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सबसे मोटे दुर्लभ तोते ने लगाई बच्चों की झड़ी

२५ अप्रैल २०१९

दुनिया के सबसे मोटे तोते की किस्म काकापो पर गायब होने का गंभीर खतरा है. ऐसे में उसका रिकॉर्ड ब्रीडिंग सीजन केवल न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए खुशखबरी है.

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Neuseeland Whenua Hou/Codfish Island Kakapo Papagei story
तस्वीर: Andrew Digby

करीब 50 साल पहले ही इस ना उड़ सकने वाले रात के पक्षी को खत्म हुआ मान लिया गया था. न्यूजीलैंड के काकापो रिकवरी ऑपरेशन के विज्ञान सलाहकार एंड्रू डिग्बी ने बताया कि इस साल के मेटिंग सीजन में उसी पक्षी के कम से कम 75 चूजे बचने की संभावना है. वैज्ञानिकों को लगता है कि काकापो के प्रजनन के रिकॉर्ड के पीछे जलवायु परिवर्तन का भी हाथ हो सकता है.

Kakapo Vogel
माओरी भाषा में काकापो का मतलब है 'रात के तोते' तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE

डिग्बी इनके ब्रीडिंग प्रोग्राम की निगरानी करते हैं. अब यहां 147 वयस्क काकापो रहते हैं. 1970 में यहां पहली बार इन गोलमटोल, हरे, पीले और काले रंग वाले खास पक्षी को देखा गया था. काकापाओ इस मायने में भी खास होते हैं कि इनमें प्रजनन की प्रक्रिया मादाओं के नियंत्रण में होती है. वे दो से चार साल में एक बार तभी मेटिंग करती हैं, जब न्यूजीलैंड में स्थानीय रिमू के पेड़ फलों से लदे हों.

डिग्बी बताते हैं, "मालूम नहीं कि ऐसा क्यों होता है लेकिन हम जिस संभावना पर विचार कर रहे हैं वह है रिमू के फलों का विटामिन डी से लबालब होना, जो कि एक ऐसा सुपर फूड है जो प्रजनन शक्ति और सेहत से जुड़ा है." इस साल न्यूजीलैंड में रिमू के पेड़ खूब फले हैं. इसके लिए विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में आए बदलाव को जिम्मेदार मान रहे हैं.

Neuseeland Whenua Hou/Codfish Island Kakapo scientist Papagei story
डिग्बी और उनकी टीम पक्षियों की मॉनिटरिंग के लिए उनको रेडियो ट्रांसमिटर लगा कर रखते हैं. तस्वीर: Veronika Meduna

स्थानीय माओरी भाषा में काकापो का अर्थ होता है "रात का तोता" और ये न्यूजीलैंड के चार द्वीपों पर पाए जाते हैं. करीब चार किलो वजन वाले नर तोते मेटिंग सीजन के शुरु होने पर मादाओं को आकर्षित करने में लग जाते हैं. फिर मेटिंग के बाद उनका रिश्ता यहीं खत्म हो जाता है. अंडे के मादा के पेट में पलने और बाहर आने के बाद भी उसे सेने और आगे देखभाल की सारी जिम्मेदारी मादा ही उठाती है. मॉनिटरिंग के लिए हर एक काकापो पक्षी के शरीर में रेडियो ट्रांसमिटर लगाया गया है और उनके घोंसलों में भी मॉनिटरिंग सिस्टम लगे हैं.  

इस बार 50 मादाओं में से 49 ने कुल 249 अंडे दिए, जिनमें से 89 से चूजे निकल चुके हैं और इनमें से 75 के वयस्क उम्र तक पहुंचने का अनुमान है. तीन साल पहले के मुकाबले यह दर दोगुनी से भी ज्यादा होगी. एक्सपर्ट कहते हैं कि कम से कम 500 काकापो वयस्क पक्षी जीवित रहें, तब जाकर उन्हें खतरे से बाहर समझना चाहिए.

आरपी/आईबी (एएफपी)