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सांसदों-विधायकों की अयोग्यता तय करने के लिए 'बने नया सिस्टम'

आमिर अंसारी
२१ जनवरी २०२०

सुप्रीम कोर्ट ने संसद से कहा कि वह जनप्रतिनिधियों की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिकाओं पर फैसले से जुड़ी स्पीकर की शक्तियों के बारे में दोबारा विचार करे क्योंकि स्पीकर खुद किसी राजनीतिक दल से आते हैं.

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Indien  Supreme Court in New Delhi Oberster Gerichtshof
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri

सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों की अयोग्यता निर्धारित करने के लिए एक स्वतंत्र प्रणाली बनाने का सुझाव दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर लंबे समय तक ऐसी याचिकाओं को अपने पास नहीं रख सकते. जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस विधायक मोहम्मद फजुर्रहीम और के मेघचंद्र से कहा कि अगर विधानसभा अध्यक्ष बीजेपी के मंत्री की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिका पर चार हफ्ते के भीतर फैसला नहीं ले पाते हैं तो वह फिर सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के वन मंत्री और बीजेपी विधायक टी श्यामकुमार सिंह को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली कांग्रेस नेताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बातें कहीं. सुप्रीम कोर्ट टी श्यामकुमार सिंह को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित करने की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. 2017 में टी श्यामकुमार सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था और बीजेपी में शामिल होने के बाद मंत्री बनाए गए थे.

कांग्रेस विधायक मोहम्मद फजुर्रहीम और के मेघचंद्र ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की है. मेघचंद्र ने फैसले के बाद राजधानी इम्फाल में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "यह हमारी जीत है. शीर्ष अदालत का यह फैसला और केंद्र को दिया गया सुझाव लागू होने की स्थिति में विधायकों की खरीद-फरोख्त पर अंकुश लगाने में असरदार साबित हो सकता है."

वहीं मोहम्मद फजुर्रहीम ने इस पर खुशी जताते हुए कहते हैं, "गेंद अब विधानसभा अध्यक्ष के पाले में है. बीजेपी के मंत्री को अयोग्य ठहराने की हमारी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ऐसे कई मामलों को निपटाने में सहूलियत होगी."

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वरिष्ठ पत्रकार आशीष गुप्ता कहते हैं, "सोमनाथ चटर्जी जैसे स्पीकर बहुत कम होते हैं जो पार्टी का निर्देश नहीं मानते हैं और पार्टी से ऊपर उठकर काम करते हैं लेकिन ज्यादातर स्पीकरों के ऊपर पार्टी का बहुत का प्रभाव रहता है इसलिए कुछ मामलों में जरूर सवाल उठते हैं." कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर संसद को विचार करना चाहिए.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट ने बिलकुल सही बात कहा है. इस सुझाव पर जरूर विचार होना चाहिए. कुछ विधानसभाओं में स्पीकर के फैसलों को लेकर सवाल उठ चुके हैं. हम निजी तौर पर यह मानते हैं कि अयोग्य ठहराने का फैसला स्वतंत्र प्रणाली को देना चाहिए."

दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे भी अयोग्य ठहराए जाने की याचिकाओं के निपटारे के लिए एक स्वतंत्र व्यवस्था के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव का स्वागत करते हैं. वह कहते हैं, "यह स्वागत योग्य फैसला है. शायद इस फैसले से स्पीकर द्वारा शक्तियों के दुरुपयोग के मामले खत्म हो जाएंगे जिसमें स्पीकर अयोग्यता पर त्वरित फैसले नहीं लेते है." साथ ही दवे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का सुझाव मानने के लिए संसद बाध्य नहीं है लेकिन यह सुझाव सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने दिया है और संसद सदस्यों को इस पर विचार करना चाहिए.

उनके मुताबिक, "यह किसी राजनीतिक दल से जुड़ा मामला नहीं है लेकिन यह स्पीकर की शक्तियों, उसके दुरुपयोग और अयोग्यता पर कार्रवाई नहीं करने या फिर उसमें देरी करने से जुड़ा मामला है जिस पर संसद को विचार करना चाहिए. अब सरकार इस पर कोई कदम उठाएगी या नहीं करेगी, यह फैसला तो सरकार को ही करना है."

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