरकारी बैंकों में हड़ताल को देखते हुए देश भर में बैंकों को सोमवार बंद रखने का आदेश दिया. कर्मचारियों का कहना है कि बैंकों में अब भी भ्रष्टाचार का माहौल है जिसे दूर किया जाना जरूरी है. तेल मंत्रालय सहित कई मंत्रालयों में कर्मचारी अब भी हड़ताल पर हैं और वेतन में बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं. उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.

मिस्र की सेना ने रविवार को घोषणा की है कि संसद के ऊपरी और निचले सदन को भंग किया जाएगा, संसद को निलंबित किया जाएगा और 6 महीनों के भीतर नए चुनाव कराए जाएंगे. मिस्र की सेना की उच्चतर परिषद ने कहा है कि संविधान में संशोधन के लिए नई समिति का भी गठन किया जाएगा लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि इसका गठन कैसे होगा और इसमें सदस्यों की नियुक्ति कौन करेगा. सैन्य परिषद ने ही मुबारक के इस्तीफे के बाद सत्ता संभाली है.

परिषद का कहना है कि जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक देश में कामकाज वही संभालेगी. अभी यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि विवादास्पद आपातकालीन कानून को खत्म किया जाएगा या नहीं. यह पिछले 30 साल से लागू है और इसके खात्मे के बाद राजनीतिक कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हो सकेगा. विपक्षी संगठनों ने अपनी मांगों के पूरा होने तक देश में विरोध का झंडा बुलंद रखने की बात कही है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: एन रंजन

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