समय से पहले ईरान से दूरी बनाने लगा है भारत
११ जून २०१८भारत सरकार चाहे इंतजार की रणनीति का दावा करे, लेकिन भारतीय तेल कंपनियों ने अब ईरान से दूरी बनानी शुरू कर दी है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है भारतीय रिफाइनरी नायरा एनर्जी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु डील खत्म होने का असर भारतीय कंपनी नायरा एनर्जी के कारोबार पर साफ दिख रहा है. रिपोर्ट मुताबिक पहले एस्सार ऑयल के नाम से चलने वाली इस कंपनी को रूस की ऑयल कंपनी रोजनेफ्ट और अन्य पार्टनर्स से 12.9 अरब डॉलर ने खरीद लिया था. पिछले महीने रिफाइनरी ने ईरान से बमुश्किल 55 से 60 लाख बैरल ही तेल खरीदा. नायरा एनर्जी की ओर से की जाने वाली कटौती साफ दिखाती है कि एशियाई खरीदारों ने अमेरिकी कदम के बाद ईरान से तेल लेना कम कर दिया है.
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "नायरा रिफाइनरी के वॉल्यूम में औसतन 40-50 फीसदी की कमी आई है. इसका कारण है ईरान से आने वाले तेल में आई 30 से 40 लाख बैरल की कमी."
ईरान की समाचार एजेंसी सना के मुताबिक, "ईरान से होने वाले तेल निर्यात में 27 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी दिख रही है." कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, भारत दुनिया में तेल की खपत करने वाला तीसरा बड़ा देश है साथ ही तीसरा सबसे बड़ा आयातक. आंकड़ों के मुताबिक भारत रोजना तकरीबन 45 लाख बैरल तेल आयात करता है.
जब रॉयटर्स ने नायरा रिफाइनरी से पूछा कि क्या उसकी योजना ईरान से होने वाले तेल आयात को 40-50 फीसदी तक कम करने की है, तो कंपनी ने इस पर कोई सटीक जवाब नहीं दिया. कंपनी के मुताबिक, "अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं है." ईरान के पेट्रोलियम उद्योग पर अमेरिकी के प्रतिबंध 180 दिन के "विंड-डाउन पीरियड" के बाद लागू होंगे, जो 4 नवंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन अभी से ही यूरोप समेत कई एशियाई खरीदारों ने ईरान से तेल खरीद पर कमी कर दी है. नायरा के अलावा अन्य भारतीय कंपनियां भी ईरान से होने वाले आयात पर सख्ती दिखा रही है. सूत्रों के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज भी अक्टूबर-नवंबर तक ईरान से तेल आयात रोकने पर योजना बना रही है. नायरा के प्रमुख कार्यकारी बी. आनंद ने हाल में ही कहा था कि रिफाइनरी को ईरान से किए जाना आयात कम करने के बाद भी आपूर्ति के नए विकल्प तलाशने में समस्या नहीं होगी. उन्होंने कहा कि नायरा अपने प्रमुख स्टेकहोल्डर्स रोसनेफ्ट जैसे साथियों के नेटवर्क का लाभ उठाएगा.
कंपनियां चाहे कुछ कहें, सरकार आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रही है. भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल में कहा था, "इस अनिश्चितता भरी स्थिति में भारत सरकार इंतजार की रणनीति पर काम कर रही है."
एए/ओएसजे (रॉयटर्स)