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समुद्र में मीथेन, ऊर्जा का अकूत भंडार

३ जून २०११

सागरों की सतह में मीथेन गैस की मौजूदगी वैज्ञानिकों के लिए रुचि का विषय रहा है क्योंकि इससे बिजली और ऊर्जा पैदा की जा सकती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि समुद्र सतह पर करीब 3,000 गीगाटन मीथेन मौजूद है.

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तस्वीर: picture-alliance / dpa

जर्मन वैज्ञानिक भी ऊर्जा के स्रोत का लाभ उठाना चाहते हैं और इसी के साथ कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करना चाहते हैं. न्यूजीलैंड के पास सोने (सूर्य) नाम के जहाज पर शोध चल रहा है.

योर्ग बियालास कील के समुद्रिक शोध के लिए लाइब्नित्स संगठन में काम करते हैं. भूगर्भ भौतिक शास्त्री एक भविष्योन्मुखी प्रोजेक्ट के सभी हिस्से संभाले हुए है. इस प्रोजेक्ट का नाम शुगर यानी चीनी है लेकिन इसका चीनी से कोई लेना देना नहीं है. बल्कि यह सबमरीन गैस हाइड्रेट रिसरवॉयर का शॉर्ट फॉर्म है. इसके पीछे विचार क्या है इस बारे में योर्ग बियालास बताते हैं, "महासागरों की सतह पर मीथेन ठोस बर्फीली संरचना के तौर पर मिलती है. तो सीओ2 को तोड़ना और उसी समय इसे नए बर्फ की तरह की संरचना में बदलना जो सीओ 2 हाईड्रेट का अणु हो."

Infografik CO2-Abscheidung und Ablagerung
कार्बन डाई ऑक्साइड हटाने के तरीके

इस तरह से कार्बन डाई ऑक्साइट समुद्र की सतह से नीचे चली जाएगी और फिर प्राकृतिक गैस ली जा सकेगी. एक शानदार विचार जिसे वैज्ञानिकों और व्यावसायियों के 30 साझेदारों ने मिल कर तैयार किया है.

डी सोने

न्यूजीलैंड में वेलिंगटन, जर्मन जहाज सोने बंदरगाह से जा रहा है. जहाज पर 21 वैज्ञानिक हैं जो योर्ग बियालास के नेतृत्व में मिथेन हाईड्रेट पर शोध कर रहे हैं. जानकारों का मानना है कि दुनिया भर में समुद्र की सतह पर तेल, गैस, कोयले सब से दुगनी मात्रा में मीथेनहाइड्रेट मौजूद है. जो कि ऊर्जा का अकूत भंडार है.

सबसे अच्छी स्थिति होती कि गैस हाइड्रेट एक मोटी सतह के तौर पर रेत में होता. लेकिन न्यूजीलैंड के समुद्र में गहरे ऐसा कोई स्थान नहीं है. बल्कि जहां प्रशांत महासागर ऑस्ट्रेलियाई प्लेट को धकेलता है वहां मीथेन मिलती है और छेद से निकलने वाली यह मीथेन तुरंत पानी में मिल जाती है. "हम इसे समझना चाहते हैं ताकि बाद में व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए इस तरह के रिसाव को रोका जा सके और सब नियंत्रण में रखें और मीथेन को जाने न दें."

खतरनाक मीथेन

जहरीली गैस मीथेन अगर पर्यावरण में जाए तो कार्बन डाई ऑक्साइड से भी खतरनाक है. और अगर ऊर्जा कंपनियां अस्थिर सतहों में बोरिंग करे तो मुश्किल खड़ी हो जाएगी. महाद्वीपों को जोड़ने वाली प्लेट हिल जाएगी. सुनामी के आने की आशंका पैदा हो जाएगी.

आखिरकार वैज्ञानिक अपने उपकरण समुद्री तल से एक किलोमीटर नीचे ले जाने में सफल हुए. इसके जरिए वह सतह के सैंपल इकट्ठा करेंगे और पता लगाएंगे कि समुद्री सतह तक किस तरह से बनी हुई है. "कभी कभी आपको यहां छाया दिखाई पड़ती है. जैसे कि इस जगह पर, यहां से धुआं निकल रहा है. यह मीथेन है की भाप है. इसके नीचे पानी बह रहा है. दो चार मिनट यहां से भाप निकलेगी फिर गायब. यहां देख सकते हैं कि सब जगह किस तरह बुलबुले उठ रहे हैं और आवाज आ रही है."

Grafik Karte mit Messwerten am Meeresboden im Pazifik September 2006
2006 में प्रशांत महासागर की सतह का डेटातस्वीर: NOAA

संतुष्ट टीम

दो सप्ताह जांच पड़ताल करने के बाद सोने जहाज पर योर्ग बियालास बैठ कर आंकड़े इकट्ठा करते हैं. "पहली बात तो कि अपने काम पर खुशी होती है. जब बंदरगाह पर लौटते हैं और घर जाते हैं तो संतोष होता है कि हां कुछ किया. हमें गैस हाईड्रेट के बारे में काफी नई जानकारी मिली है. कुल मिला कर हमें बहुत संतोष है. मुझे लगता है कि हमें काफी डेटा मिला है." जिओफिजिशियन बियालास अपने घर लौट जाते हैं. जो डेटा इकट्ठा किया है उसका विश्लेषण करने में करीब दो साल लगेंगे. अगर इसमें बड़ी सफलता हाथ लगती है तो, "तो मुझे लगता है कि हमें एक साधन मिल जाएगा जिसके जरिए हम एक दो साल और ऊर्जा का इस्तेमाल इसी तरह बनाए रख सकते हैं. सीओ2 को अंदर डाल मीथेन को बाहर निकालना सिर्फ एक छोटा सा पुल हो सकता है जो हमें ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधनों के हमारे इस्तेमाल के बारे में समझ बढ़ा सकता है."

रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा मोंढे

संपादनः एस गौड़

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