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सात इलाकों की जिम्मेदारी लेंगे अफगान बल

२२ मार्च २०११

अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा है कि जुलाई से चार शहरों और तीन प्रांतों की जिम्मेदारी देश के सुरक्षा बल संभाल लेंगे. 2014 तक अफगानिस्तान छोड़ने का इरादा जताने वाली नाटो सेना अफगान बलों को जिम्मेदारी देना चाहती है.

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तस्वीर: DW

जिन इलाकों की जिम्मेदारी जल्द ही अफगान बलों को मिलने वाली है उनमें अपेक्षाकृत कुछ सुरक्षित प्रांत और कम से कम एक ऐसा प्रांत हैं जहां हाल के महीनों में चरमपंथियों के खिलाफ लड़ाई तेज हुई है. शुरू में अफगान बल काबुल प्रांत की सुरक्षा जिम्मेदारी अपने हाथ में लेंगे, लेकिन इसमें सुरौबी जिला शामिल नहीं होगा. अफगान सैन्य अकादमी ने राष्ट्रपति करजई ने बताया कि आम तौर पर शांत माने जाने वाले देश के मध्य में स्थित बामियान और पंजशीर प्रांत भी अफगान बलों के हवाले किए जाएंगे.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग चाहिए

स्थानीय बल पश्चमी शहर हेरात, उत्तरी शहर मजार-ए-शरीफ, पूर्व में महतरलाम और लश्करगाह की जिम्मेदारी भी लेंगे. लश्करगाह अशांत दक्षिणी प्रांत हेलमंद की राजधानी है. करजई ने कहा कि सुरक्षा जिम्मेदारी का सुगम स्थानांतरण सुशासन और पुनर्निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अफगान संस्थानों के जरिए खर्च की जाने वाली राशि पर निर्भर करेगा. लेकिन उन्होंने कहा कि हर हाल में जिम्मेदारी अफगान बलों को सौंपी जाएगी. वह कहते हैं, "अफगानों को अपने देश, उसके मूल्य और उसकी सरजमीन की हर तरह से रक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए."

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तस्वीर: AP

फिलहाल अफगानिस्तान में एक लाख 40 हजार विदेश सैनिक तैनात हैं. 47 देशों वाली इस बहुराष्ट्रीय सेना में कई देश अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से निकालने की समयसीमा तय कर चुके हैं. करजई ने कहा, "अफगानों को सुरक्षा जिम्मेदारी सौंपना और इस देशों के लोगों द्वारा देश की रक्षा करना बेहद जरूरी है. इस प्रक्रिया से पीछे नहीं हटा जा सकता."

जुलाई से रवानगी

अभी अफगानिस्तान में अमेरिका के सबसे ज्यादा लगभग एक लाख सैनिक हैं जो इस साल जुलाई से वहां से हटना शुरू हो जाएंगे. अंतरराष्ट्रीय दानदाता अक्टूबर तक अफगान बलों के जवानों की संख्या बढ़ा कर तीन लाख सात हजार करने को सहमत हो गए हैं. अभी अफगानिस्तान के पास एक लाख 52 हजार सैनिक और एक लाख 18 हजार पुलिस अफसर हैं. करजई कह चुके हैं कि स्थानीय बलों को देश की रक्षा करने के लिए तीन लाख 80 हजार सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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