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सिलचर की भयानक बाढ़ क्या इंसानों की गलती है

प्रभाकर मणि तिवारी
६ जुलाई २०२२

क्या बाढ़ भी मानव निर्मित हो सकती है? असम सरकार की मानें तो यह संभव है. असम राज्य के बराक घाटी में मौजूद सिलचर शहर मानव निर्मित बाढ़ में बीते दो सप्ताह से डूबा है. करीब चार दशकों बाद वहां ऐसी भयावह बाढ़ आई है.

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दो हफ्ते से बाढ़ में डूबा है सिलचर
दो हफ्ते से बाढ़ में डूबा है सिलचरतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

बराक नदी का तटबंध काटने के कारण ही शहर में बाढ़ आई है, यह दावा असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने किया था. अब पुलिस ने इस आरोप में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस को दो और लोगों की तलाश है. सीआईडी ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है. सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जांच का नेतृत्व करेंगे और एक विशेष कार्य बल जांच की निगरानी करेगा.

असम इन दिनों बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, असम में दूसरे दौर की बाढ़ में 181 लोगों की मौत हो चुकी है और 32 जिलों में करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. कई जगहों पर तटबंध टूट गए हैं.

सरकार का कहना है कि तटबंध काटने से आई सिलचर में बाढ़
सरकार का कहना है कि तटबंध काटने से आई सिलचर में बाढ़तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

तटबंध काटने से आई बाढ़

सिलचर के बगल से गुजरने वाली बराक नदी का तटबंध काटने के मामले में बीती 24 मई को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. इसमें कहा गया था कि कुछ लोगों ने सिलचर से करीब 3 किलोमीटर दूर बेथुकांडी में बना तटबंध तोड़ दिया है. इसके बाद जून में जब भारी मूसलाधार बारिश हुई तो नदी का पानी इसी रास्ते से सिलचर में घुस गया और शहर को अपनी चपेट में ले लिया. इसकी वजह से एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए.

पुलिस ने बताया कि महिषा बील के लोगों ने इलाके में जमा अतिरिक्त पानी निकालने के लिए बेथुकांडी में तटबंध तोड़ दिया था. जल संसाधन विभाग ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने सिलचर में बाढ़ वाले इलाके में जाकर लोगों की दिक्कतों का जायजा लिया और जिला पुलिस को तटबंध काटने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

सिलचर की पुलिस अधीक्षक रमनदीप कौर ने बताया है कि अब तक मिंटू हुसैन लस्कर, नाजिर हुसैन लस्कर और रिपन खान समेत चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. इससे पहले काबुल खान को गिरफ्तार किया गया था.

उनका कहना है कि अभियुक्तों ने तटबंध को 30 मीटर की लंबाई में काट दिया था. जानकारी के मुताबिक, जिस इलाके में तटबंध काटा गया था वहां अक्सर जलजमाव की समस्या रहती है. इसी वजह से लोगों ने तटबंध काट दिया था ताकि इलाके में जमा पानी बह कर बराक नदी में चला जाए. लेकिन जब बराक नदी का जलस्तर बढ़ा तो नदी का पानी रातोंरात शहर में भर गया.

तटबंध काटने के आरोप में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है
तटबंध काटने के आरोप में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया हैतस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

अभूतपूर्व बाढ़

सिलचर के ज्यादातर लोगों ने पहले कभी ऐसी भयावह बाढ़ नहीं देखी थी. शहर पूरे 18 दिनों तक कमर भर पानी में डूबा रहा. विमल कुमार दास (84) कहते हैं, "हमने कई बार बाढ़ देखी है लेकिन बीते करीब पचास साल में ऐसी बाढ़ नहीं देखी थी. शुरू में एक सप्ताह तक बिजली, पीने का पानी या भोजन भी नहीं था.” जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों के लिए सेना और वायु सेना की मदद ली है.

लोगों का आरोप है कि प्रशासन ने अगर समय रहते तटबंध की मरम्मत की दिशा में कदम उठाया गोता तो सिलचर को ऐसी भयावह बाढ़ से नहीं जूझना पड़ता. बाढ़ के कारण शहर का करीब 90 फीसदी हिस्सा बीते दो सप्ताह से घुटने से कमर तक पानी में डूबा है और खाने-पीने की चीजों की भारी किल्लत हो गई है.

शहर में बाढ़ से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री ने अपने दौरे के दौरान उनके परिजनों को चार-चार लाख का मुआवजा दिया. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा कहते हैं, "जिला प्रशासन से 15 जुलाई तक बाढ़ से हुए नुकसान पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है ताकि मुआवजे का वितरण शीघ्र किया जा सके.”

असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में बीती मई से अब तक बाढ़ और भूस्खलनकी घटनाओं में ढाई सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. सबसे ताजा मामला मणिपुर के नोनी जिले का है जहां एक रेलवे परियोजना स्थल पर बीते सप्ताह हुए भूस्खलन में दबकर करीब 80 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से अब तक 47 शव बरामद किए गए हैं. मृतकों में परियोजना की सुरक्षा के लिए तैनात टेरीटोरियल आर्मी के 42 जवान भी शामिल हैं.