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सीबीआई करेगी यूपीए सीएमओ हत्याकांडों की जांच

२१ जुलाई २०११

बेहद दबाव में उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने दो मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की हत्या के मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की है. सीबीआई लखनऊ की जेल में वाईएस सचान की रहस्यमयी मौत की पहले ही जांच कर रही है.

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तस्वीर: DW

उत्तर प्रदेश की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सरकार ने परिवार कल्याण मंत्रालय में हुई कथित वित्तीय गड़बड़ियों की जांच भी सीबीआई को सौंपे जाने की सिफारिश की है. माना जाता है कि इसी वजह से मुख्य चिकित्सा अधिकारी विनोद कुमार आर्य और बीपी सिंह की हत्या हुई.

इस मामले में विवाद के चलते राज्य सरकार के दो मंत्रियों बाबू सिंह कुशवाहा और अनंत कुमार मिश्रा को इस्तीफा देना पड़ा. एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, "राज्य सराकर ने दोनों मामलों में आगे की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है ताकि एजेंसी डिप्टी सीएमओ वाईएस सचान की मौत के मामले की तह तक जा सके."

इससे पहले राज्य सरकार के वकील ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में कहा कि मामले को सीबीआई को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि चार्जशीट पहले ही दाखिल हो गई है. अदालत में मामले की जांच सीबीआई से कराने की याचिका पर सुनवाई हो रही थी. हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह दो मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की हत्या से जुड़े पूरे रिकॉर्डों के साथ अदालत में चार्जशीट सौंपे.

सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला इसलिए किया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि डिप्टी सीएमओ सचान और दो सीएमओ आर्य और सिंह की हत्या में कोई संबंध तो नहीं.

वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप में गिरफ्तार 52 वर्षीय सचान 22 जून की रात को लखनऊ जेल के शौचालय में मृत पाए गए. इस मामले की जांच 13 जुलाई को सीबीआई को सौंपी गई. न्यायिक जांच के दौरान इसे पहली नजर में हत्या का मामला माना गया. सचान को अप्रैल में हुई सीएमओ बीपी सिंह की हत्या के मुख्य साजिशकर्ता माना गया. यह बात सिंह की हत्या के लिए भाड़े पर लिए गए तीन शूटरों की गिरफ्तारी के बाद सामने आई.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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