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समाज

सुरक्षित नहीं है फेशियल रेकग्निशन फीचर

१० जुलाई २०१८

अगर आप भी कैमरे में देखकर अपने आईफोन को अनलॉक करते हैं या फिर बैंक एकाउंट के लिए चेहरे की स्कैनिंग का फीचर लगा रखा है. अगर ये सब सुरक्षा पुख्ता करने के लिए है, तो समझ लीजिए कि ये तरीके भी पूरी तरह से कारगर नहीं है.

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तस्वीर: Imago/J. Tack

अमेरिका समेत दुनिया के कई मुल्कों में चेहरे पहचनाने की इस तकनीक को कानूनी एजेंसियों समेत सीमा सुरक्षा बलों से लेकर कई विभाग इस्तेमाल में ला रहे हैं. वह इस फेशियल रेकग्निशन तकनीक से जांच में मदद ले रहे हैं. लेकिन अब नए अध्ययन बताते हैं कि फेशियल रेकग्निशन मतलब चेहरा पहचनाने की यह तकनीक सौ फीसदी सटीक हो, ऐसा कोई जरूरी नहीं है. 

साल 2016 की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की स्टडी बताती है कि अमेरिका में हर दो में से एक वयस्क मतलब करीब 11 करोड़ लोगों की जानकारी फेशियल रेक्गनिशन डाटाबेस में है. लेकिन इस तकनीक पर आंख मूंद कर विश्वास नहीं किया जा सकता.

चेहरे की पहचान से जुड़े सिस्टम के सॉफ्टवेयर डेवलपर ब्रियान ब्रेकीन अपने ब्लॉग पोस्ट टेकक्रंच में लिखते हैं, "एक डेवलपर होने के नाते इस तकनीक का मेरे साथ एक निजी कनैक्शन है. यह कनैक्शन सांस्कृतिक और सामाजिक दोनों तरह का है. फेशियल रेकग्निशन के आधार पर सरकारी निगरानी हमारी निजता में खतरा है. साथ ही यह हमारी पहचान को भी नुकसान पहुंचाती है. इसे पूरी तरह से सटीक नहीं माना जा सकता."

कार्यकर्ताओं को डर है कि कानूनी एजेंसियां चेहरे की पहचान को रियल टाइम में करने के लिए ड्रोन, बॉडी कैमरा और डैश कैम्स का इस्तेमाल करेंगी. लेकिन नई तकनीक की जानकर और थिंक टैंक काटो इंस्टीट्यूट से जुड़े मैथ्यू फीने कहते हैं कि तकनीक बेशक सुधर रही है लेकिन अब भी ये सौ फीसदी वैसी सटीक नहीं है जैसे कि साइंस फिक्शन फिल्म में नजर आती है. 

चीन इस तकनीक को इस्तेमाल करने में सबसे आगे है. यहां इसका अधिकतर इस्तेमाल तस्करों या किसी अपराध से जुड़े संदिग्ध आरोपियों को पकड़ने में किया जाता है. जानकार बताते हैं कि पिछले सालों में अमेरिका ने इस तकनीक को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्टों पर खूब इस्तेमाल किया है. ऐसी भी खबरें आईं थी कि एमेजॉन ने इस तकनीक से जुड़े सॉफ्टवेयर को पुलिस डिपार्टमेंट में लगाना शुरू किया था. लेकिन कर्मचारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर काफी विरोध जताया. इनका कहना था कि तकनीकी कंपनियों को सुरक्षा के मामलों से दूर रहना चाहिए. एमेजॉन दावा करता है कि इस सिस्टम का इस्तेमाल गुमशुदा लोगों को परिवारों से मिलवाने और मानव तस्करी रोकने में किया जा सकता है. 

हाल में माइक्रोसॉफ्ट ने घोषणा की थी कि वह चेहरा पहचनाने की इस तकनीक को सुधारने के लिए काम कर रहा है. ऐसी ही घोषणा आईबीएम की तरफ से भी की गई है. गैर लाभकारी संस्था इलैक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन की जेनिफर लिंच कहते हैं, "पुलिस निगरानी में इसका प्रभाव काफी व्यापक है. यह सिस्टम अगर पूरी तरह सुरक्षित नहीं होगा, तो ऐसे में वे लोग भी फंस सकते हैं कि जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया है."

एए/आईबी (एएफपी)