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तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल सबसे ऊंचे स्तर पर होगा

१२ सितम्बर २०२३

दुनिया में तेल, गैस और कोयले की मांग इस दशक में सबसे ऊंचे स्तर पर होगी. स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल बढ़ने के बावजूद ऐसा होगा. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा आयोग के प्रमुख ने एक लेख में यह जानकारी दी है.

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जर्मनी का ऊर्जा पार्क
जर्मनी में जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है लेकिन आने वाले वर्षों में यह घटेगातस्वीर: Rudy Fessel/Zoonar/picture alliance

विशेषज्ञ ऐसी आशंका पहले से ही जता रहे हैं. बढ़ती आबादी के साथ जीवाश्म ऊर्जा का इस्तेमाल जिस तरह से नये नये कामों में हो रहा है उसे देखते हुए ऐसी आशंकाएं उभर रही हैं.पर्यावरणको इससे होने वाले नुकसान के कारण चिंता लगातार बढ़ती जा रही है.  फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे लेख में कहा गया है कि तेल, गैस और कोयले की मांग दुनिया में बहुत ज्यादा बढ़ने वाली है. अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के मुताबिक, दुनिया में स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक कारों के उपयोग पर काफी जोर होने के बावजूद, अगले दस साल में नवीकरणीय ऊर्जा की मांग बढ़ती दिखेगी.

स्वच्छ ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास

आईईए अगले महीने वर्ल्ड एनर्जी आउट्लुक के नाम से अपनी सालाना रिपोर्ट जारी करने वाला है. यह रिपोर्ट दिखाएगी कि "दुनिया एक एतिहासिक मोड़ पर खड़ी है.” दुनिया भर की सरकारें अभी ऐसी नीतियां बना रहीं हैं जिनके चलते नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी होगी. नवीकरणीय ऊर्जा की मांग बढ़ने से दुनिया में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ छिड़ी मुहीम में बहुत बदलाव आएंगे क्योंकि ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन बढ़ जाएगा. आईईए की अध्यक्ष फातिह बिरोल ने कहा "पहली बार हमने ऐसी बढ़ोतरी के संकेत देखे हैं.”

नीदरलैंड्स का सोलर पार्क
सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल भी बड़ा है लेकिन यह अब भी महंगे हैंतस्वीर: Niall Carson/PA/picture alliance

बिरोल का यह भी कहना है कि जो नतीजे दिख रहे हैं वह स्वच्छ ऊर्जा तकनीकों और इलेक्ट्रिक गाड़ियों के "भारी विकास" के साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव और ऊर्जा संकट के कारण हैं.

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विकसित देशों में घटेगा इस्तेमाल

आईईए ने इस साल जून में भी यह बात की पूर्व सूचना दी थी कि तेल की मांग दुनिया में बढ़ती हुई दिख रही है. अब यही बात कोयले और गैस के बारे में भी कही जा रही है. बिरोल का मानना है कि दशक के अंत तक यह मांग विकसित देशों में कम हो जाएगी क्योंकि वहां इलेक्ट्रिक कारों पर काफी जोर दिया जा रहा है. मगर रूस और यूक्रेन की लड़ाई की वजह से इस में दिक्कतें आएंगी.

जर्मनी में कोयला जला कर बिजली पैदा की जा रही है
ऊर्जा संकट के कारण कई देशों में कोयले का इस्तेमाल बढ़ा है तस्वीर: Ina Fassbender/AFP/Getty Images

सिमोन तगलियापिएट्रा, जलवायु परिवर्तन से जुड़े मामलों की विशेषज्ञ हैं. आईईए की रिपोर्ट देखते हुए तगलियापिएट्रा ने कहा, "यह रिपोर्ट दिखाती है कि हम वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है.” उनका मानना है, "हवा और सौर ऊर्जा की नीतियों से ज़्यादा अब हम तकनीक पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि हम और बेहतर हालातों का सामना कर पाएं.”

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रॉयल बैंक ऑफ कनाडा (आरसीबी) ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह नए अनुमान "नवीकरणीय समर्थक कानूनों की बढ़ती संख्या" पर प्रकाश डालते हैं. इन सब के बावजूद आरसीबी के विश्लेषक मानते हैं कि नीति निर्माताओं के पास अब भी समय है कि वह धीर धीरे जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल खत्म करें और नवीकरणीय ऊर्जा की ओर जाने और उसके किफायती बनाने पर बातचीत करें." 

एसडी/एनआर (एएफपी)